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51 शक्तिपीठों में 1 मैहर का मां शारदा धाम, दर्शन मात्र से दूर होते है भक्तों के कष्ट, 1770 में बना था मैहर, 8 दिन की नवरात्रि

Maihar Ki Maa Sharda Ki Kahani, Maihar Mata Ki Kahani । मध्यप्रदेश के नवगठित मैहर जिले के त्रिकूट पर्वत पर विराजमान माता शारदा का दरवार सजा हुआ है। बताते है कि मैहर वाली मां शारदा के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही भक्तों के सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती है। माता शारदा विद्या, बुद्धि और कला की हैं धनी है। सनातन धर्म के मुताबिक, माता शारदा को विद्या, बुद्धि और कला की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन से मां शारदा की पूजा करने से सुख-समृद्धि मिलती है और कभी अकाल मृत्यु नहीं होती। मां शारदा की कृपा से वह सदैव भय और रोग से सुरक्षित रहता है।

8 दिन की चैत्र नवरात्रि

नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जिसे शक्ति की पूजा और आध्यात्मिक साधना के लिए सर्वाेत्तम समय माना जाता है. यह पर्व साल में 2 बार मनाया जाता है, जिनमें चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है. चैत्र नवरात्रि देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का पर्व है, जो हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होता है. इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का आरंभ 30 मार्च 2025 (रविवार) को होगा और इसका समापन 6 अप्रैल 2025 (रविवार) को होगा. इस बार नवरात्रि 9 दिन की बजाय केवल 8 दिन की होगी, क्योंकि तिथियों में परिवर्तन के कारण अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ रही हैं।

600 फिट की उॅचाई पर विराजमान है शारदा माता

पहाड़ी की उॅची चोटी पर करीब 600 फीट ऊंचाई पर माता विराजमान है। इस शक्तिपीठ में माता के दर्शन के लिए भक्तों को मंदिर की 1000 से ज्यादा सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, हांलाकि अब प्रशासन ने यहां रोपवे की व्यवस्था भी बनाई है जिससे लोगो को 600 फिट की उॅचाई पर जाने के लिए इसकी सुविधा मिल सकें। इस स्थान की विशेषता है कि आज भी यहाँ लगभग हजार वर्षों से आल्हा अपनी आराध्य देवी की उपासना करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में आते हैं। ऐसा कई बार हुआ है कि जब सुबह मंदिर के कपाट खोले गए हैं तब मंदिर के गर्भगृह में जल और ताजे पुष्प मिले। यह कई वर्षों से होता आया है और आल्हा द्वारा सबसे पहले पूजा किए जाने की बात पर न केवल श्रद्धालु बल्कि कई विद्वान भी यकीन करते हैं।

1770 में बना था मैहर

इतिहास ये बताते है कि मैहर रियासत की स्थापना 1770 में कछवाहा वंशज श्रीमंत महाराजा बेनी सिंह जूदेव किए थें। जिसका क्षेत्रफल 407 वर्ग किलोमीटर था। उनके बाद उनके पुत्र महाराजा दुर्जन सिंह जूदेव गद्दी पर आसीन हुए। मैहर में स्थित माँ शारदा के मंदिर का निर्माण और मैहर क्षेत्र का विकास और परकोटा बनाकर मैहर क्षेत्र को सुरक्षित किया।
1820 में महाराजा दुर्जन सिंह ने अपना तुलादान करवाया और माँ शारदा के मंदिर पहुँचने के लिये सीढ़ियों का निर्माण करवाया और दर्शनार्थियों के लिए दो बावलियों का निर्माण भी करवाया। ब्रिटिश काल में उनके परपोते महाराजा रघुवीर सिंह जूदेव ने मैहर शहर का और विकास कर कई और मंदिरों का निर्माण करवाया।

प्रशासन ने की तैयारी

मैहर में नवरात्रि को लेकर पुलिस प्रशासन ने तैयारी पूरी कर ली है। मैहर देवी जी चौकी में रिहर्सल किया गया। मेला क्षेत्र को 6 जोन में बांटा गया है। 50 से अधिक ड्यूटी पॉइंट लगाए गए हैं एवं यातायात व्यवस्था व पहाड़ियों पर बाइक पेट्रोलिंग आदि की व्यवस्था भी की गई है। समस्त मेला क्षेत्र में पेट्रोलिंग लगाई गई है। सुरक्षा व्यवस्था को पुलिस अधीक्षक मैहर सुधीर अग्रवाल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंचल नागर, एसडीएम मैहर विकास सिंह, एसडीओपी अमरपाटन प्रतिमा शर्मा ,थाना प्रभारी मैहर अनिमेष द्विवेदी, थाना प्रभारी महेंद्र गौतम समेत जिला प्रशासन ने अंतिम रूप दिया है।

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