अब स्कूलों में बाबर, अकबर, औरंगजेब के अलावा इतिहास में कुछ पढ़ाया जाता तो बच्चे जानते कि माहिष्मती नाम का एक साम्राज्य मध्य प्रदेश में हुआ करता था और यहां का सम्राट कौन था?
माहिष्मती साम्राज्य का इतिहास: जब आप ये शब्द सुनते हैं ‘माहिष्मती’ तो दिमाग में अपने आप डायरेक्टर एसएस राजामौली की फिल्म बाहुबली का थीम सॉन्ग ‘माहिष्मती साम्राज्य्म’ बजने लगता है. लेकिन क्या आप जानते हैं माहिष्मती साम्रज्य सिर्फ Rajamouli की फिल्म में ही नहीं बल्कि असली भी में था? यह कोई छोटे-मोटे राजाओं की रियासत नहीं एक विशाल, संपन्न और शक्तिशाली साम्राज्य था.
स्कूल की किताबों में तो विदेशी आक्रांतों का ही गुणगान मिलता है, भारत के महान प्राचीन इतिहास के बारे में कभी पढ़ाया ही नहीं गया. खैर अब ये टॉपिक छिड़ ही गया है तो यहीं माहिष्मती साम्राज्य का पूरा चैप्टर क्लियर कर देते हैं.
माहिष्मती साम्राज्य का इतिहास
आज से लगभग 5000 साल पहले यानी महाभारत काल के दौरान भारतवर्ष में कुल 16 महाजनपदें हुआ करती थीं. इनमे से दो महाजनपदें मध्य प्रदेश में थीं. तब मध्य प्रदेश जैसा राज्य नहीं था, एमपी तो वजूद में 1 नवंबर 1956 को आया लेकिन तब इसी भोलोगिक खंड में दो महान सम्राटों के साम्राज्य थे.
एक जनपद का नाम था ‘चेदि साम्रज्य’ जिसके शासक थे शिशुपाल और दूसरी महाजनपद थी ‘अवन्ति’ जिसके दो भाग थे. एक था उत्तरी अवन्ति जिसकी राजधानी उज्जैनी (आज का उज्जैन) और दूसरा था महिष्मति. माहिष्मती के शासक का नाम अमरेंद्र बाहुबली नहीं था बल्कि इसके सम्राट थे ‘चंडप्रद्योत’ जो बहुत पराक्रमी राजा थे. जब महाभारत का युद्ध हुआ था तब चेदी और माहिष्मती के शासकों ने कौरवों की तरफ से युद्ध लड़ा था.
माहिष्मती और उज्जैनी बहुत निकट थे, महर्षि पतंजलि ने उल्लेख किया है कि जो यात्री रात में उज्जैनी से यात्रा प्रारम्भ करता है वो माहिष्मती में सूर्योदय देखता है. यानी दोनों राजधानियों के बीच पैदल यात्रा करने पर आधे दिन का समय लगता था।
माहिष्मती साम्राज्य नर्मदा नदी के तट महेश्वर से लेकर गुजरात तक फैला हुआ था. कहा जाता है कि यह साम्राज्य गुजरात के तट से 14 योजन होकर वर्तमान खरगोन तक फैला हुआ था. माहिष्मती साम्राज्य की स्थापना हेहक़ वंश के प्रतापी राजा माहिऐंत ने की थी.
चंडप्रद्योत कौन थे
चंडप्रद्योत अवन्ति के प्रतापी राजा थे, जो गौतम बुद्ध के समकालीन थे. वो कभी न हारने वाले सम्राट थे मगर उनकी मृत्यु के बाद इस साम्राज्य के उत्तराधिकारी मगध की सेना से हार गए और अवन्ति मगध में विलीन हो गया. बाद में बाद उज्जैनी भी मगध में विलय हो गया और चेदि साम्राज्य भी इसी में शामिल हो गया।
माहिष्मती साम्राज्य का क्या हुआ?
जबतक चंडप्रद्योत जीवित रहे तबतक माहिष्मती साम्राज्य कायम रहा. लेकिन मगध की सेना ने इन दोनों साम्राज्यों को अपने में विलीन कर लिया. अब माहिष्मती साम्राज्य सिर्फ इतिहास की उन किताबों में है जिसे तभी पढ़ा जाता है जब प्रतियोगी परीक्षा में MP GK रटने की जरूरत होती है. लेकिन मध्य प्रदेश से माहिष्मती की निशानियां आज भी जुडी हुई हैं. एमपी के खरगोन जिले आने वाली तहसील महेश्वर को ही तब का माहिष्मती कहा जाता है।