Mahatma Gandhi Death Anniversary : आज हम जिस आज़ाद भारत में चैन की सांस लें रहें हैं, वह महात्मा गाँधी का ही भारत है। वह देश के बाबू ही थे जिन्होंने अंग्रेजों से बिना किसी हथियार के ही आजादी ले ली थी। आज ही के दिन, 30 जनवरी को नाथूराम गोडसे ने गाँधी जी को गोली मार दी थी। गोली लगने से गाँधी जी जब जमीन पर गिरे तब उनकी घड़ी में 5 बजकर 17 मिनट हुए थे। आज उनकी पुण्यतिथि पर गाँधी जी के जीवन से जुड़ा एक किस्सा बता रहें हैं। कब बापू को देश के लिए अपमानित होना पड़ा था।
गाँधी जी जब लंदन में हुए थे अपमानित | Mahatma Gandhi Death Anniversary
महात्मा गांधी जब 1914 में लंदन गए थे, तो उन्होंने अपनी पारंपरिक भारतीय धोती पहन रखी थी। इस पर ब्रिटिश समाज में कुछ लोग हैरान हुए थे, क्योंकि यह उनके लिए असामान्य था। ब्रिटिश समाज के उच्च वर्ग ने इसे एक अप्रत्याशित और अजीब रूप में देखा, और उनके पहनावे पर तंज कसते हुए कहा कि वे “अधनंगे” हैं, और उनका यह रूप ब्रिटिश सभ्यता के अनुरूप नहीं था।
लंदन में गाँधी जी को नंगा फ़क़ीर कहा गया था
विंस्टन चर्चिल ने महात्मा गांधी के बारे में 1930 के दशक में कहा था। यह बयान उन्होंने गांधी के स्वतंत्रता संग्राम के प्रति संघर्ष और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ उनकी नीतियों को लेकर दिया था। “अधनंगा फकीर” शब्द का उपयोग उन्होंने गांधी के साधारण और बिना किसी भव्यता के जीवन शैली को संदर्भित करते हुए किया था। हालांकि, यह टिप्पणी गांधी के प्रति उनके असहमति और आलोचना को दर्शाती है, लेकिन गांधी ने हमेशा अहिंसा और सत्य के मार्ग को प्राथमिकता दी।
धोती पहनने पर गाँधी जी ने दिया था जवाब | Gandhi ji Life Story
गांधी जी ने इस आलोचना का जवाब देते हुए कहा था कि उनकी धोती भारतीय संस्कृति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक थी। वे अपने देशवासियों के साथ एकता और स्वाभिमान का संदेश देने के लिए इस पहनावे को पहनते थे। गांधी जी का मानना था कि उनकी सादगी और साधारणता में ही असली ताकत और सम्मान है, और यह उनके स्वतंत्रता संग्राम का भी हिस्सा था।
भारतीयों के लिए पहनी थी गाँधी जी ने धोती | mahatma gandhi punyatithi
दरअसल, महात्मा गांधी ने धोती पहनने का फ़ैसला इसलिए लिया था क्योंकि वे भारत में भारतीय दिखना चाहते थे। उन्होंने ब्रिटिश कपड़ों को त्यागकर भारतीय कपड़ों को पहना था। वहीं लंदन में उनका यह पहनावा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नया मोड़ देने वाला था। वे चाहते थे कि भारतीय जनता ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष करने के लिए अपनी पहचान और संस्कृति को महत्व दे, न कि विदेशी प्रभावों के तहत अपनी पारंपरिक पहचान खो दे। इस प्रकार, उनके इस सादगीपूर्ण पहनावे ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीय जन जागरूकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।