CJI B.R. Gawai: 14 मई, 2025 को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद, जस्टिस बी.आर. गवई 18 मई को पहली बार अपने गृह राज्य महाराष्ट्र पहुंचे। इस दौरान, उनके स्वागत में राज्य के मुख्य सचिव या पुलिस महानिदेशक (DGP) जैसे वरिष्ठ अधिकारियों की अनुपस्थिति और एक संविदा अधिकारी को भेजने के कारण प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ। महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार देर शाम जारी गाइडलाइन्स के तहत, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई को परमानेंट स्टेट गेस्ट का दर्जा प्रदान किया है।
CJI B.R. Gawai: महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार देर शाम जारी गाइडलाइन्स के तहत, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई को परमानेंट स्टेट गेस्ट का दर्जा प्रदान किया है। यह निर्णय CJI की हालिया यात्रा के दौरान प्रोटोकॉल में हुई चूक के बाद लिया गया, जिसके चलते उन्होंने नाराजगी व्यक्त की थी। इस कदम के साथ, सरकार ने CJI की भविष्य की यात्राओं के लिए आधिकारिक शिष्टाचार सुनिश्चित करने हेतु प्रोटोकॉल दिशानिर्देश भी जारी किए हैं।
प्रोटोकॉल में चूक और CJI की नाराजगी
14 मई, 2025 को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद, जस्टिस बी.आर. गवई 18 मई को पहली बार अपने गृह राज्य महाराष्ट्र पहुंचे। इस दौरान, उनके स्वागत में राज्य के मुख्य सचिव या पुलिस महानिदेशक (DGP) जैसे वरिष्ठ अधिकारियों की अनुपस्थिति और एक संविदा अधिकारी को भेजने के कारण प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ। CJI ने इस लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “मैं CJI बनकर पहली बार आया, लेकिन…” इस घटना ने राज्य सरकार के प्रोटोकॉल तंत्र पर सवाल उठाए।
महाराष्ट्र सरकार का निर्णय
इस विवाद के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए CJI गवई को परमानेंट स्टेट गेस्ट का दर्जा देने का फैसला किया। इसके तहत, महाराष्ट्र स्टेट गेस्ट रूल्स, 2004 के अनुसार, CJI को राज्य में यात्रा के दौरान सभी सुविधाएं और सम्मान प्रदान किए जाएंगे। नए दिशानिर्देशों के अनुसार:
CJI की यात्रा के दौरान मुख्य सचिव, DGP या उनके प्रतिनिधि की उपस्थिति अनिवार्य होगी।
प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
यह दर्जा CJI की भविष्य की सभी यात्राओं पर लागू रहेगा।
महाराष्ट्र के गर्व का विषय है
जस्टिस गवई महाराष्ट्र के पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जो भारत के मुख्य न्यायाधीश बने हैं। उन्होंने 14 नवंबर, 2003 को बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी और बाद में स्थायी जज बने। सुप्रीम कोर्ट में कई ऐतिहासिक फैसलों में उनकी भूमिका रही है, जिसमें आर्टिकल 370 से संबंधित मामला भी शामिल है। उनकी उपलब्धियां महाराष्ट्र के लिए गर्व का विषय हैं, और इसीलिए यह निर्णय न केवल प्रोटोकॉल को मजबूत करता है, बल्कि उनके सम्मान को भी रेखांकित करता है