Maharashtra Assembly Elections 2024: महाराष्ट्र में सियासत की गर्मी चरम पर है, गठबंधनों में खींचातानी चल रही है और हर तरफ एक ही सवाल घूम रहा है, वो ये है कि – इस बार बाजी कौन मारेगा? नमस्कार आप देख रहे हैं शब्द साँची और आज हम जानते हैं कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में क्या कुछ खास हो सकता है और कौन से मुद्दे इस बार चुनाव की दिशा तय करेंगे?। 20 नवंबर को महाराष्ट्र में मतदान होगा. 288 विधानसभा सीटों के लिए महाविकास आघाड़ी और महायुति, दो प्रमुख गठबंधन एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं। महाविकास आघाड़ी में शिवसेना उद्धव ठाकरे कांग्रेस और एनसीपी का शरद पवार है। दूसरी ओर, महायुति गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी, शिवसेना एकनाथ शिंदे और NCP अजीत पवार सहित शामिल हैं। दोनों गठबंधनों में सत्ता पाने की होड़ है और यह एक रोमांचक मुकाबला बनने वाला है।
महाराष्ट्र चुनाव के सिर्फ दो प्रमुख मुद्दे
इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा है महंगाई और बेरोजगारी। महंगाई की मार से आम जनता परेशान है और कई सर्वे में यह मुद्दा प्रमुखता से उभर कर सामने आया है। लोकनीति-CSDS के हालिया सर्वे के मुताबिक, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों पर मतदाता नाराज़ दिख रहे हैं। इन समस्याओं को सुलझाने में नाकाम होने का आरोप विपक्ष, शिंदे सरकार पर लगा रहा है। यहां सवाल उठता है कि क्या महंगाई और बेरोजगारी इस बार चुनावी नतीजों को प्रभावित करेंगे? अगर समुदायों के आधार पर वोटिंग पैटर्न की बात करें तो एक दिलचस्प तस्वीर सामने आती है। मुस्लिम, बौद्ध और आदिवासी मतदाता महाविकास आघाड़ी के साथ खड़े नजर आ रहे हैं, जो राज्य के कुल मतदाताओं का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। दूसरी तरफ, उच्च वर्ग और आर्थिक रूप से संपन्न मतदाता महायुति का समर्थन कर रहे हैं। यही नहीं, ओबीसी और दलित मतदाताओं में भी महायुति का प्रभाव दिख रहा है
क्या नेताओं की पॉपुलरिटी काम आएगी ?
इस चुनाव में नेताओं का करिश्मा भी अहम भूमिका निभा सकता है। उद्धव ठाकरे की लोकप्रियता महाविकास आघाड़ी के समर्थकों में काफी अधिक है। वहीं, महायुति में एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस का समर्थन है, लेकिन उनके मतदाता इन दोनों नेताओं में बंटे हुए नजर आते हैं। उद्धव ठाकरे जहां एक सशक्त और स्थिर नेता के रूप में उभर रहे हैं, वहीं शिंदे और फडणवीस का प्रशासनिक अनुभव महायुति के लिए एक मजबूत पक्ष है। शिवसेना दो धड़ों में बंटी है – एकनाथ शिंदे धड़ा और उद्धव ठाकरे धड़ा। इसी तरह, एनसीपी भी शरद पवार और अजित पवार के बीच विभाजित है। ऐसे में 2019 के चुनाव परिणाम आज के समीकरणों को सही ढंग से समझने में सहायक नहीं हैं। इसका मतलब यह है कि इस बार का चुनाव नए समीकरणों के साथ लड़ा जाएगा। महाविकास अघाड़ी के लिए एक सकारात्मक घटनाक्रम ‘मराठा आरक्षण आंदोलन’ के नेता जरंगे पाटिल का चुनाव से हट जाना हो सकता है. क्योंकि अगर पाटिल अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारते तो विपक्ष का वोट बांटता।
क्या कहती है सर्वे रिपोर्ट ?
अब बात करते हैं लोकनीति-CSDS के हालिया चुनाव पूर्व सर्वे की, जिसमें दोनों गठबंधनों के बीच बेहद करीबी मुकाबले का अनुमान लगाया गया है। सर्वे के अनुसार, शिंदे सरकार के कामकाज से संतुष्ट और असंतुष्ट मतदाताओं का अनुपात लगभग बराबर है। इस बात से पता चलता है कि जनता की सोच में अभी भी स्पष्टता नहीं है, और यह चुनाव नतीजे मतदान के समय ही तय होंगे। दोनों गठबंधनों में सीट बंटवारे और टिकट वितरण को लेकर भी मतभेद सामने आए हैं। सीट बंटवारे को लेकर जारी संघर्ष का चुनाव परिणाम पर सीधा असर पड़ सकता है। गठबंधन के सहयोगियों को साथ रखने में जो भी गठबंधन ज्यादा कुशलता दिखाएगा, वह इस मुकाबले में बढ़त बना सकता है।
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किसानों की स्थिति भी इस चुनाव का अहम मुद्दा है। महाराष्ट्र का ग्रामीण इलाका, जहां किसान समुदाय की संख्या अधिक है, वहां महाविकास आघाड़ी को समर्थन मिलने की संभावना जताई जा रही है। सूखे, फसल नुकसान और कर्ज से जूझते किसान इस बार किसे चुनेंगे, यह भी चुनावी नतीजे पर असर डाल सकता है। क्या महाविकास आघाड़ी महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज हो पाएगी या महायुति अपनी सत्ता बचाने में कामयाब होगी? जनता का मत हर दिन बदलता दिख रहा है, और अंतिम नतीजे मतदान के बाद ही तय होंगे। महाराष्ट्र का यह चुनाव न सिर्फ राज्य के भविष्य पर असर डालेगा, बल्कि इसका राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर होगा। तो यह थी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की पूरी कहानी। वैसे आपको क्या लगता है इस बार महाराष्ट्र में किसकी सरकार बन सकती है, महायुति या महाविकास अघाड़ी और सीएम किसे चुना जा सकता है,