रीवा। आम फलों का राजा माना गया है। उसकी वजह है कि रीवा समेत विंध्य की भू-धरा आम के लिए काफी अनुकूल मानी गई है। यही वजह है कि इस धरती पर अमृत के सामान माना गया सुंदरजा, आम्रपाली, मल्लिका जैसे आम यहा तैयार हो रहे है। रीवा में लंगड़ा, दशहरी, चौसा, मालदहा समेत कई सैकड़ों प्रजाति तैयार हो रही है, इन में सबसे ज्यादा सुंदरजा आम देश और दुनिया में मशहूर है।
1885 में तैयार किया गया था सुंदरजा
गोविंदगढ़ के किला परिसर में मौजूद आम के बाग और सुंदरजा के पौधे रीवा राजघराने की देन है. बताया जाता है कि रीवा रियासत के महाराजा रघुराज सिंह जू देव ने साल 1885 में गोविंदगढ़ में इस खास आम की ब्रीड को तैयार करवाया था. जिसके बाद गोविन्दगढ़ किले के तालाब किनारे इसका रोपण किया गया था। 140 साल पहले तैयार यह आम अपनी मीठी खुशबू, स्वाद और कम चीनी के कारण जाना जाता है। गोविंदगढ़ की जलवायु और मिट्टी इस खास आम की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है। इसलिए यह आम सिर्फ रीवा जिले के गोविंदगढ़ में ही पैदा होता है।
ऐसी है विशेषताएँ
सुंदरजा आम में मिठास होती है, लेकिन यह शुगर के मरीजों के लिए भी सुरक्षित है क्योंकि इसमें शुगर की मात्रा कम होती है। सुंदरजा आम को जीआई टैग मिला है, जो इसकी वैश्विक पहचान को दर्शाता है। रीवा जिले के गोविंदगढ़ और कुठूलिया में प्रदेश का सबसे बड़ा आम अनुसंधान केंद्र स्थापित है, जहां सुंदरजा आम की विभिन्न प्रजातियों का अध्ययन किया जाता है।
विश्व स्तर पर पहचान
सुंदरजा आम को अब देश और दुनिया भर में पसंद किया जाता है, और इसे निर्यात भी किया जाता है। गोविंदगढ़ की नर्सरी को सुंदरजा आम की नर्सरी के रूप में विकसित किया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक लोग इस खास आम की खेती कर सकें। रीवा में सुंदरजा, आम्रपाली, मल्लिका, लंगड़ा, दशहरी, चौसा, सहित कई तरह के आम तैयार होते हैं. इनमें से सुंदरजा विशेष रूप से अपनी विशेषताओं के कारण प्रसिद्ध है, जिसे नाबार्ड ने भी मान्यता दी है। रीवा जिले में तैयार होने वाले अन्य आमों में…
आम्रपाली– यह बौनी किस्म का आम है जो हर साल फल देता है।
मल्लिका– यह आम्रपाली की तरह ही लोकप्रिय है और रीवा में आसानी से उपलब्ध है।
लंगड़ा– लंगड़ा आम का स्वाद भी खास होता है और यह मध्य प्रदेश में पाया जाता है।
दशहरी– यह आम अपने सुगंधित और मीठे स्वाद के लिए जाना जाता है।
चौसा– यह भी मध्य प्रदेश में पाए जाने वाले आमों में से एक है।