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हनुमानगढ़ी के महंत प्रेमदास ने तोड़ा 300 साल पुराना नियम, रामलला के दर्शन किए

अयोध्या की पवित्र धरती पर आज एक ऐतिहासिक घटना घटी, जब हनुमानगढ़ी मंदिर के गद्दी नशीन महंत प्रेमदास (Mahant Premdas) ने 300 साल पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए पहली बार मंदिर परिसर से बाहर कदम रखा और श्री राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के दर्शन (Ramlala Darshan) किए। अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के पावन अवसर पर आयोजित इस भव्य शोभायात्रा (Shobha Yatra) ने अयोध्या की सड़कों को भक्ति रंग में रंग दिया।

शोभायात्रा की भव्यता

सुबह 7 बजे हनुमानगढ़ी मंदिर के वीआईपी गेट से शुरू हुई यह शोभायात्रा अयोध्या के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ गई। शोभायात्रा में हाथी, घोड़े, ऊंट, नगा साधु, भक्त, और स्थानीय व्यापारी शामिल थे। ढोल-नगाड़ों और भक्ति भजनों के बीच यह यात्रा 1.6 किलोमीटर की दूरी तय कर राम मंदिर (Ram Mandir) पहुंची। महंत प्रेमदास, जो 70 वर्ष के हैं, ने भगवान हनुमान की पालकी के साथ यह यात्रा पूरी की, जिसे देखने के लिए हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े।

परंपरा टूटने की वजह

हनुमानगढ़ी के गद्दी नशीन (Gaddi Nasheen) को अयोध्या का आध्यात्मिक संरक्षक माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान राम ने अयोध्या की रक्षा का जिम्मा हनुमान को सौंपा था, और इसीलिए महंत को मंदिर परिसर से बाहर नहीं निकलना होता। यह परंपरा सदियों से चली आ रही थी, और महंत प्रेमदास ने पिछले 70 वर्षों में कभी भी 52 बीघा के मंदिर परिसर को नहीं छोड़ा, सिवाय अस्पताल जाने के।

लेकिन, कई महीनों से महंत प्रेमदास को स्वप्न में भगवान हनुमान के दर्शन हुए, जिन्होंने उन्हें राम मंदिर में रामलला के दर्शन करने का आदेश दिया। इस दैवीय संदेश (Divine Directive) को मानते हुए, महंत ने निर्वाणी अखाड़ा की पंचायत (Nirvani Akhara) से अनुमति मांगी। 21 अप्रैल को 400 सदस्यीय धार्मिक परिषद ने सर्वसम्मति से इस यात्रा को मंजूरी दी।

राम मंदिर में दर्शन

राम मंदिर पहुंचने पर महंत प्रेमदास ने रामलला की विशेष पूजा-अर्चना की और हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ किया। उनके साथ आए साधु-संतों और भक्तों ने भी इस पवित्र क्षण में हिस्सा लिया। इस दौरे को न केवल धार्मिक, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि हनुमानगढ़ी ने हमेशा राम जन्मभूमि आंदोलन से दूरी बनाए रखी थी।

भक्तों में उत्साह

इस ऐतिहासिक घटना ने अयोध्या के स्थानीय लोगों और राम भक्तों में उत्साह की लहर दौड़ा दी। एक स्थानीय भक्त ने कहा, “यह हमारे लिए गर्व का क्षण है। हनुमान जी के आशीर्वाद से महंत जी ने रामलला के दर्शन किए, यह अयोध्या की एकता का प्रतीक है।” शोभायात्रा के दौरान सड़कों पर फूलों की वर्षा की गई, और जगह-जगह भक्तों ने महंत का स्वागत किया।

अयोध्या का बदलता स्वरूप

राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा (Pran Pratishtha) के बाद से अयोध्या ने वैश्विक ध्यान खींचा है। 2024 में 13 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने राम मंदिर का दर्शन किया, जो ताजमहल को पीछे छोड़कर उत्तर प्रदेश का सबसे अधिक देखा जाने वाला स्थल बन गया। महंत प्रेमदास की यह यात्रा न केवल धार्मिक एकता को दर्शाती है, बल्कि अयोध्या की आध्यात्मिक महत्ता को और मजबूत करती है।

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