Mahakavi Bhushan Poem On Chhatrapati Shivaji Maharaj | इंद्र जिम जंभ पर, बाड़व सुअंभ पर, रावन सदंभ पर रघुकुलराज है।
पौन बारिबाह पर, संभु रतिनाह पर, ज्यौं सहस्रबाहु पर राम द्विजराज है दावा द्रुमदंड पर,
चीता मृगझुँड पर, भूषन बितुंड पर जैसे मृगराज है।
तेज तम-अंस पर, कान्ह जिम कंस पर, यौं मलेच्छ-बंस पर सेर सिवराज है॥
इस कविता में छत्रपति शिवाजी के शौर्य और पराक्रम का बखान करते हुए कवि भूषण कहते हैं- देवताओं के राजा इंद्र ने जिस तरह दैत्यपति जंभ को मारा था, बड़वाग्नि जिस तरह समुद्र के जल को सुखाती है, अहंकारी रावण पर जैसे रघुकुल के राजा राम विजय प्राप्त करते हैं, बादलों पर जैसे तेज वायु के प्रवाह का प्रभाव रहता है, भगवान शिव ने जैसे रतिपति कामदेव को भस्म किया था, सहस्त्रबाहु को जैसे द्विज राम अर्थात परशुराम मार डालते हैं, वन के वृक्षों को जैसे दावाग्नि जलाकर नष्ट कर देती है, चीते का आतंक जैसे मृगों के झुंडों पर होता है, हाथियों पर जैसे वनराज सिंह आतंक छाया रहता है, जिस पर प्रकाश किरणें अंधकार का खात्मा कर देती हैं, श्रीकृष्ण जैसे कंस का विनाश करते हैं। उसी प्रकार अपने शौर्य और पराक्रम के कारण छत्रपति शिवाजी मुग़लों पर भारी पड़ते हैं और उन्हें आतंकित करते हैं।