Bihar Bandh News Hindi: बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Vidhansabha Chunav 2025) से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के विरोध में महागठबंधन ने आज (9 जुलाई) बिहार बंद का आह्वान किया। इस बंद के तहत पटना, भोजपुर, जहानाबाद, दरभंगा, बेगूसराय और आरा समेत कई जिलों में महागठबंधन के कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्गों को जाम किया और कई जगहों पर ट्रेनें रोकीं।
महागठबंधन, जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल शामिल हैं, का आरोप है कि चुनाव आयोग का यह पुनरीक्षण अभियान गरीबों, दलितों, महादलितों और प्रवासी मतदाताओं के वोटिंग अधिकारों को छीनने की साजिश है। नेताओं का दावा है कि सत्यापन के लिए जटिल दस्तावेजों की मांग और सख्त नियमों के कारण कई मतदाताओं को सूची से हटाया जा सकता है, जिससे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में उनकी भागीदारी प्रभावित होगी।
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की अगुवाई में प्रदर्शनकांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस बंद में हिस्सा लेने के लिए पटना पहुंचे। वे और RJD नेता तेजस्वी यादव पटना में आयकर गोलंबर से चुनाव आयोग कार्यालय तक विरोध मार्च में शामिल हुए। राहुल गांधी ने इस अभियान को “लोकतंत्र पर हमला” करार देते हुए कहा कि यह गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को मतदान से वंचित करने की कोशिश है।
तेजस्वी यादव ने भी चुनाव आयोग पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया और मांग की कि यह पुनरीक्षण प्रक्रिया चुनाव के बाद की जाए। उन्होंने कहा, “यह बंद उन लोगों की आवाज है जिनके मताधिकार को खतरे में डाला जा रहा है।”
प्रदर्शन और चक्का जाम का असरबंद के दौरान कई जगहों पर तनावपूर्ण स्थिति देखी गई। दरभंगा में RJD कार्यकर्ताओं ने नमो भारत ट्रेन को रोका, जबकि जहानाबाद में RJD की छात्र शाखा ने रेलवे ट्रैक और NH-82 को जाम किया। पटना के मनेर में NH-30 पर टायर जलाकर सड़क जाम की गई। बेगूसराय और आरा में भी राष्ट्रीय राजमार्गों पर यातायात प्रभावित हुआ।
कई संगठनों, जैसे इमारत-ए-शरिया, जमीयत उलेमा-ए-हिंद और मुस्लिम मजलिस-ए-मशावरत, ने भी इस बंद को समर्थन दिया और इसे संवैधानिक अधिकारों पर हमला बताया।
चुनाव आयोग का जवाबचुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि विशेष गहन पुनरीक्षण एक सामान्य और कानूनी प्रक्रिया है, जो हर चुनाव से पहले की जाती है। आयोग के अनुसार, यह प्रक्रिया बिहार में अवैध विदेशी प्रवासियों को मतदाता सूची से हटाने और सूची को अपडेट करने के लिए शुरू की गई है। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि सत्यापन के लिए मांगे जा रहे दस्तावेजों की जटिलता और कम समयसीमा के कारण कई वैध मतदाता भी प्रभावित हो सकते हैं।
कानूनी और राजनीतिक कदममहागठबंधन ने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में भी उठाने की योजना बनाई है। 10 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई होनी है। इसके अलावा, विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर मिलीभगत का आरोप लगाया है, जिसे वे बिहार चुनाव में सत्तारूढ़ NDA को फायदा पहुंचाने की साजिश मानते हैं।
सुरक्षा व्यवस्था और जनजीवन पर असरप्रदर्शन के मद्देनजर पटना और अन्य जिलों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। पुलिस ने कई प्रमुख चौराहों पर बैरिकेड्स लगाए और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किए। बंद के कारण कई जगहों पर यातायात और रेल सेवाएं प्रभावित हुईं, जिससे आम जनजीवन पर असर पड़ा।
यह बंद न केवल मतदाता सूची पुनरीक्षण के खिलाफ एक राजनीतिक प्रदर्शन है, बल्कि बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष की एकजुटता और रणनीति को भी दर्शाता है।