Madhya Pradesh Me Corona Ke Mamle: मध्य प्रदेश में एक बार फिर कोरोना वायरस (Corona Virus In MP) का खतरा बढ़ रहा है। हाल के दिनों में, प्रदेश में कुल 50 लोग कोरोना से संक्रमित (Corona Infected Cases In MP) पाए गए हैं, और सक्रिय मामलों की संख्या (Corona Active Cases MP) 36 तक पहुंच गई है। इनमें से अधिकांश मामले इंदौर, भोपाल, और उज्जैन जैसे शहरों से सामने आए हैं। बीते बुधवार और गुरुवार को ही 17 नए मामले (New Corona Cases MP) दर्ज किए गए, जिनमें भोपाल में 3 नए मरीज (Bhopal Corona Cases) शामिल हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि सभी मामले निजी अस्पतालों में हुई जांच से सामने आए हैं, क्योंकि सरकारी अस्पतालों में अभी तक आरटी-पीसीआर टेस्टिंग (RT-PCR Testing) शुरू नहीं हो पाई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकारी अस्पतालों में जांच शुरू हुई, तो मामले और तेजी से बढ़ सकते हैं।
मध्य प्रदेश में कोरोना की स्थिति
हाल के आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में अब तक 50 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से 13 मरीज ठीक हो गए हैं (Recovered Cases)। वर्तमान में 36 सक्रिय मामले हैं, जिनमें से 4 इंदौर, 1 उज्जैन, और 3 भोपाल में हैं। बीते 24 घंटों में 9 नए मामले सामने आए, जो चिंता का विषय है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि नए सब-वेरिएंट (New Sub-Variants) के कारण मामले बढ़ रहे हैं, और सीमित जांच के कारण वास्तविक स्थिति और गंभीर हो सकती है। भोपाल में एक महिला मरीज की हाल ही में निजी अस्पताल में पॉजिटिव रिपोर्ट आई, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग सक्रिय हुआ, लेकिन सरकारी स्तर पर अभी तक ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
सरकारी अस्पतालों में जांच सुविधाओं का अभाव
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों, जैसे भोपाल के जेपी अस्पताल (JP Hospital) और हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital), में अभी तक कोरोना की जांच शुरू नहीं हुई है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी यह कह रहे हैं कि उन्हें अभी तक कोई नई गाइडलाइन (Health Guidelines) नहीं मिली है। गांधी मेडिकल कॉलेज (Gandhi Medical College) में स्टेट वायरोलॉजी लैब (State Virology Lab) को विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) द्वारा दी गई 5 करोड़ रुपये की जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन (Genome Sequencing Machine) भी बेकार पड़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकारी अस्पतालों में जांच शुरू होती है, तो मामलों की संख्या में भारी वृद्धि (Significant Case Increase) हो सकती है, क्योंकि अभी निजी अस्पतालों में ही जांच हो रही है और वहां सीमित लोग ही टेस्ट करा रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग और सरकार की लापरवाही
स्वास्थ्य विभाग और मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) पर लापरवाही के गंभीर आरोप लग रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ (Kamal Nath) ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में जांच शुरू न होना और निजी अस्पतालों के मरीजों की जानकारी का अभाव सरकार की नाकामी को दर्शाता है। उन्होंने चेतावनी दी कि कोरोना का विकराल रूप पहले देखा जा चुका है, और मौजूदा लापरवाही स्थिति को और बिगाड़ सकती है। भोपाल और उज्जैन में सरकारी अस्पतालों में टेस्टिंग किट ( Corona Testing Kits) की कमी और जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing) की सुविधा न होने से वेरिएंट की पहचान (Variant Detection) में देरी हो रही है।
निजी अस्पतालों पर निर्भरता
अब तक सामने आए सभी 50 मामले निजी अस्पतालों में जांच (Private Hospital Testing) के जरिए पकड़े गए हैं। इंदौर में 4 और भोपाल में 3 मरीजों की पहचान निजी अस्पतालों ने की। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में जांच की सुविधा न होने के कारण केवल वही लोग टेस्ट करा रहे हैं, जो निजी अस्पताल्स में इलाज के लिए जा रहे हैं। अगर सरकारी अस्पतालों में बड़े पैमाने पर जांच शुरू होती है, तो मामलों में तेज उछाल देखने को मिल सकता है, क्योंकि ग्रामीण और छोटे शहरों में भी वायरस फैलने की आशंका है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि सीमित टेस्टिंग और जीनोम सीक्वेंसिंग की कमी के कारण नए वेरिएंट का पता नहीं चल पा रहा है। अगर सरकार तुरंत टेस्टिंग बढ़ाने और जीनोम सीक्वेंसिंग शुरू करने के लिए कदम नहीं उठाती, तो स्थिति अनियंत्रित हो सकती है। विशेष रूप से बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, और गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों को मास्क पहनने और सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।