MAA BRAHMACHARINI सिंघाड़ा गुलगुले रेसिपी -“मां के लिए बनाएं उनका पसंदीदा मीठा भोग” – नवरात्रि का पर्व शक्ति की साधना और देवी के नौ रूपों की उपासना का पर्व है। प्रत्येक दिन माता के एक विशेष स्वरूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है, जो तपस्या, संयम और ज्ञान की देवी हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सादगीपूर्ण, सात्विक और हल्के भोजन का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसी क्रम में हम आज बात करेंगे सिंघाड़े के गुलगुले की एक स्वादिष्ट, मीठा और पौष्टिक व्यंजन जो व्रत में भी खाया जा सकता है और जिसे माँ ब्रह्मचारिणी को अर्पित करने पर भक्त को तप, संयम और मनोबल की शक्ति प्राप्त होती है।
मां ब्रह्मचारिणी की महिमा – मां ब्रह्मचारिणी, दुर्गा मां का दूसरा स्वरूप हैं। उनका नाम ‘ब्रह्म’ (ज्ञान/तप) और ‘चारिणी’ (आचरण करने वाली) से बना है। वे हाथ में जपमाला और कमंडल धारण करती हैं। उनका स्वरूप साधना और संयम का प्रतीक है। इस दिन व्रती व्यक्ति को सात्विक भोजन करना चाहिए और मां को ऐसे भोग अर्पित करना चाहिए जो हल्का, पचने में आसान और शरीर व मन दोनों के लिए शुद्धिकारक हो। सिंघाड़ा (जलफल) का आटा इसी कारण इस दिन के लिए आदर्श माना जाता है।
सिंघाड़ा और गुड़ के फायदे – इस रेसिपी को समझने से पहले सिंघाड़े और गुड़ के पोषण गुणों को जानना जरूरी है। यह ग्लूटेन-फ्री होता है, इसलिए व्रत में उपयुक्त है। शरीर को ठंडक देता है और डिटॉक्स भी करता है, इसमें पोटैशियम ,फाइबर और विटामिन B6 प्रचुर मात्रा में होते हैं।
गुड़ (Jaggery) – रक्त यानि ख़ून को शुद्ध करता है और एनर्जी बूस्टर है,आयरन और मिनरल्स का अच्छा स्रोत है। पाचन में सहायक और स्वाद में मीठा लेकिन संतुलित ,इस प्रकार सिंघाड़ा और गुड़ का मेल शरीर को ऊर्जा देता है और व्रत के दौरान कमजोरी नहीं आने देता।
सिंघाड़ा गुलगुले रेसिपी – अब आइए जानते हैं इस खास व्यंजन को बनाने की आसान विधि।
सिंघाड़ा गुलगुले रेसिपी आवश्यक सामग्री
1 कप – सिंघाड़े का आटा
½ कप – गुड़ (पिघला हुआ)
½ कप – पानी
1 छोटी – इलायची (पिसी हुई)
1 छोटा – चम्मच देसी घी
तलने के लिए तेल या घी
सिंघाड़ा गुलगुले रेसिपी बनाने की विधि – सबसे पहले घोल तैयार करें पिघले हुए गुड़ को पानी में मिलाकर एक मीठा घोल तैयार करें। इसे छान लें ताकि कोई अशुद्धि न रह जाए।अब सिंघाड़े के आटे में यह गुड़ का पानी डालें। पिसी इलायची मिलाएं और अच्छी तरह घोलें। घोल न ज्यादा गाढ़ा हो न ज्यादा पतला। तैयार घोल को 10 मिनट के लिए ढककर रख दें,इससे आटा फूल जाता है व गुलगुले अंदर से नरम बनते हैं। एक कड़ाही में तेल या घी गर्म करें, घोल को छोटे-छोटे चम्मच से डालकर सुनहरा होने तक तलें। ठण्डा करके भोग लगाएं और परोसें ,तैयार गुलगुले गरमागरम मां ब्रह्मचारिणी को अर्पित करें, फिर परिवार के साथ प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
धार्मिक महत्व – सिंघाड़ा गुलगुले केवल स्वाद का ही नहीं, बल्कि श्रद्धा और संयम का प्रतीक भी हैं, नवरात्रि के इस दिन ऐसे भोग लगाने से – मन को शांति और स्थिरता मिलती है,तपस्या और संयम के गुण जीवन में बढ़ते हैं। व्रत रखने वाले को ऊर्जा मिलती है,परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।
हेल्थ टिप्स और वैरिएशन – यदि आप गुड़ नहीं खाते, तो शहद या नारियल चीनी का प्रयोग कर सकते हैं।घी में तलने से यह और भी सात्विक और स्वादिष्ट हो जाते हैं,चाहें तो बारीक कटे नारियल या सूखे मेवे मिलाकर इसे और पौष्टिक बना सकते हैं।
विशेष – सिंघाड़ा गुलगुला सिर्फ एक पकवान नहीं है, बल्कि यह माँ ब्रह्मचारिणी के चरणों में अर्पित एक श्रद्धासुमन है। यह व्यंजन हमें याद दिलाता है कि जीवन में मिठास और संयम का संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है। इस नवरात्रि, आप भी यह स्वादिष्ट व्यंजन बनाएं, माँ को अर्पित करें और परिवार के साथ प्रसाद रूप में इसका आनंद लें। विश्वास कीजिए, इसका स्वाद और आध्यात्मिक सुख आपको दिनभर ताजगी और सकारात्मकता से भर देगा।