Hasrat Jaipuri Biography In Hindi | न्याज़िया बेगम | तुम मुझे यूं भुला न पाओगे, जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे संग संग तुम भी गुनगुनाओगे, एक दफा यूं ही कह दिया था उन्होंने, वो भी नहीं जानते थे कि हम सच में उन्हें कभी न भूल पाएंगे और उनका ये नग़्मा सदाबहार होकर उन्हीं की तरह हमारे दिल के क़रीब रहेगा।
Hasrat Jaipuri Birth Anniversary
बेशक आप हमारा इशारा समझ गए होंगे, जी हां हम बात कर रहें हैं ऐसे ही कई बेशकीमती नग़्मों का खज़ाना हमारे नाम करने वाले इक़बाल हुसैन की। जिन्होंने अपनी शायरी शुरू की हसरत तखल्लुस के साथ और जयपुर से नाता होने की वजह से वो हसरत जयपुरी हो गए। आपका जन्म जयपुर में ही हुआ था जहां उन्होंने स्कूल की पढ़ाई के साथ अपने नाना, कवि फ़िदा हुसैन ‘फ़िदा’ से उर्दू और फ़ारसी में तालीम हासिल की और जब क़रीब बीस बरस के हुए, तब से पद्य लिखना शुरू कर दिया था।
एक इंटरव्यू में किया इश्क़ का ज़िक्र:- | Hasrat Jaipuri Love Story
ये उन्ही दिनों की बात है जब उन्हें पड़ोस की राधा नाम की लड़की से प्यार हो गया था।
हसरत जी ने अपने जीवन के आख़िर में अपने इश्क़ को बयां किया एक साक्षात्कार में इस लड़की को लिखे प्रेम पत्र के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा था कि प्यार का कोई धर्म नहीं होता। मेरा प्यार खामोश था।
राधा के नाम का प्रेम पत्र बन गया गाना:- | Hasrat Jaipuri Love Interest
इंटरव्यू में उन्होंने आगे बताया कि, मैने ख़ामोशी इख़्तेयार की थी लेकिन उसके लिए एक कविता लिखी, ‘ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर, के’ तुम नाराज़ न होना।”अब ये मुझे नहीं पता कि सच में वो प्रेम पत्र राधा तक पहुंचा या नहीं पर ये पक्तियां अनुभवी फिल्म निर्माता राज कपूर को काफी पसंद आईं और उन्होंने इसे अपनी 1964 की हिंदी फिल्म संगम में शामिल किया और ये गाना बेहद हिट हुआ ।
कैसे मिला पहला गाना :- | Hasrat Jaipuri Lyricist
पढ़ाई के बाद हसरत मुंबई आ गए और बस कंडक्टर की नौकरी करने लगे साथ ही वो मुशायरों में भी शिरकत करते थे और ऐसे ही एक मुशायरे में पृथ्वीराज कपूर की नज़र जयपुरी पर पड़ी और उन्होंने अपने बेटे राज कपूर से उनकी सिफारिश की , तब राज कपूर शंकर-जयकिशन के साथ संगीतमय प्रेम कहानी, 1949 की फिल्म बरसात बनाने के बारे में सोच रहे थे और जब गीतकार की ज़रूरत पेश आई तो उन्होंने फौरन हसरत जयपुरी को चुन लिया इस तरह जयपुरी जी ने फिल्म के लिए अपना पहला रिकॉर्डेड गाना जिया बेकरार है लिखा। उनका दूसरा गाना था’छोड़ गए बालम’ ।
लंबे वक्त तक जुड़े रहे राज कपूर के साथ :- | Hasrat Jaipuri and Rajkapoor
शैलेन्द्र के साथ , हसरत जयपुरी ने भी 70 के दशक तक राज कपूर की फिल्मों के लिए एक से बढ़कर एक गीत लिखे इसके बाद की फिल्मों में उन्होंने और गीतकारों को लिया ।
पटकथा भी लिखी :- | Hasrat Jaipuri Writer
जब साथी गीतकार शैलेन्द्र ‘ तीसरी कसम’ के निर्माता बने , तो उन्होंने जयपुरी को फिल्म के लिए गीत लिखने के लिए आमंत्रित किया और तब ही उन्होंने 1951 की फिल्म हलचल के लिए पटकथा भी लिखी।
एक बार फिर राज कपूर की फिल्म से मचा दी धूम :- | Hasrat Jaipuri Suparhit Film
एक लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर राज कपूर ने उनसे अपनी 1985 की फिल्म, राम तेरी गंगा मैली के लिए गीत लिखवाए जिसके लिए उन्हें धुन दी गई थी और वो उस मीटर पर कई लाइनें लिख गए और इनमें से राजकपूर के पसंदीदा अंतरे इस फिल्म के गीतों के ज़रिए आज हमारे सामने हैं ।
इन गीतों को कलमबद्ध करके उन्होंने सिद्ध कर दिया कि वो एक अज़ीम शायर थे ।
हिंदी और उर्दू दोनों में किया काम :- | Hasrat Jaipuri worked in both Hindi and Urdu
हसरत जयपुरी ने हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में कविता की कई किताबें लिखीं। उन्होंने एक बार कहा था, “हिंदी और उर्दू दो महान और अविभाज्य बहनों की तरह हैं इन्हें अलग नहीं किया जा सकता ।
(आबशार-ए-ग़ज़ल) हसरत जयपुरी की शायरी का एक ऐसा ही उम्दा संकलन है।
उनके लिखे गीतों की फ़ेहरिस्त बहोत लंबी है फिर भी अगर हम कुछ बेमिसाल नग़्मों को याद करें तो हमारे ज़हन में फौरन दस्तक देते हैं :-
युडली युडली के बोलों से सजा
जिंदगी एक सफर है सुहाना, फिल्म
अंदाज़ का गीत ।
तेरी प्यारी प्यारी सूरत को किसी की नज़र न लगे :- | Hasrat Jaipuri famous song
फिल्म ससुराल का गाना जिसके लिखने के पीछे उन्होंने एक यादगार लम्हें के बारे में बताते हुए कहा था कि उस दिन उनका बेटा पैदा हुआ था और उसकी प्यारी सूरत को देखकर उन्हें ये मुखड़ा याद आया था जिसे फिल्म में नायिका की खूबसूरती बयान करने के लिए इस्तेमाल किया गया ।
ऐसे ही, बदन पे सितारे लपेटे हुए:- | Hasrat Jaipuri popular songs
फिल्म राजकुमार के गीत को लिखने बैठे तो उस समय वो विदेश में थे जहां चमकीली पोशाक पहने, एक महिला को देखकर उन्हें ये गीत लिखने की प्रेरणा मिली। और भी ऐसे ही जाने कितने दिलकश गीत उनकी कल्पना के पंख लगाकर कागज़ पे उतरे और सदाबहार हो गए। जैसे-पंख होते तो उड़ आती रे, फिल्म सेहरा। तेरे ख्यालों में हम, फिल्मगीत गाया पत्थरों ने से। एहसान तेरा होगा मुझ पर, गीत फिल्म जंगली से। अजी रूठ कर अब कहां जाइयेगा, फिल्मआरज़ू से। अजहूँ ना आये बालमा, फिल्म साँझ और सवेरा से। दुनिया बनानेवाले, फिल्म तीसरी कसम से। और उनके ख्याल आये तो, फिल्म लाल पत्थर से।
सन 2004 तक वो सक्रिय रहें पर ये दिलनशीन सफर न थमता तो अच्छा था पर 17 सितंबर 1999 को वो इस फानी दुनिया को अलविदा कह गए।
चलते चलते हम आपको एक बात और बता दें कि :- | Hasrat Jaipuri received awards and honors
आपको फ़िल्मफ़ेयर में सर्वश्रेष्ठ गीतकार का पुरस्कार मिला – गीत ज़िन्दगी एक सफ़र है सुहाना, 1971 की फिल्म अंदाज़ के लिए और गीत बहारो फूल बरसाओ के लिए 1966 की सूरज फ़िल्म के लिए मिला। उन्हें जोश मलीहाबादी पुरस्कार उर्दू सम्मेलन में दिया गया। साथ ही उन्हें डॉ. अम्बेडकर पुरस्कार, दिया गया झनक झनक तोरी बाजे पायलिया 1968 की फिल्म मेरे हुज़ूर के एक ब्रजभाषा गीत के लिए, इसके अलावा हसरत जयपुरी को वर्ल्ड यूनिवर्सिटी राउंड टेबल से डॉक्टरेट की उपाधि से भी सम्मानित किया गया।
वो ऐसे सुख़नवर थे जिनके नग़्मों ग़ज़लों के साथ शेर भी दिल में आला मकाम रखते हैं तो ग़ौर फरमाइएगा –
दीवार है दुनिया इसे राहों से हटा दे
हर रस्म-ए-मोहब्बत को मिटाने के लिए आ
वो सबा महकी महकी
ख़ुदा जाने किस-किस की ये जान लेगी
वो क़ातिल अदा वो सबा महकी महकी
हम रातों को उठ उठ के जिन के लिए रोते हैं
वो ग़ैर की बांहों में आराम से सोते हैं
थाम तो लो मैं नशे में हूं
उस मैकदे की राह मे गिर जाऊं न कहीं
अब मेरा हाथ थाम तो लो मैं नशे में हूं
प्यार सच्चा हो तो राहें भी निकल आती हैं
बिजलियां अर्श से ख़ुद रास्ता दिखलाती हैं
नज़र से बचा कर चले गए
कहने को वो हसीन थे आंखें थीं बेवफ़ा
दामन मेरी नज़र से बचा कर चले गए
जाने क्यों तेज़ हुई जाती है दिल की धड़कन
चुटकियां लेती है क्यों सीने में मीठी सी चुभन
किस वास्ते लिक्खा है हथेली पे मेरा नाम
मैं हर्फ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यूं नहीं देते
किस वास्ते लिक्खा है
हम अश्क़ जुदाई के गिरने ही नहीं देते
बेचैन सी पलकों में मोती से पिरोते हैं…।
ये वो दिलनशीं कारवां है जो उनको हमेशा जावेदाँ रखेगा।