Loksabha Election 2024: देश लोकसभा चुनाव की दहलीज पर खड़ा है. पंचायत, प्रखंड और जिलों में पार्टी कार्यकर्त्ता और पार्टी पदाधिकारियों की गाड़ी सरपट दौड़ने लगी है. छोटी-बड़ी सभी राजनितिक पार्टियों ने अपने पार्टी संगठन को एक्टिव मोड में लाकर खड़ा कर दिया है और सीट को लेकर लगातार बैठकें कर रही हैं. हाल ही में भारतीय जनता पार्टी ने अपने 195 सीटों पर लोकसभा प्रत्याशियों का ऐलान किया। लेकिन इस 195 सीटों पर जब प्रत्याशियों के नाम का ऐलान हुआ तो इसमें बिहार की एक भी सीट को शामिल नहीं किया गया. बिहार की राजनीति में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. भाजपा बिहार में अपने घटक दलों के साथ सीट शेयरिंग के मामले को अभी तक सुलझा ही नहीं सकी है. बिहार में भाजपा के साथ उनके 5 सहयोगी दल हैं. जदयू, जीतन राम मांझी की हम, पशुपति पारस की रालोजपा, चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास), और एक उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी। इन पांच सहयोगी में चिराग पासवान (Chirag Paswan) और उपेंद्र कुशवाहा के साथ बात नहीं बन पा रही है. सूत्रों से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि लोजपा 6 सीटों की मांग कर रही है लेकिन भाजपा की ओर से सिर्फ 4 सीट देने की ही बात चल रही है.
क्या है लोजपा के साथ की गुत्थी
2019 के लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) में लोजपा को 6 सीट मिली और पार्टी ने सभी 6 सीटों पर विजय प्राप्त की. फिर जब 2020 विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारा किया गया तो लोजपा को लोकसभा के फॉर्मूले के हिसाब से उचित सीट नहीं मिल सकी और चिराग अकेले ही चुनावी मैदान में कूद पड़े. इस चुनाव का नतीजा यह रहा कि लोजपा के बस एक ही विधायक जीत पाए और वो भी फिर जदयू में शामिल होगये। लेकिन, लोजपा ने इस चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी को जो नुकसान पहुँचाया वो जदयू कभी नहीं भुला पाई. इस चुनाव में चिराग पासवान (Chirag Paswan) जिस तरह से सीएम नीतीश के खिलाफ अपनी जनसभाओं में बोल रहे थे उससे यह सीधा देखा जा सकता था कि ये तल्खियां बढ़ती जा रही है और ये तल्खियां चुनाव खत्म होते होते इतनी बढ़ गई कि सीएम नीतीश ने चिराग (Chirag Paswan) से बदला लेने के नाम पर पार्टी और परिवार दोनों में फूट डाल दी. 2021 में पार्टी टूट गई. चाचा पारस ने 5 सांसदों के साथ अलग पार्टी बना ली और वही पार्टी आज NDA में सीट शेयरिंग के लिए समस्या खड़ा कर रही है.
क्या है चाचा भतीजा के बीच की लड़ाई?
इस पूरी लड़ाई की केंद्र बिंदु है हाजीपुर सीट. इसी सीट से लोजपा संस्थापक रामविलास पासवान चुनाव लड़ते थे लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में रामविलास ने अपनी इस सीट से अपने भाई पशुपति पारस (Pashupati Kumar Paras) को चुनाव लड़ाया क्योंकि रामविलास का राज्यसभा जाना तय होगया था. अब जब पार्टी टूट चुकी है तो चिराग अपने पिता की सीट को अपने पास चाहते हैं तो वहीं पारस (Pashupati Kumar Paras) उस सीट को छोड़ना नहीं चाहते हैं. शब्द साँची के सूत्र से यह खबर की प्राप्ति हुई है कि लोजपा रामविलास को 4 सीटों का ऑफर मिला है जिनमें हाजीपुर,वैशाली, जम्मूई और खगड़िया शामिल है. लेकिन यहां पेंच फंसा है 3 सीटों पर जिसमें समस्तीपुर और नवादा सीट है. चिराग चाहते हैं कि उन्हें उनकी पुरानी दो और नवादा और समस्तीपुर सीट भी मिले।
क्या है नवादा सीट का समीकरण?
BJP इस बार नवादा (Nawada Loksabha Seat) सीट को अपने पास ही रखना चाहती है. इस सीट को BJP सुरभाजन सिंह (Surajbhan Singh) परिवार लिए रखना चाहती है. लेकिन, चिराग इस सीट को अपने राष्ट्रिय नेता और जहानाबाद से पूर्व सांसद अरुण कुमार (Arun Kumar) के लिए चाहते हैं. अभी इस सीट से सूरजभान सिंह के भाई LJP के पारस गुट से सांसद हैं. ऐसी स्थिति में जब BJP इस सीट को अपने पास ही रखना चाहती है तो लोजपा इसके बदले जहानाबाद सीट की मांग कर रही है. अब फैसला क्या होता है ये भविष्य की बात है.
किसके खाते में जायेगी जम्मूई?
जम्मूई सीट (Jammui Loksabha Seat) से LJP (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) सांसद हैं. 2014 में उन्होंने चुनावी राजनीति की शुरुआत यहीं से की थी. लेकिन, अब 10 साल बाद चिराग का मन बदल चूका है और अब वो चाचा पारस से अपने पिता की हाजीपुर सीट छीन लेना चाहते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर चिराग हाजीपुर जायेंगे तो जम्मूई से कौन? तो इसके बारे में खबर यह है कि जम्मूई सीट इस बार जदयू चाहती है. सीएम नीतीश इस सीट से अपने करीबी नेता अशोक चौधरी को उतारना चाहते हैं. लेकिन यहाँ पेंच यह फंस रहा है कि क्या लोजपा इसे स्वीकार करेगी? तो जवाब है हां, बशर्ते इसके बदले उन्हें वालमीकि नगर सीट दी जाए. वालमीकि नगर सीट से चिराग अपने करीबी और लोजपा (रामविलास) के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी को उतारेंगे। लेकिन इस समझौता के लिए जदयू तैयार होगी या नहीं ये स्पष्ट नहीं है.
क्या होगा समस्तीपुर सीट का?
समस्तीपुर सीट (Samastipur Loksabha Seat) से वर्तमान में प्रिंस राज सांसद हैं. जो अपने चाचा पारस के गुट में हैं. समस्तीपुर से प्रिंस के पिता रामचंद्र चंद्र पासवान सांसद थे. लेकिन, 2019 लोकसभा चुनाव के पश्चात उनके निधन हो जाने के बाद जो उपचुनाव हुआ उसमें प्रिंस राज अपने पिता के सीट को बचाने में सफल हुए. अब 2024 लोकसभा चुनाव नजदीक है ऐसे में यह पूछा जाना वाजिब है कि क्या प्रिंस फिर से समस्तीपुर से उम्मीदवारी करेंगे या ये सीट भी चिराग गुट छीन लेगा। ऐसे में सूत्रों से खबर मिल रही है कि समस्तीपुर (Samastipur Loksabha Seat) सीट इस बार चिराग गुट को नहीं मिल रही है. यहां से पशुपति पारस (Pashupati Kumar Paras) का चुनाव लड़ना लगभग लगभग तय है. पशुपति पारस को यहां से चुनाव लड़ाने के लिए प्रिंस राज को बिहार विधानपरिषद का सदस्य बनाया जाएगा।