आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर NDA और INDIA दोनों ही तैयारियों में जुटी हुई हैं. भारतीय जनता पार्टी 22 जनवरी की तारीख को अपना ब्रह्मसत समझ रही है तो इंडिया से अलग अपने दबदावे को कायम रखने के लिए भारत जोड़ो न्याय यात्रा को गेम चेंजर मान रही है. यह यात्रा राहुल गांधी के नेतृत्व में ही रहेगी, लेकिन यहीं से असली कन्फ्यूजन शुरू होता है कि कांग्रेस आखिर लोकसभा चुनाव 2024 में पीएम फेस किसे मान रही है क्योंकि इंडिया गठबंधन की हालिया बैठक में तो कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे को आगे किया गया है फिर भी देश की जनता में एक सवाल बरकरार है ‘मोदी बनाम कौन?'(Modi vs Who)
क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चनौती दे पाएगी INDIA?
करीब दस साल से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा हैं. हालिया विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा. भारतीय जनता पार्टी न न सिर्फ मध्य प्रदेश में अपनी सर्कार बचने में कामयाब रही बल्कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस को सत्ता से बहार कर दिया। इन तीनों ही राज्यों में चुनाव मोदी के नाम पर लड़ा गया. मध्य प्रदेश में तो नारा तक दिया गया- ‘एमपी के मन में मोदी, मोदी के मन में एमपी’.इतना ही नहीं भाजपा ने इन तीनो राज्यों में नए मुख्यमंत्री बनाए बिना किसी विरोध के. मौजूदा भारतीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व को बड़ी आबादी पसंद करती है. कुछ लोग उन्हें ‘विश्व गुरु’ के रूप में देखते हैं. ऐसे में क्या खड़गे मोदी को चुनौती दे पाएंगे? “मौजूदा परिस्थितियों में ये नहीं लगता कि मल्लिकार्जुन खड़गे मोदी को मज़बूत चुनौती दे पाएंगे. मोदी एक लोकप्रिय नेता हैं.
क्या खड़गे अपनी इस तरह की छवि गढ़ पाएंगे?
19 दिसंबर को दिल्ली में हुई INDIA गठबंधन की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री के तौर पर मल्लिकार्जुन का नाम दलित चेहरे के रूप में प्रस्तावित किया था. जिसका दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने समर्थन किया. अगर इंडिया गठबंधन प्रधानमंत्री के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आगे करती है तो क्या खड़गे अपनी छवि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह गढ़ने में कामयाब हो पाएंगे? क्योंकि मलिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बने एक साल से ज्यादा हो गया है. लेकिन खड़गे अपनी टीम का गठन अभी तक नहीं कर पाए हैं. जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार दौरे में रहते हैं उनकी लार्जर दैन लाइफ़’ यानि विराट छवि है उसके पीछे मिडिया और मार्केटिंग भी है, लेकिन भारत में नेता और कद विज्ञापन और मार्केटिंग से नहीं बनता हैं. मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद अपनी इमेज बनाने पर बहुत खर्च किया है. दुनिया में शायद ही कोई ऐसा नेता हो जिसने अपनी छवि ऐसी गढ़ी हो.इस नजरिए से देखें तो कोई भी नेता मोदी का मुकाबला नहीं कर पाएगा. लेकिन भारत में लोकतंत्र है. भारत में नेता जनता के बीच से निकलकर आते हैं, जिस तरह से मोदी इसी देश में जनता के बीच से निकलकर आए हैं, वैसे ही खड़गे हैं, देश उन्हें भी पसंद कर सकता है. लेकिन ये भी सच है कि भारत की बड़ी आबादी आज नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व से प्रभावित है. ऐसे में खड़गे के लिए उन्हें चुनौती देना आसान नहीं होगा.” इस देश में सनातन धर्म को मानने वाले लोग बहुतायत में है, मलिकार्जुन खड़गे जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनकर आए थे, तब उन्होंने कहा था कि- मोदी जी को अगर और शक्ति मिलेगी तो समझो फिर इस देश में सनातन धर्म और RSS की हुकूमत आएगी” इस तरह के बयान से क्या वो अपनी छवि मोदी की तरह विराट बनाने में सफल हो पाएंगे? क्योंकि मोदी तो हिंदुत्व के सर्वमान्य नेता है.
कांग्रेस की चुनौती
राहुल गांधी कांग्रेस को लोकसभा चुनाव तक बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के लिए कितना तैयार कर पाएंगे. यह सवाल उठ रहा है क्योंकि अभी भी इंडिया गठबंधन को कोई ठोस दिशा मिलती नहीं दिख रही है. इसके नेता न तो प्रधानमंत्री का कोई चेहरा तय कर पाए हैं और न ही अभी ये तय है कि गठबंधन में आखिर तक कौन रहेगा और कौन नहीं. कांग्रेस चूंकि गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए लोग राहुल गांधी से बड़ी भूमिका निभाने की उम्मीद कर रहे हैं, क्या अगला लोकसभा चुनाव कांग्रेस और राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता के लिए ज्यादा बड़ी चुनौती साबित होगा. क्या कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव से पहले संगठन में जो फेरबदल किया है उसका उसे कोई चुनावी लाभ मिल पाएगा.ये सवाल भी उठ रहा है कि पार्टी में बदलाव के बावजूद भी राहुल गांधी इसे चुनावी सफलता क्यों नहीं दिला पा रहे हैं.