BJP candidate list 2 Updates: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भारतीय जनता पार्टी ने प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. अपने फैसले से चौंका देने वाली BJP इस बार मध्य प्रदेश से कोई चौंकाने वाला चेहरा घोषित न कर फिर से चौंका दिया है. बची पांच सीटों में से छिंदवाड़ा ही एकमात्र ऐसी सीट थी जिसके लिए कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी यहां कुछ बड़े फैसले ले सकती थी. लेकिन वहां कमलनाथ (Kamalnath) के सामने दो बार विधानसभा चुनाव हार चुके चेहरे को फिर से मौका देकर नया गेम खेला है. चेहरा भले ही 44 साल के विवेक बंटी साहू हैं लेकिन यहां पूरी पार्टी चुनाव लड़ेगी।
BJP Candidates 2nd List for Lok Sabha Polls: बीते दिन बुधवार को जिन पांच सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए गए., उनमें छिंदवाड़ा, उज्जैन, धार और बालाघाट शामिल हैं. चेहरे के सामने आ चुके हैं. खास बात यह है इस बार पार्टी ने 50-50 का फार्मूला अपनाया गया. जितने नए, लगभग उतने ही पुराने।
भाजपा कमलनाथ का मुकाबला कैसे करेगी?
विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी ने अपनी तैयारी शुरू कर दी थी. पार्टी कमलनाथ (Kamalnath) की राजनितिक ताकत को अच्छी तरह जानती-समझती है. जब कमलनाथ और नकुलनाथ (Nakulnath) को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, तब पार्टी अपने मनसूबे यानि की कमलनाथ से जुड़े कांग्रेस (Congress) के लोगों को अपने पाले में करने का अभियान चला रही थी।
यह पहली बार हुआ कि छिंदवाड़ा में कांग्रेस के पूर्व विधायक से लेकर मौजूदा नगर पालिका अध्यक्ष तक ने भगवा का गमछा ओढ़ लिया है. दवा किया जा रहा है कि अब तक 100 से ज्यादा पदाधिकारी कमलनाथ का साथ छोड़ चुके हैं. इस मुहीम में पार्टी ने पूरी तरह ताकत लगाई। दो हार के बावजूद विवेक बंटी साहू (Vivek Bunty Sahu) के मार्फत पार्टी ने अपने लोगों को संदेश भी दिया है कि जो विरोधियों के सामने हर परिस्तिथि में खड़ा रहेगा, पार्टी उस पर भरोसा करेगी। कांग्रेस के लिए मैसेज है कि नाथ परिवार का मुकाबला बीजेपी का जमीनी कार्यकर्ता भी कर सकता है.
2023 के विधानसभा चुनाव में विवेक बंटी साहू कमलनाथ से 36594 वोट से हारे, कमलनाथ जैसे इतने बड़े नेता के खिलाफ ये हार उतनी बड़ी नहीं है, खुद कमलनाथ को भी इतने कम वोट से जीत की उम्मीद नहीं थी.
ओवरऑल सभी 29 सीटों पर टिकट वितरण में किन समीकरणों को ध्यान में रखा गया?
विधानसभा चुनाव में पार्टी ने जिस तरह से बड़े चेहरों को चुनावी मैदान में उतार कर सबको चौंकाया था, लोकसभा के लिए भी कुछ ऐसे ही कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पहली सूचि में 24 नामों में से अधिकतर नाम वही थे जिनके बारे में माना जा रहा था कि ये चुनाव लड़ेंगे ही. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Former Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) का नाम चर्चा में था ही. जिन्हे विदिशा भेजकर उनके राजनीतिक भविष्य की दिशा तय कर दी। यह दिशा दिल्ली का रास्ता बताती है। ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का नाम गुना और ग्वालियर किसी एक सीट के लिए चल रहा था. गुना से उनका नाम तय हो गया है. सभी 29 नामों पर गौर करें तो पार्टी की रणनीति पता चल जाती है- नए चेहरों को भी मौका और पुरानों पर भरोसा।
महिलाओं को ज्यादा मौका देने के पीछे की रणनीति?
पहली सूची में 24 उम्मीदवारों में से 4 नाम महिलाओं के थे। दूसरी में दो। कुल छह महिलाएं जंग-ए-चुनाव में हैं जो पिछली बार से ज्यादा हैं। इसके पीछे पार्टी का एजेंडा शीशे सा साफ है- नारी शक्ति वंदन। संसद के विशेष सत्र में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित होने और फिर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद कानूनन लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें रिजर्व हो गई हैं।
हालांकि, यह कानून सेंसस और परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद लागू होगा। जानकारी के मुताबिक 2029 के लोकसभा चुनाव के आसपास अमल में आ सकेगा। भाजपा ने इस चुनाव से इस दिशा में काम शुरू कर दिया है ताकि पार्टी खुद को पहले से ही तैयार कर सके। कानून के मुताबिक अगले लोकसभा चुनाव में तो 9 टिकट महिलाओं को देना ही हैं।
15 सांसदों को फिर से टिकट देने की क्या वजह रही?
पहली सूची में 24 में से 13 सांसदों पर पार्टी ने फिर से भरोसा जताया। दूसरी सूची में दो सांसदों को फिर टिकट मिल गया। इंदौर से शंकर लालवानी जातीय समीकरण साथ ही स्थानीय राजनीतिक समीकरण को अपने पक्ष में करने में सफल रहे. महाकाल की नगरी उज्जैन से महिला को मौका देने की चर्चाएं थीं लेकिन सांसद अनिल फिरोजिया अंतत: दिल्ली से टिकट लाने में सफल रहे।
पहली लिस्ट में विधानसभा चुनाव हार चुके दो नाम ऐसे थे जो चौंकाने वाले थे. केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते (Union Minister Faggan Singh Kulaste) को मंडला से फिर मौका मिला, जबकि वे विधानसभा चुनाव में सफल नहीं हो पाए। उनकी पहचान बड़े आदिवासी नेता की है।
सतना से सांसद गणेश सिंह (MP Ganesh Singh) विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का भरोसा नहीं जीत पाए थे, लेकिन पार्टी ने इन पर फिर भरोसा जताया। गणेश सिंह ओबीसी कुर्मी समाज से आते हैं। सतना लोकसभा और विंध्य क्षेत्र में कुर्मी पटेल समुदाय निर्णायक है। गणेश सिंह का मुकाबला विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा (MLA Siddharth Kushwaha) से होगा। कुशवाहा ने विधानसभा चुनाव में गणेश सिंह को हराया था।
जातिगत समीकरण को कितना ध्यान रखा?
एससी के लिए रिजर्व 4 और एसटी की 6 सीटों के अलावा बाकी 19 सीटों में से 12 पर ओबीसी चेहरे उतारे हैं। ये हैं- ग्वालियर, सागर, गुना, सतना, बालाघाट, छिंदवाड़ा, विदिशा, राजगढ़, खंडवा, होशंगाबाद और दमोह। मध्यप्रदेश में ओबीसी आबादी 55 फीसदी से ज्यादा है। 27 फीसदी आरक्षण का मुद्दा कोर्ट में चल रहा है और भाजपा-कांग्रेस ओबीसी आरक्षण को लेकर एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं।