न्याज़िया
मंथन। आपको नहीं लगता कि हमेशा हम डरते रहते हैं कि किसी परेशानी में न पड़ जाए और हमारे अपने हमारे लिए परेशान न हो जाएं लेकिन कभी आपने सोचा है कि कभी कभार छोटी – मोटी परेशानियां में घिर जाना अच्छा होता है! क्योंकि यही तो वो समय होता है जब अपने पराए की परख होती है ,हम जिन लोगों से घिरे होते है, जिनके बारे में सोचते रहते हैं उनकी पहचान होती है कि वो सच में हमारे हैं कि नहीं।
मिलते है रास्ते
ये परेशानियां बेशक हमें थोड़ी तकलीफ देती हैं लेकिन हमें आगे का रास्ता दिखा जाती हैं हम इन परेशानियों से तो एक वक्त के बाद निकल जाते हैं लेकिन अगर ये परेशानी हम पर न आए तो हम उन मतलबी लोगों की गिरफ्त से कभी न निकल पाएं जो सिर्फ अपना मतलब साधने के लिए हमसे जुड़े होते हैं , उन्हें हमारे दुख सुख से कुछ लेना देना नहीं होता सिर्फ अपना सुख ही उन्हें दिखता है पर हम इस बात से अंजान होकर उन्हें अपना समझते हैं ,उनके लिए क्या क्या त्याग नहीं करते ,उनका दिखावा भी हमारे लिए मोह का धागा बना रहता है जब तक ,हमें उनकी बहोत ज़रूरत न पड़ जाए और वो कोई बहाना बनाकर पल्ला न झाड़ लें। इसलिए अच्छा है कि हम सरल और सच्चे तो रहें लेकिन बेवकूफ न बनें जिससे लोग हमारा फायदा उठा लें।
इन परेशानियों ,मुश्किलों से सबक़ लें
ख़ुद इतने मज़बूत बनें कि इन ज़िंदगी की तकलीफों का सामना कर सकें क्योंकि ये लोग अगर हमको सहारा दे भी देंगे तो एहसान जताना या शर्त रखना नहीं भूलेंगे और अपनेपन में तो कोई बदला होता ही नहीं,कोई एहसान नहीं होता, कोई शर्त नहीं होती और जो लोग ऐसा करते हैं वो आपके अपने नहीं होते ,अपनेपन का एहसास, निस्वार्थ प्रेम को पैदा करता है जो सिर्फ देने की इच्छा रखता है लेने की नहीं ,अपनों के लिए अच्छा से अच्छा करने की चाहत होती है दिल में, उनसे कुछ पाने की उम्मीद नहीं होती कभी ,हम जो भी करते है पूरे हक़ से अपना फ़र्ज़ समझ कर करते हैं ,खुद से पहले उनके बारे में सोचते हैं और यही अपनेपन की निशानी है इसलिए परेशानियों से डरिए नहीं ये ज़िंदगी के सबक़ देती हैं हमें मज़बूत बनाती हैं,ऐसे लोगों से हमें बचाती हैं जो सही राह पर हमें चलने नहीं देते, भ्रमित करते हैं , कमज़ोर बनके हमेशा हमसे मांगते रहते हैं ,उनके अंदर कभी हमें कुछ देने की ख्वाहिश नहीं होती जबकि हर इंसान एक दूसरे के लिए कुछ न कुछ कर सकता भले ही वो कितना ही कमज़ोर क्यों न हो ,
अपनों का साथ देता है सुकून
कुछ नहीं तो हमारे लिए सच्चा प्यार , हमदर्दी ही रख कर ,दुआ दे सकता है और वैसे भी अगर कोई हमारा अपना है तो उसकी मौजूदगी ही हमें सुकून देती है,क्योंकि उसके लिए हमारी खुशी से बढ़कर और कुछ नहीं होता, अगर कोई समस्या ऐसी है जिसमें वो भी शामिल है तो ऐसा समाधान निकालता है, जिसमें किसी का नुकसान न हो दोनों की भलाई हो ,नहीं! तो परेशान मत होइए, सोचिएगा ज़रूर इस बारे में,फिर मिलेंगे आत्म मंथन की अगली कड़ी में।