List Of Islamic Terrorist Organization In The World: जब भी भारत में कोई इस्लामिक आतंकवादी संगठनों के द्वारा आतंकी घटनाएं अंजाम दी जाती हैं तो सबसे पहले कट्टरपंथी लोग यह कहने लग जाते हैं कि इस्लाम का कोई धर्म नहीं होता, और जब कोई भी छोटी-मोटी घटना होती है, जैसे मस्जिद में चढ़कर किसी ने डांस कर दिया, गाय की तस्करी रोकने के दौरान किसी को मार डाला गया तो यही लोग इसे हिन्दू आतंकवाद (Hindu Terrorism)/भगवा आतंकवाद (Bhagwa Terrorism) कहने लग जाते हैं. इसी को पाखंड की पराकाष्टा कहा जाता है. जब Islamic Terrorism हो तब आतंक का कोई धर्म नहीं और जब किसी हिन्दू से कोई अपराध हो जाए तो वह भगवा आतंकवाद कहलाता है.
हां ये सच है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, क्योंकी आतंकवाद का मजहब होता है. धर्म में आतंकवाद के लिए कोई स्थान नहीं है, मजहब में है. धर्म और मजहब दोनों अलग-अलग चीज़ें हैं उतना ही अलग जितना सनातन और इस्लाम।
पहलगाम आतंकी हमला (Pahalgam Terror Attack) जिसे आप पहलगाम इस्लामिक आतंकी हमला (Pahalgam Islamic Terror Attack) कह सकते हैं. उसमे इस्लामिक आतंकियों ने (Islamic Terrorists Pahalgam) पहलगाम में घूमने आए टूरिस्ट्स से उनका नाम, धर्म पूछकर उन्हें गोली मारी, जो कलमा नहीं पढ़ पाया उसे मौत के घाट उतार दिया। इस्लामिक आतंकियों ने पहलगाम में 27 लोगों को मार डाला, एक गोली, लोकल मुस्लिम को लगी और इसी बिनाह पर कट्टरपंथी यह कहने लगे कि देखो आतंकवादियों ने एक मुस्लिम को भी मारा है, आतंकी धर्म देखकर नहीं मार रहे थे. कुलमिलाकर कट्टरपंथियों ने इस्लामिक आतंकियों को सेक्युलर आतंकी बताना शुरू कर दिया और यह कहा जाने लगा की ‘आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता है’
सवाल ये है कि अगर आतंकवाद का कोई मजहब नहीं है तो दुनियाभर के अलग अलग देशों में आतंक मचाए हुए इस्लामिक आतंकी संगठों का मकसद क्या है? ये आतंकवाद क्यों कर रहे हैं? इनके नाम इस्लामिक क्यों हैं? इसके आकाओं के नाम इस्लामिक क्यों हैं?
क्या सच में आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। आइये दुनियाभर के इस्लामिक आतंकी संगठनों और उनके मकसद पर नज़र डालते हैं.
दुनिया के इस्लामिक आतंकी संगठन और उनका मकसद
Islamic terrorist organizations of the world and their motives:
इस्लामिक स्टेट (ISIS)
- संस्थापक: अबु बक्र अल-बगदादी
- मजहबी मकसद: वैश्विक सुन्नी इस्लामी खिलाफत स्थापित करना, सख्त शरिया लागू करना, गैर-मुस्लिमों और शिया के खिलाफ हिंसा।
अल-कायदा
- संस्थापक: ओसामा बिन लादेन
- मजहबी मकसद: पश्चिमी देशों और इजरायल के खिलाफ जिहाद, सुन्नी शरिया शासन की स्थापना।
लश्कर-ए-तैयबा (LeT)
- संस्थापक: हाफिज सईद
- मजहबी मकसद: कश्मीर को भारत से अलग कर शरिया लागू करना, भारत में इस्लामी वर्चस्व।
जैश-ए-मोहम्मद (JeM)
- संस्थापक: मौलाना मसूद अजहर
- मजहबी मकसद: कश्मीर में शरिया शासन, भारत के खिलाफ जिहाद।
हिजबुल्लाह
- संस्थापक: इमाद मुगनियाह
- मजहबी मकसद: शिया इस्लामी शासन, इजरायल और पश्चिम के खिलाफ जिहाद, ईरानी क्रांति का प्रसार।
हमास
- संस्थापक: शेख अहमद यासीन
- मजहबी मकसद: फिलिस्तीन में सुन्नी इस्लामी शासन, इजरायल के खिलाफ जिहाद।
बोको हराम
- संस्थापक: मोहम्मद यूसुफ
- मजहबी मकसद: नाइजीरिया में सुन्नी शरिया लागू करना, पश्चिमी शिक्षा के खिलाफ हिंसा।
अल-शबाब
- संस्थापक: अदन हाशी आयरो
- मजहबी मकसद: सोमालिया में सुन्नी शरिया शासन, पश्चिमी प्रभाव के खिलाफ जिहाद।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP)
- संस्थापक: बैतुल्ला महसूद
- मजहबी मकसद: पाकिस्तान में सुन्नी शरिया शासन, सरकार और पश्चिम के खिलाफ जिहाद।
इंडियन मुजाहिदीन (IM)
- संस्थापक: रियाज भटकल
- मजहबी मकसद: भारत में सुन्नी शरिया शासन, गैर-मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा।
हिजबुल मुजाहिदीन
- संस्थापक: मोहम्मद अहसान डार
- मजहबी मकसद: कश्मीर में सुन्नी शरिया शासन, भारत के खिलाफ जिहाद।
तालिबान
- संस्थापक: मुल्ला मोहम्मद उमर
- मजहबी मकसद: अफगानिस्तान में कट्टर सुन्नी शरिया शासन, गैर-मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा।
हक्कानी नेटवर्क
- संस्थापक: जलालुद्दीन हक्कानी
- मजहबी मकसद: अफगानिस्तान-पाकिस्तान में सुन्नी शरिया शासन, पश्चिमी सेनाओं के खिलाफ जिहाद।
इन तमाम इस्लामिक आतंकी संगठनों की नीव ही इस्लाम है, इनका मसकद एक ही है. गैर इस्लामिक देशों में जिहाद करो, गैर मुसलमानों को मारो, और शरिया कानून लागू करो. ये बातें कुरान में भी मिलती हैं. फिर भी कुछ लोग कहते हैं आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता।
भारत में जब अफजल गुरु को फांसी होती है तो कट्टरपंथी छाती पीटते हैं, याकूब मेमन को फांसी होती है तो यह रोते हैं, बुरहान वानी मारा जाता है तो इनकी छाती में सांप लोटता है. पत्थरबाज को जब आर्मी अपनी गाड़ी से बांध देती है तब ये इंसानियत की दुहाई देते हैं. जब ISIS भारत पर हमला करने की धमकी देता है तो यह खुश होते हैं, जब हिन्दुओं से लदी ट्रेन जला दी जाती है तब ये उस घटना पर गर्व करते हैं. और फिर कहते हैं हम आतंकवाद के खिलाफ हैं. अगर ये कट्टरपंथी वाकई आतंकवाद के खिलाफ हैं तो इन्हे यह कबूलना होगा कि आतंकवाद की जड़ इस्लाम से ही है. क्योंकी आतंकवादी संगठन इस्लाम के नाम पर लोगों को मारते हैं.
नोट-यह लेखक के अपने विचार हैं, संस्था किसी के व्यक्तिगत विचारों की जवाबदेह नहीं हैं