Lilji Dam | लिलजी बांध जलाशय, जिसका अब अस्तित्व समाप्त हो चुका है

Lilji Dam Ka Itihas Hindi Me: रीवा से करीब 15 किलोमीटर दूर गोविंदगढ़-बेला मार्ग पर स्थित झिन्ना गाँव में हजारों हजारों एकड़ में फैला हुआ एक बांध है, जिसे लिलजी बांध कहते हैं। जिसका निर्माण राजशाही के जमाने में हुआ था। लेकिन प्रशासन और भू-माफियाओं के कारण अब इस बांध का अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है।

बांध का निर्माण | Construction of the Lilji Dam

इस बांध का निर्माण राजशाही के जमाने में रीवा के शासक बांधवेश महाराजा सर गुलाब सिंह जू देव बहादुर ने करवाया था। इस बांध का निर्माण बारिश के जल का संरक्षण और संग्रहण करके राज्य के कृषि की उन्नति के महान उद्देश्य से करवाया गया था।

इस बांध को बनाने में उस समय लगभग 1 लाख 64 हजार रुपये खर्च हुए थे। जबकि बांध को बनाने का काम विक्रम संवत 1994 से प्रारंभ होकर संवत 1997 में समाप्त हुआ था। अर्थात इस बांध का निर्माण 1937 से 1940 ईस्वी के बीच में हुआ था।

बांध का कुल क्षेत्रफल 1652 एकड़ है। बांध के लिए जमीन का अधिग्रहण रीवा राज्य शासन और आस-पास के लगभग 12 गाँव के कई किसानों से किया गया था। उस समय के हिसाब से किसानों को रीवा राज्य शासन द्वारा जमीन का मुआवजा भी दिया गया था।

एक दुर्घटना से आया बांध के अस्तित्व पर संकट | The existence of the Lilji Dam is in danger

देश की आजादी के बाद इस बांध पर मध्यप्रदेश शासन के जलसंसाधन विभाग का अधिकार हो गया। लेकिन 37 वर्ष पहले हुए एक बस दुर्घटना के बाद, यह बांध अपना अस्तित्व खोने की कगार पर आ गया है। दरसल 1988 में एक ओवरलोड यात्री बस इस बांध में पलट कर गिर गई थी। जिसमें सवार करीब 88 लोगों की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद उनके शवों को बाहर निकलने के राज्य सरकार ने इस बांध के गेट को खोलकर पानी खाली करवाया था। तब से लेकर काफी दिनों तक इस बांध के गेट बंद नहीं हुए और खाली पड़ी जमीन को रबी सीजन की कृष के लिए योग्य जानकर इसे लीज पर दिया जाने लगा था। साथ ही इस जमीन के नीचे ए-ग्रेड लाइमस्टोन छुपा होने का भी पता चला।

भू-माफिया ने किया कब्जा | Lilji Dam was captured by land mafia

यहाँ की उर्वरक जमीन और लाइमस्टोन की खबर के बाद, धीरे-धीरे इस बांध की जमीन पर अवैध कब्जे होने लगे। दरसल प्रशासनिक लापरवाहियों के कारण वर्षों तक इस बांध की मरम्मत इत्यादि नहीं हुई। जिसके बाद इस बांध को अनुपयोगी सिद्ध कर दिया गया और जल-संसाधन विभाग ने यह बांध राजस्व विभाग को दे दिया। कुछ भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारियों के मिलीभगत से भू-माफियाओं ने यहाँ जमीन को अवैध रूप से कब्जा कर लिया था। अब जब बांध है ही नहीं, तब इसकी जमीन को मूल भू-स्वामियों अर्थात किसानों को सौंपने की घोषणा 2010 में मुख्यमंत्री द्वारा कराई गई, और कुछ वर्षों बाद पट्टे भी दिए जाने लगे।

कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार मुख्यमंत्री की घोषणा मूल भू-स्वामियों की जमीन लौटाने की थी, लेकिन बहुत सारे पट्टा प्राप्त करने वाले लोग, उस भूमि के मूल भू-स्वामी नहीं हैं। बल्कि कब्जा करने वाले लोग ही हैं। इसी तरह कुछ वर्षों पहले ही खबर आई थी, जब सतना कलेक्टर ने लिलजी बांध में मंजूर की गईं, 4 खदानों की लीज को निरस्त कर दिया था।

इस तरह एक समय जल से लबालब भरा रहने वाला समृद्ध जलाशय भ्रष्टाचारियों के भेंट चढ़ गया और आज उसके अस्तित्व का खड़ा हो गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *