Dsp Zia ul haq Murder Case : डीएसपी जिया उल हक हत्याकांड में 10 आरोपियों को उम्र कैद, सीबीआई कोर्ट ने सुनाई सजा।

Dsp Zia ul haq Murder Case : डीएसपी जिया-उल-हक हत्याकांड में सीबीआई की विशेष अदालत ने 10 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने सभी 10 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है और जुर्माना भी लगाया है. आरोपियों पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. जानकारी के मुताबिक जुर्माने की आधी रकम जिया-उल-हक की पत्नी को भी दी जाएगी. इस मामले में राजा भैया भी आरोपी थे, लेकिन सीबीआई जांच में उन्हें पहले ही क्लीन चिट मिल चुकी थी।

जुर्माने की आधी रकम जिया-उल-हक की पत्नी को मिलेगी। Dsp Zia ul haq Murder Case

प्रत्येक आरोपी पर 19,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. जुर्माने की आधी रकम (97,500 रुपये) जिया-उल-हक की पत्नी परवीन आजाद को दी जाएगी. विशेष अदालत ने बुधवार को फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटेलाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल को सजा सुनाई। इससे पहले इन सभी को पिछले शुक्रवार को दोषी करार दिया गया था।

2013 में हुई थी डीएसपी की हत्या Dsp Zia ul haq Murder Case

बता दें कि 2 मार्च 2013 को प्रतापगढ़ के बलीपुर गांव में डीएसपी जिया-उल-हक की हत्या कर दी गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच सीबीआई ने की थी। हत्या का आरोप रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और ग्राम प्रधान गुलशन यादव पर लगा था। हालांकि, सीबीआई जांच में दोनों को क्लीन चिट दे दी गई थी।

एफआईआर में 5 आरोपियों के नाम थे Dsp Zia ul haq Murder Case

जिया-उल-हक हत्याकांड उत्तर प्रदेश के कुंडा इलाके में हुआ था, जहां वह पुलिस अधिकारी के पद पर तैनात थे। जिया-उल-हक की हत्या के बाद उनकी पत्नी परवीन ने एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें पांच आरोपियों के नाम थे। इनमें प्रमुख नाम रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का था। अन्य आरोपियों में गुलशन यादव, हरिओम श्रीवास्तव, रोहित सिंह और संजय सिंह उर्फ गुड्डू शामिल थे। इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत हत्या (धारा 302), आपराधिक साजिश (धारा 120 बी) और अन्य गंभीर आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया था।

जियाउल हक को 2012 में सीओ के पद पर नियुक्त किया गया था।

मामले की गंभीरता और राजनीतिक प्रभाव के चलते तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी थी। हालांकि, सीबीआई ने 2013 में अपनी जांच पूरी कर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। इसका मतलब यह हुआ कि मामले में आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले। आपको बता दें कि देवरिया जिले के नूनखार टोला जुआफर गांव निवासी जियाउल हक को 2012 में कुंडा में सीओ के पद पर नियुक्त किया गया था।

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