उन मुद्दों को जान लेते हैं जो इस चुनाव में हावी रहेंगे

Lok Sabha Chunav 2024:

Lok Sabha Election 2024 Dates Live: लोकसभा चुनाव 2024 का नगाड़ा बज चूका है. चुनावी तारीखों के एलान के बाद कुछ ऐसे मुद्दे होंगे जो हर नेता के जुबां में होंगे। तो आइए नजर डालते हैं उन्ही मुद्दों पर….

Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव 2024 का शंखनाद हो चूका है. तमाम मुद्दों को लेकर राजनितिक दल के नेता जनता के बीच जा रहे हैं, वहीं चुनाव की तारीखों का एलान होते ही नेताओं के कुछ मुद्दे ऐसे होंगे जो हर नेता के जुबां पर रहेंगे। CAA विकास, राम मंदिर, परिवारवाद, भष्टाचार और विकास समेत कई मुद्दों पर नेता एक दूसरे पर सियासी तीर छोड़ते नजर आएंगे।

राम मंदिर: राम मंदिर का मुद्दा इस बार के लोकसभा चुनाव का प्रमुख मुद्दा रहेगा, भारतीय जनता पार्टी भव्य राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का श्रेय लेने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. भाजपा के नेता, मंत्री अयोध्या राममंदिर के दर्शन करने के लिए जा रहे हैं. इतना ही नहीं बीजेपी के नेता अलग-अलग इलाकों से श्रद्धालुओं को दर्शन कराने के लिए ले जा रहे हैं. विपक्ष पूरी कोशिश कर रहा है कि बीजेपी को इसका फायदा नहीं मिले। यही वजह है कि अब अयोध्या जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या घटकर कुछ हजार में रह गई है.

बरोजगारी: बेरोजगारों का मुद्दा भी विपक्ष चुनाव के दौरान उठा सकता है. इस बार के चुनाव में भर्ती परीक्षााओं में होने वाले पेपर लीक का मुद्दा हावी रहेगा विपक्ष इसे हथियार की तरह इस्तेमाल करेगा। ये दिखता भी वर्त्तमान में राहुल गांधी और अखिलेश यादव इस मामले में सत्ता पक्ष पर हमलावर हो भी रहे हैं.

जातिगत जनगणना: जातिगत जनगणना के मुद्दे को राहुल गांधी से लेकर तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव उठाते रहे हैं. चुनाव के दौरान विपक्ष सत्ताधारी भाजपा को घेरने की कोशिश करेगा। वहीं भगवा दल का कहना है कि देश में केवल चार जातियां हैं. ये जातियां गरीब, किसान, महिला और युवा हैं. चुनाव के दौरान इसी तरह के कई दावे प्रतिदावे किए जाएंगे।

भष्टाचार का मुद्दा: भष्टाचार का मुद्दा बहुत अहम होने वाला है. चुनाव से पहले विपक्षी दलों के नेताओं के यहां मिले पैसे की चर्चा खूब होगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कई बार अपने भाषण में इसका जिक्र कर चुके हैं, मंच से विपक्ष के बहुत से नेताओं का नाम भी लिया है. वहीं विपक्ष आरोप लगता रहा है कि छापे सिर्फ विपक्ष के नेताओं के यहां ही पड़ते हैं. जो भष्टाचारी बीजेपी में शामिल हो जाता है उस पर कोई कार्रवाही नहीं होती है. चुनाव के दौरान इस तरह के बयान विपक्ष की ओर से लगातार किए जाएंगे

CAA का मुद्दा: भारतीय जनता पार्टी के लिए CAA का मुद्दा 2019 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में भी प्रमुख चुनावी मुद्दा रहा है. बीजेपी सोचती है कि सीएए हिन्दू राष्ट्रवाद के उनके एजेंडे को आगे बढ़ा सकता है, और हिन्दू वोटर्स को पार्टी के प्रति ध्रुवीकृत किया जा सकता है. दरअसल बीजेपी जानती है कि इस मुद्दे का विपक्ष जमकर विरोध करेगा, और इस विरोध से बीजेपी को उतना ही फायदा होगा। BJP यह साबित करने की हर कोशिश करेगी कि विपक्ष एंटी हिन्दू है और मुस्लिम त्रुष्टिकरण के लिए यह विरोध कर रहा है. फिलहाल देश में CAA कानून लागु है.

इलेक्टोरल बॉन्ड: इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा सामने आने के बाद राजनितिक फंडिंग को लेकर बहस एक बार फिर से तेज हो गई है. देश के पूर्व वित्त और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मंत्री पी चिदंबरम मानते हैं कि इलेक्टोरल बॉन्ड ने बीजेपी को गलत तरीके से फायदा पहुंचाया है. चिदंबरम ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं. उन सबके सरकार के साथ नजदीकी रिश्ते रहे हैं. खनन, फार्मा कंस्ट्रक्शन और हाइड्रोइलेक्ट्रिक कंपनियों के केंद्र सरकार से नजदीकि रिश्ते होते ही हैं. कई बार कुछ मामलों में ऐसा राज्य सरकारों के साथ भी होता है.

विकास का मुद्दा: सत्ताधारी बीजेपी पिछले दस साल में हुई विकास के कार्यों को जमकर उठाएगी। बीते दस साल में बिजली सड़क, पानी से लेकर तकनीक तक के क्षेत्र में किए गए कार्यों को प्रचारित करेगी। वहीं, विपक्ष विकास के दावों को खोखला बताने के लिए महगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठाएगा।

परिवारवाद: चुनाव तारीखों की घोसणा से पहले ही राजनितिक दलों के बीच परिवारवाद के मुद्दों पर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है. एक तरफ बीजेपी विपक्ष को परिवारवादी पार्टियों का गठबंधन बता रही है. दूसरी और प्रधानमंत्री मोदी के परिवार पर सवाल उठा दिया। हालांकि, बीजेपी ने इसे भी अपने पक्ष में करने के लिए ‘ मोदी का परिवार’ नाम से सोशल मीडिया में कैंपेन तक शुरू कर दिया।

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