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Ladakh में क्यों भड़की हिंसा? जानें क्या है Sonam Wangchuk की भूमिका?

leh laddakh protest news

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Leh Ladakh Protest Sonam Wangchuk GenZ News In Hindi: Ladakh में पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर लेह में चल रहा विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया।

प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच पत्थरबाजी हुई, जिसमें कई लोग घायल हो गए। गुस्साई भीड़ ने CRPF और पुलिस की एक-एक गाड़ी को आग लगा दी, साथ ही BJP कार्यालय पर भी हमला किया।

Leh Ladakh Protest: लद्दाख में पिछले कई दिनों से तनाव चरम पर है। सोमवार को लेह में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन अचानक हिंसक हो उठा।

स्थानीय लोगों और छात्रों ने केंद्र सरकार और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पूर्ण बंद का आह्वान किया था। लेकिन स्थिति तब बेकाबू हो गई, जब प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच पत्थरबाजी शुरू हुई।

गुस्साई भीड़ ने CRPF की गाड़ी, पुलिस वैन और कई अन्य वाहनों को आग के हवाले कर दिया। लेह स्थित बीजेपी कार्यालय भी निशाना बना, जहां आगजनी की गई। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में कार्यालय से धुआं उठता दिखाई दिया।

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आंदोलन की वजह

यह आंदोलन लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर तेज हुआ है। लेह एपेक्स बॉडी (LAB) इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही है।

LAB की युवा इकाई ने बंद और प्रदर्शन का आह्वान किया था, खासकर तब, जब 35 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे 15 लोगों में से दो की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।

सोनम वांगचुक की भूमिका

प्रख्यात पर्यावरण कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक इस आंदोलन की प्रमुख आवाज बने। उनके अनशन का 15वां दिन था, जब हिंसा के बाद उन्होंने इसे समाप्त किया।

वांगचुक ने कहा, “बीजेपी ने वादा किया था कि लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल किया जाएगा, लेकिन पांच साल बाद भी यह वादा अधूरा है। हमारी मांगें लंबित हैं, और लोगों का धैर्य अब जवाब दे रहा है। हम नहीं चाहते कि भारत की छवि को ठेस पहुंचे।”

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केंद्र से बातचीत का ऐलान

बढ़ते तनाव के बीच गृह मंत्रालय ने 6 अक्टूबर को लद्दाख के प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत की घोषणा की है। लेकिन LAB ने स्पष्ट किया कि जब तक पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक अधिकार सुनिश्चित नहीं होंगे, आंदोलन जारी रहेगा।

लद्दाख के लोग कहते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनों से अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं मिला। उनकी मांग है कि जल्द से जल्द उनकी बात सुनी जाए और समाधान निकाला जाए। यही कारण है कि लेह की सड़कों पर गुस्से की आग हिंसा में बदल गई।

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