Ahmedabad Plane Crash News In Hindi: अहमदाबाद प्लेन क्रैश की वर्तमान समय में विभीत्स व अतयंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। मंगलवार 12 जून दोपहर में ये दुर्घटना हुई जो भारत देश बहुत बड़ी घटना है। ये दुर्घटना अहमदाबाद के एयरपोर्ट की चंद दूरी पर ही प्लेन क्रैश हो गया सोशल मीडिया पर चल रही खबरों के मुताबिक इस विमान में 242 यात्री सवार थे जिसमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी शामिल बताएं जा रहें हैं।
हादसे की भयावहता के साथ ही एक और पहलू सामने आया वो यह कि लोग इस हादसे के तुरंत बाद लोगों की भीड़ आग और धुएं का गुबार देखकर बदहवास नजर आई वहीं कुछ लोग आपदा की आशंका के बावजूद वीडियो बनाने में मशगूल हो गए। यहां गौरतलब है कि वो अपना सामाजिक और नैतिक कर्तव्य भूल कर किसी की मदद की बजाय तमाशा देखने में न सिर्फ मशगूल रहे बल्कि जो इस दुर्घटना में मददगार थे उनके आगे बाधाएं डालती भीड़ बनकर अड़े नजर आ।
यहां सवाल केवल इस प्लेन क्रैश का नहीं बल्कि हर बड़े हादसे में लोगों की असंवेदनशीलता देखने को मिलती है जो मानवता के गिरते स्तर का भी इशारा था। जबकि होना यह चाहिए कि हम किसी भी आपदा के दौर में इंसानियत और नैतिकता को सबसे पहले प्राथमिकता दें। आज इस विषयक लेख में दिनों-दिन गिरता मानवीयता का ग्राफ और आपदा में कैसे बने मददगार पर कुछ बताने और सिखाने के साथ मानवीय व्यवहार और आचरण की समझाइश देना चाहते हैं आशा है आप सभी पाठक मेरे विचार से सहमत होंगे।
घटना स्थल पर लोगों का सहज व्यवहार चिंता का विषय
जैसे – कुछ लोग को सिर्फ वीडियो बनाने की जल्दी जबकि आवश्यक था कि घायलों को अस्पताल पहुंचाना प्राथमिकता होनी चाहिए थी।
जैसे – सोशल मीडिया पर वायरल होने की चाह ने मानवता और संवेदनशीलता को पीछे छोड़ दिया जिनकी वजह से प्रशासनिक रेस्क्यू टीम को भीड़ के कारण असुविधा हुई।
आपदा में आम नागरिक की भूमिका और सामाजिक कर्तव्य
- मदद करें-बाधा न बनें – यदि आपके आसपास कोई बड़ी दुर्घटना हो जाए तो ऐसे में भीड़ से बचें,भीड़ लगाते लोगों को भी समझाएं की मददगारों के लिए रास्ता खाली रखें ताकि एम्बुलेंस व राहत दल आसानी व जल्दी से पहुंच सकें।
- वीडियो न बनाएं बल्कि सहायता करें – दुर्घटनास्थल पर फोटो-वीडियो बनाना पीड़ितों की निजता और गरिमा और मानवीय गुणों कर्त्तव्य और मर्यादा के खिलाफ है विडियो बनाने वालों में नहीं बल्कि मदद करने वालों में शामिल हों ,जब सोशल मीडिया में आप घायलों की मदद करते खुद को देखेंगे तो एक तरफ जहां आपको हार्दिक खुशी, संतोष मिलेगा वहीं आप दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाएंगे।
- सही जानकारी साझा करें – अफवाहें फैलाने से बचें। केवल आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी ही सोशल मीडिया पर साझा करें।
- ब्लड डोनेट करने तैयार रहें – घायलों के लिए ब्लड की ज़रूरत हो सकती है। ऐसे समय में आगे आना एक सच्ची मानव सेवा ही नहीं, बल्कि ईश्वर की सच्ची आराधना है।
प्रार्थना और संवेदनाएं – इस मौके पर जहां पीड़ितों और उनके के परिवार के लिए हर संभव सहायता करें वहीं दुर्घटना दिवंगत जनों के लिए संवेदनशील शब्दों के साथ उस घटना से सीख, और संवेदनाएं व्यक्त करते हुए विडियोज़ बनाएं और उसे सोशल मीडिया पर करें, लोगों को सामाजिक सौहार्द बढ़ाने प्रेरित करें और किसी भी संवेदनशील मामले में मज़ाक करने या मीम्स से बचें।
आपदा में इंसानियत के उदाहरण बनें
हमें सीखना होगा कि आपदा के समय केवल सरकारी एजेंसियां नहीं,समाज का हर सदस्य रक्षक बन सकता है। कई घटनाओं में देखा गया है कि स्थानीय युवाओं ने घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाई, रक्तदान कर लोगों को जीवन दान दिया है याद रखें हम भी परिवार वाले हैं और आपदा किसी के सर आ सकती है इसलिए सकारात्मक और सहयोगी सोच रखें आपदा में अवसर नहीं बल्कि अपने सहयोग की जगह ढूंढें। हम सभी में सहयोग की क्षमता है, ज़रूरत है जागरूकता और नैतिक शिक्षा की, जिसका अद्भुत उदाहरण आप बन सकते हैं।
विशेष – अहमदाबाद प्लेन क्रैश की घटना सिर्फ एक खबर नहीं, एक सीख है। हादसे कभी बताकर नहीं आते, लेकिन इन्हें देखकर हम यह तय कर सकते हैं कि हमारा रवैया उस वक्त क्या होना चाहिए । मदद करना, सहानुभूति रखना और संवेदनशीलता दिखाना, यही एक सच्चा नागरिक और इंसान होने का प्रमाण है।