The Glorious History Of Laxman Bagh in Rewa: लक्ष्मण बाग मध्य प्रदेश के रीवा शहर से मात्र 2 किलोमीटर दूर, बिछिया नदी के पास बसा एक प्राचीन धार्मिक स्थल है। 58 एकड़ में फैला यह मंदिर परिसर रीवा के बघेल राजवंश की भक्ति और जनकल्याण की मिसाल है। यहां एक ही स्थान पर चार धाम के दर्शन हो जाते हैं, जो इसे देशभर में अनोखा बनाता है।
स्थापना और निर्माण की कहानी
रीवा को अपनी राजधानी बनाने के बाद बघेल राजवंश ने 1618 ई. में यहां आध्यात्मिक केंद्र विकसित करने की शुरुआत की। रीवा राजघराने के कुलदेवता भगवान लक्ष्मण हैं, इसलिए इस स्थल का नाम लक्ष्मण बाग पड़ा। मुख्य लक्ष्मण मंदिर का निर्माण 1841 ई. में महाराजा विश्वनाथ प्रताप सिंह जुदेव ने करवाया। वहीं, जगन्नाथ मंदिर लगभग 200 वर्ष पुराना है, जिसे महाराजा रघुराज सिंह ने बनवाया। उन्होंने पुरी से रथयात्रा में निकली मूर्तियां लाकर यहां स्थापित कीं। राजाओं ने मंदिर की आय के लिए जमीन दान की और देशभर में अन्य मंदिरों का निर्माण कराया।
चार धाम दर्शन का अद्भुत रहस्य
प्राचीन काल में गरीब जनता चार धाम (बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी, रामेश्वरम) की यात्रा नहीं कर पाती थी। इसलिए राजाओं ने इन धामों से विग्रह, मिट्टी और जल लाकर यहां स्थापित किया। लक्ष्मण बाग दर्शन से चार धाम यात्रा का पूर्ण फल मिलता है।
प्रमुख मंदिर और अनोखी परंपराएं
- लक्ष्मण मंदिर: मुख्य देवता।
- जगन्नाथ मंदिर: होली पर भगवान राम और जगन्नाथ रंग खेलते हैं। कढ़ी भात प्रसाद पुरी की परंपरा से प्रेरित।
- अन्य: देशभर के तीर्थों के देवी-देवता। गौशाला में गायों को पत्तल पर भोजन कराने की अनोखी प्रथा।
- परिसर में प्रेतवाधित किले जैसी संरचना भी है, जो आकर्षण बढ़ाती है।
