Lateral Entry : लेटरल एंट्री से कब हुई थी पहली भर्ती? किसने और क्‍यों की थी इसकी सिफारिश?

Lateral Entry : लोकतंत्र में विपक्ष की अहम भूमिका होती है। सरकार की मनमानी नीतियों पर सवाल उठाना और राष्ट्रहित के मुद्दों पर रचनात्मक सहयोग करना विपक्ष की जिम्मेदारी होती है। हालांकि, लोकतंत्र में आजकल विपक्ष हर बात का विरोध करना अपना अधिकार समझने लगा है।

भारत में भी कुछ ऐसी ही तस्वीर देखने को मिल रही है लैटरल एंट्री यानी सीधी भर्ती जिसके जरिए पिछली कांग्रेस सरकारें प्रमुख पदों पर विशेषज्ञों की नियुक्ति करती थीं, आज विपक्ष में होने के नाते कांग्रेस भर्ती के इस तरीके पर सवाल उठा रही है।

इस तरह से लैटरल एंट्री सिस्टम चलन में आया।

लैटरल एंट्री यानी सीधी भर्ती। यानी बिना किसी तरह की परीक्षा के उच्च पदों पर विशेषज्ञों की नियुक्ति। इसका उद्देश्य सरकारी सेवाओं में विशेष ज्ञान और कौशल वाले लोगों को लाना है।

लेटरल एंट्री भारत के लिए भले ही नया विचार हो, लेकिन दुनिया के कई देशों में इसके जरिए नियुक्तियां की जाती हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड ने लेटरल एंट्री सिस्टम को संस्थागत रूप दे दिया है और यहां यह सिस्टम का स्थायी हिस्सा बन गया है।

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यूपीए सरकार ने लेटरल एंट्री का विचार पेश किया था।

लेटरल एंट्री का विचार सबसे पहले कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने पेश किया था। वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में 2005 में गठित दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) ने इसका पुरजोर समर्थन किया था। ARC को भारत की प्रशासनिक व्यवस्था को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और आम नागरिकों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाने के लिए सुधारों की सिफारिश करने का काम सौंपा गया था।

लेटरल एंट्री की जरूरत क्यों है?

ARC का कहना था कि कुछ सरकारी पदों के लिए विशेषज्ञता की जरूरत होती है। पारंपरिक सिविल सेवाओं में यह हमेशा उपलब्ध नहीं होता। ARC ने इस कमी को पूरा करने के लिए निजी क्षेत्र, शिक्षा क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से पेशेवरों की भर्ती करने की सिफारिश की थी।

लेटरल एंट्री स्कीम कब लागू की गई?

लेटरल एंट्री स्कीम को औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में 2018 में लागू किया गया था। इसके तहत पहली बार संयुक्त सचिव और निदेशक के पदों के लिए निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र से आवेदन मांगे गए है।

लैटरल एंट्री में चयन कैसे होता है?

एआरसी ने सीधी भर्ती के लिए पारदर्शी और योग्यता आधारित चयन प्रक्रिया पर जोर दिया था। आयोग ने सुझाव दिया कि भर्ती और प्रबंधन के लिए एक समर्पित एजेंसी स्थापित की जाए।

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