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लखनऊ का नवाबी ज़र्दा : एक शाही पारंपरिक मिठास की बात

लखनऊ की रसोई अपने नवाबी स्वाद, परंपरा और मुग़लकालीन ठाठ के लिए प्रसिद्ध है। इन्हीं रसीली परंपराओं में शामिल है ज़र्दा। यह एक खास मीठा चावल है, जो रंग, खुशबू और सूखे मेवों की भरमार से लबरेज़ होता है। खासतौर पर त्योहारों, शादियों या ईद जैसे मौकों पर इसे बड़े चाव से परोसा जाता है। ज़र्दा सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि लखनवी तहज़ीब का मीठास भरा प्रतीक है।

लखनऊ का नवाबी ज़र्दा बनाने की सामग्री
(4 लोगों के लिए)

लखनऊ नवाबी ज़र्दा बनाने की विधि
सबसे पहले बासमती चावल को अच्छी तरह धोकर 30 मिनट के लिए भिगो दें। एक गहरे पैन में पानी उबालें। उसमें दालचीनी, लौंग, इलायची और चावल डालें।
जब चावल 80% पक जाएं तो छानकर अलग रख लें।
एक भारी तले के पैन में घी गर्म करें और उसमें सूखे मेवे हल्के सुनहरे होने तक भून लें। इन्हें निकालकर अलग रखें। अब उसी घी में चीनी डालें और 2-3 चम्मच पानी मिलाकर धीमी आंच पर एक तार की चाशनी बनाएं।
चाशनी में भीगे हुए केसर और खाद्य रंग मिलाएं। अब इसमें उबले चावल डालें और हल्के हाथों से मिलाएं ताकि दाने न टूटें। ऊपर से केवड़ा जल और भूने हुए मेवे डालकर धीमी आंच पर 10-15 मिनट दम पर पकाएं,जब चावल पूरी तरह से रंग और स्वाद सोख ले, तब गैस बंद कर दें।

विशेष :- नवाबी ज़र्दा न केवल स्वाद में लाजवाब होता है बल्कि यह एक परंपरागत अनुभव भी है जो लखनऊ की शाही विरासत से जुड़ा है। हर निवाला मिठास, खुशबू और संस्कृति का मेल लिए होता है। अगर आप लखनवी स्वाद को अपनी थाली में उतारना चाहते हैं, तो ये ज़र्दा एक परिपूर्ण विकल्प है।

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