लाड़ली बहना योजना बंद होने वाली है? कट गए 3 लाख नाम!

मध्य प्रदेश सरकार की लाड़ली बहना योजना (Ladli Behna Yojana) को लेकर एक अहम जानकारी सामने आई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक समग्र पोर्टल से लाड़ली बहना योजना की हितग्राहियों के नाम डिलीट किए जा रहे हैं और इन हिग्राहियों के आधार को डीलिंक किया जा रहा है. ग्राम पंचायतों से लेकर ब्लॉक और कलेक्टरों तक इसकी शिकायत पहुंच रही है कि महिलाओं के नाम लाड़ली बहना योजना से हटाए जा रहे हैं. हाल ही में दो जिलों के कलेक्टरों ने एमपी इलेक्ट्रॉनिक डेवलोपमेन्ट कॉर्पोरेशन के MD को लेटर लिखकर इसकी जानकारी दी है. पता चला है कि अबतक साढ़े तीन लाख से ज्यादा महिलाओं के नाम इस योजना के हितग्राहियों की लिस्ट से हटा दिए गए हैं.

हाल ही में आगर मालवा के डीएम राघवेंद्र सिंह ने स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलोपमेन्ट कॉर्पोरेशन को लेटर लिखा है, जिसमे बताया गया है कि आगर मालवा से 58 महिलाओं के नाम समग्र पोर्टल से डिलीट कर दिए गए हैं और 142 महिलाओं के आधार को डीलिंक कर दिया गया है, जिससे उन्हें आर्थिक सहायता मिलनी बंद हो गई है. वहीं बैतूल कलेक्टर ने भी 169 महिलाओं के नाम डीलिंक होने की जानकरी दी है.

ऐसी शिकायते सामने आने के बाद विपक्ष अब सरकार पर हमलावर हो गया है. मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने X में पोस्ट करते हुए इसे मोहन सरकार का एक षड्यंत्र बताया है. कमलनाथ ने कहा – ऐसा लगता है सरकार लाड़ली बहना योजना बंद करना चाहती है, चुनाव जीत गए तो इनका मतलब निकल गया. कमलनाथ ने दावा किया कि पिछले 2 साल में तीन लाख महिलाओं को इस योजना से बाहर कर दिया गया. उन्होंने आगे कहा – भाजपा ने चुनावी फायदे के लिए महिलाओं को प्रतिमाह 3 हजार रुपए देने का वादा किया था, अब षड्यंत्र रचकर उन्हें अपात्र घोषित किया जा रहा है.

https://twitter.com/OfficeOfKNath/status/1892101733867995173

मध्य प्रदेश में कितनी लाड़ली बहनें हैं?

How Many Ladli Behna Are In MP 2025: देखा जाए तो पूर्व सीएम द्वारा दो साल में तीन लाख से ज्यादा महिलाओं के नाम कटने का दावा गलत नहीं है. क्योंकी सितंबर 2023 में लाड़ली बहना योजना में हिसग्रहियों की संख्या 1 करोड़ 30 लाख 78 हजार 314 हुआ करती थी जो सबसे ज्यादा थी, मगर तब से लेकर अबतक हर महीने हजारो महिलाओं के नाम लिस्ट से डिलीट किए जाते रहे. वर्तमान में यानी फरवरी 2025 में लाड़ली बहनों की संख्या घटकर 1 करोड़ 27 लाख 22 हजार 188 रह गई. यानी लगभग दो साल में साढ़े तीन लाख से ज्यादा हिग्राहियों के नाम कट गए.

क्यों कट रहे लाड़ली बहनों के नाम?

वहीं महिला बाल विकास का कहना है कि इस योजना का लाभ 60 वर्ष तक की महिलाओं को ही मिलता है, जो इस उम्र सीमा को पार कर रही हैं वे योजना से बाहर हो रही रही हैं, इसके अलावा कई महिलाओं ने अपनी स्वेच्छा से योजना का लाभ छोड़ा है. देखा जाए तो विभाग का तर्क कुछ हद तक सही भी भी है, क्योंकी ऐसा देखा गया है कि इस योजना का लाभ अपात्र महिलाऐं भी ले रही हैं. खैर विपक्ष इन आंकड़ों के हवाले से यही दावा कर रहा है कि सरकार ऐसे ही हितग्राहियों को अपात्र घोषित करके इस योजना को बंद करने वाला है.

वैसे देखा जाए तो विपक्ष ने कई बार लाड़ली बहना योजना के बंद होने के आरोप लगाए हैं और हर बार सीएम यादव ने योजना की राशि जारी कर विपक्षियों को गलत साबित किया है. विपक्ष ये भी आरोप लगता है कि सरकार ने लाड़ली बहनों को तीन हजार रुपए देने का वादा किया था जो पूरा नहीं हुआ, जबकि सीएम मोहन यादव ने हाल ही में इसी महीने की किश्त जारी करते हुए 3000 हजार रुपए देने का भी एलान किया है.

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