Kunwar Natwar Singh Books | जब सोनिया गांधी के खिलाफ नटवर ने उगला था जहर

Kunwar Natwar Singh Political Career

Kunwar Natwar Singh Death News, Reason | पूर्व विदेश मंत्री के. नटवर सिंह (Former Foreign Minister Kunwar Natwar Singh) का 93 वर्ष की उम्र में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया. शाही परिवार में जन्म लेने वाले के. नटवर सिंह को पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था.

Kunwar Natwar Singh Political Career

उनका राजनीतिक सफर बेहद दिलचस्प रहा। क्या आपको पता है कांग्रेस ही नहीं कभी सोनिया गाँधी के बेहद खास रहे नटवर सिंह की आटोबॉयोग्रफी  से कई लोगों की नींद उड़ गई थी. खासकर सोनिया गांधी। यही कारण था कि सोनिया गांधी अपनी बेटी प्रियंका गांधी के साथ नटवर सिंह के घर गई थी . ताकि गांधी परिवार का नाम इस किताब से हट सके। नटवर सिंह ने अपनी किताब में ऐसा क्या लिखा था आइये जानते है .

Kunwar Natwar Singh Books

नटवर सिंह ने अपनी किताब (Kunwar Natwar Singh Books) में दावा किया था कि  राहुल की जिद थी कि सोनिया को किसी भी सूरत में प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहिए क्योंकि उन्हें डर था कि सोनिया भी उनके पिता राजीव गांधी और दादी इंदिरा गांधी की तरह मार दी जाएंगी। नटवर सिंह ने साफ कहा है कि ये सोनिया की अंतरआत्मा की आवाज नहीं थी। जिसने उन्हें 2004 में चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री पद पर काबिज होने से रोका था।

Kunwar Natwar Singh Books
Kunwar Natwar Singh Books

उन्होंने अपनी किताब – वन लाइफ इज नॉट एनफ: एन ऑटोबायोग्राफी (One Life is Not Enough: An Autobiography) में साफ लिखा है

कि सोनिया भले ही इसे अपनी अंतररात्मा की आवाज के तौर पर प्रचारित करती रही हैं लेकिन सच ये नहीं है, सच सिर्फ यही है कि उन्होंने ये पद अपने बेटे की जिद और डर की वजह से नहीं अपनाया था।

इसके साथ ही नटवर सिंह ने 18 मई 2004 की एक खास बैठक का भी जिक्र किया । इस बैठक में मनमोहन सिंह, गांधी परिवार के मित्र सुमन दुबे, प्रियंका और वो मौजूद थे।

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बाद में उन्होंने अपनी किताब ‘वन लाइफ इज नॉट इनफ’ यानी ‘एक जिंदगी काफी नहीं’ को लेकर कई इंटरव्यू दिए. सभी में उन्होंने एक ही बात कही कि उन्होंने सारे राज किताब में खोले हैं. मतलब सोनिया ने पीएम पद क्यों ठुकराया था,  

सोनिया ने राजीव गांधी को पीएम बनने से क्यों रोका था  या फिर राहुल ने सोनिया को पीएम पद स्वीकार न करने के लिए क्या तर्क रक्खा था . लेकिन सवाल यह था कि क्या बात इतनी भर थी. क्या यही वे राज थे जिससे घबराईं सोनिया और प्रियंका नटवर के घर पहुंच गई थीं. वह भी पांच साल तक बंद बातचीत के बाद!

उनसे से यह सवाल बार-बार पूछा गया था, लेकिन वह हर बार सवाल को घुमाते रहे. जाहिर है  कांग्रेस के सिपाही ने रिश्तों की लाज रखी और गांधी परिवार के राज को राज रहने दिया।

नटवर सिंह का दावा है कि इस बैठक में खुद प्रियंका गांधी ने ही सबको राहुल गांधी का पक्ष बताया। सिंह ने 2008 में कांग्रेस छोड़ दी थी, 2005 में इराक में अनाज के बदले तेल के घोटाले के चलते उन्हें यूपीए-1 सरकार से इस्तीफा देना पड़ा था।

नटवर सिंह का  राजनीतिक सफ़र | Kunwar Natwar Singh Political Career

साल 2004-05 में UPA-I सरकार में के. नटवर सिंह ने बतौर विदेश मंत्री अपनी सेवाएं दी थीं. साथ ही नटवर सिंह ने अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र में भी भारत के राजदूत का कार्यभार संभाला था.

  आपको बता दे कि 16 मई 1931 को राजस्थान के भरतपुर जिले में जन्मे नटवर सिंह एक शाही परिवार से ताल्लुक रखते थे. केम्ब्रिज विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करके वो भारतीय विदेश सेवा ( IFS ) में शामिल हुआ।

1984 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा और लोकसभा चुनाव जीतकर राजस्थान के भरतपुर सीट से लोकसभा चुनाव जीता। UPA-I में उन्होंने बतौर विदेश मंत्री के तौर पर कार्य किया। लेकिन वर्ष 2005 में ‘ऑयल फॉर फूड’ घोटाले मामले में उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा।

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