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Kunal Kamra Eknath Shinde Comedy : कुणाल कमरा की कॉमेडी पर शिंदे बोले – ‘यह सुपारी…’

Kunal Kamra Eknath Shinde Comedy : महाराष्ट्र में कॉमेडियन कुणाल कमरा के एकनाथ शिंदे की कॉमेडी करने के बाद एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। कॉमेडियन कुणाल कामरा ने ‘गद्दार’ नाम का गाना गाकर बिना एकनाथ शिंदे का नाम लिए ही उनपर बड़ा वार कर दिया। इसके बाद मुंबई पुलिस ने कुणाल कमरा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया है। वहीं अब कुणाल कमरा को लेकर एकनाथ शिंदे ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। एकनाथ शिंदे ने कुणाल कमरा के गाने पर कहा, “यह सुपारी देने जैसा है…” 

‘कमरा के शब्द सुपारी देने जैसे’ : Eknath Shinde

बई में कॉमेडियन कुणाल कमरा की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। मुंबई पुलिस लाइन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें पूछताछ के लिए तलब किया है। कुणाल कामरा (Kunal Kamra Eknath Shinde Comedy) ने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर टिप्पणी करते हुए कॉमेडी सॉन्ग गाया था। इसके बाद विवाद बढ़ गया और एकनाथ शिंदे ने खुद भी इस पर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, “कॉमेडी और व्यंग्य की एक सीमा होती है, लेकिन कामरा ने जो किया वह किसी के खिलाफ ‘सुपारी’ लेकर बोलने जैसा लग रहा है।” 

Kunal Kamra मोदी पर भी कर चुके हैं कॉमेडी

डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने कुणाल कमरा पर आगे आरोप लगाते हुए कहा कि यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने किसी नेता पर व्यंग्य किया है। कुणाल कमरा पहले भी कई  राजनेताओं पर व्यंग भरे शब्द कह चुके हैं। कुणाल कमरा में सुप्रीम कोर्ट, प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और उद्योगपतियों को लेकर भी कई आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। एकनाथ शिंदे ने आगे कहा बोलने की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण अधिकार है लेकिन हर चीज की एक सीमा होती है। 

एकनाथ शिंदे ने कहा, “इस व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट, प्रधानमंत्री, पत्रकार अर्नब गोस्वामी और कुछ उद्योगपतियों पर भी टिप्पणी की है। यह अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है, यह किसी के लिए काम करना है।”

अनुच्छेद 19’1′ के अधिकार पर बोले Eknath Shinde 

अनुच्छेद 19 (1) पर बात करते हुए एकनाथ शिंदे ने कहा कि हर किसी को बोलने और मजाक करने की स्वतंत्रता है लेकिन कुणाल कामरा के शब्दों में ऐसा लगा जैसे सुपारी लेने की बात की गई हो। उन्होंने आगे कहा कि व्यंग्य की आड़ में बोली जाने वाली टिप्पणियों में भी शिष्टाचार होना चाहिए। क्योंकि बिना शिष्टाचार के की जाने वाली टिप्पणियाँ कभी-कभी क्रिया की प्रतिक्रिया का कारण बन सकती हैं।

एकनाथ शिंदे ने ने एक मीडिया चैनल से बातचीत के दौरान कहा, “मैं इस बात पर ध्यान नहीं देता कि कौन क्या बोलता है। हमारा काम ही हमारे लिए बोलता है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन इसमें एक सीमा होनी चाहिए। शिंदे ने आगे कहा, “यह किसी के खिलाफ बोलने के लिए सुपारी लेने जैसा है।”

मज़ाक को लेकर क्या कहता है कानून? | Kunal Kamra Eknath Shinde Comedy

बता दें, अब महाराष्ट्र की राजनीति में इस बात पर बहस छिड़ गई है कि मजाक की सीमा कितनी होनी चाहिए और कहां तक होनी चाहिए। कुछ राजनेताओं ने यह बयान दिया है कि मजाक किसी भावनाओं को ठेस पहुंचने लगे तो यह नैतिक और कानूनी रूप से गलत माना जा सकता है। भारतीय न्याय संहिता (BNS) जो 2023 में भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह लागू की गई, उसमें भी मज़ाक, व्यंग्य और हास्य से जुड़े प्रावधान हैं। हालांकि, यह पूरी तरह से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक नहीं लगाता, लेकिन कुछ सीमाओं को निर्धारित करता है, ताकि कोई मज़ाक या टिप्पणी मानहानि, नफरत भड़काने या सार्वजनिक शांति भंग करने का कारण न बने।

ऐसे मज़ाक करने पर होती है ये सजा | comedy rules in india

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