Kota Srinivasa Rao Death: दक्षिण भारतीय फिल्मों के मशहूर अभिनेता और पूर्व विधायक कोटा श्रीनिवास राव का रविवार 13 जुलाई 2025 की सुबह हैदराबाद में निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे और हैदराबाद के जुबली हिल्स स्थित अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि वे पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन की खबर से पूरे फिल्म जगत और राजनीतिक हलकों में शोक की माहौल नज़र आ रहा है।
Kota Srinivasa Rao Last Movie
कोटा श्रीनिवास राव तेलुगु सिनेमा के उन चंद कलाकारों में से एक थे जिन्होंने अभिनय को केवल एक पेशा नहीं, बल्कि एक साधना के रूप में जिया। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1978 में तेलुगु फिल्म ‘प्रणाम खरीदु’ से की थी। इसके बाद उन्होंने लगभग 750 से अधिक फिल्मों में काम किया, जिनमें तेलुगु के साथ-साथ तमिल, कन्नड़ और हिंदी भाषाएं भी शामिल रहीं। उन्हें खासतौर पर उनकी नकारात्मक भूमिकाओं, कॉमिक टाइमिंग और गंभीर चरित्रों के लिए जाना जाता है। ‘शिवा’, ‘गायम’, ‘अथाड़ु’, ‘बोम्मारिल्लु’, ‘यमलीला’ और ‘रक्षा चारित्र’ जैसी फिल्मों में उनके किरदार आज भी दर्शकों की यादों में बसे हुए हैं। कोटा श्रीनिवास राव की आखरी कन्नड़ मूवी कब्ज़ा थी।
Kota Srinivasa Rao Death | Awards
उनके बेहतरीन अभिनय को कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया। भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2015 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया था। इसके अलावा, उन्हें नौ बार आंध्र प्रदेश सरकार के ‘नंदी पुरस्कार’ भी मिले। कोटा राव का अभिनय जितना दमदार था, उतनी ही मजबूत उनकी सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी भी रही है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से जुड़ते हुए 1999 से 2004 तक विजयवाड़ा ईस्ट सीट से विधायक के रूप में भी कार्य किया।
Kota Srinivasa Rao: सितारों-नेताओं ने किया शोक व्यक्त
उनके निधन पर फिल्म इंडस्ट्री के कई बड़े सितारों और नेताओं ने शोक व्यक्त किया। अभिनेता चिरंजीवी, रवि तेजा, एसएस राजामौली, विष्णु मनचू और सामंथा रुथ प्रभु समेत तमाम कलाकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कोटा राव को “कलात्मकता और नेतृत्व के प्रतीक” के रूप में याद किया।
कोटा श्रीनिवास राव का जाना केवल एक अभिनेता की विदाई नहीं है, बल्कि भारतीय सिनेमा से एक युग का अंत है। उनके किरदार, संवाद, और अभिनय की गहराई सदैव दर्शकों के दिलों में जीवित रहेगी। वे उन चंद कलाकारों में से थे जिन्होंने सिनेमा को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज की आत्मा से जोड़ने का काम किया। उनके योगदान को सदैव याद रखा जाएगा।