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Rajasthan 9 District Cancelled : जानिए भजनलाल सरकार ने राजस्थान में गहलोत कार्यकाल में बने 9 जिले क्यों किए निरस्त

Rajasthan 9 District Cancelled : राजस्थान में शनिवार को भजनलाल कैबिनेट ने ऐतिहासिक फैसला लिया। भजनलाल सरकार ने अशोक गहलोत के कार्यकाल में बने नौ जिलों को निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही भजनलाल कैबिनेट ने राज्य के तीन संभाग निरस्त भी कर निरस्त कर दिए हैं। अब राज्य में कुल 41 जिले रहेंगे। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने फैसले के पीछे की वजह भी बताई है। उन्होंने बताया कि पूर्ववर्ती गहलोत सरकर ने इन जिलों का गठन ऐन मौके पर बिना मापदंड पूरा किए ही कर दिया था। 

भजनलाल कैबिनेट ने रद्द किए 9 जिले | Rajasthan 9 District Cancelled

राजस्थान में भजनलाल शर्मा की कैबिनेट बैठक में पूर्ववर्ती अशोक गहलोत की सरकार में बनाए गए नौ जिलों पर कैंची चल गई है। भजनलाल सरकार ने राजस्थान के नौ जिले और तीन संभागों को निरस्त कर दिया है। बता दें कि राज्य में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार में कुल 17 जिले नए बनाए गए थे। जिनमें अब नौ जिलों को रद्द कर दिया गया है। जिसके बाद अब राजस्थान में कुल 41 जिले और 7 संभाग बचे हैं। 

राजस्थान के इन जिलों को किया निरस्त | 9 NEW DISTRICTS CANCELED

राजस्थान में आज जिन नौ जिलों को निरस्त किया गया है, उनमें दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना, गंगापुर सिटी ,जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अनूपगढ़ और सांचौर जिले को रद्द किया गया है। इसके साथ ही गहलोत सरकार ने तीन और जिले बनाने की घोषणा की थी जिनकी अधिसूचना जारी होने से पहले सत्ता पलट गई। वह मालपुरा, सुजानगढ़ और कुचामन थे। भजनलाल सरकार ने इन तीनों संभागों को भी रद्द कर दिया गया है। 

भजनलाल कैबिनेट ने क्यों लिया फैसला | Bhajanlal sharma Cabinet

कैबिनेट की बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल और खाद्य मंत्री सुमित गोदारा ने नौ जिलों को रद्द करने की जानकारी डी। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा, “पूर्ववर्ती सरकार में चुनाव से ऐन वक्त पहले जिलों का गठन किया गया था, जिनके मापदंड भी पूरे नहीं थे। ऐसे में मंत्रिमंडल की बैठक में आज नए जिलों में से सिर्फ आठ जिलों को ही यथावत रखने का फैसला किया है, शेष जिलों को निरस्त कर दिया है। इसी तरह तीन संभाग को भी निरस्त करने का फैसला किया है। ऐसे में अब प्रदेश में जिलों की संख्या 41 रह गई है, जबकि संभाग पूर्व की भांति सात ही रहेंगे। पाली, बांसवाड़ा और सीकर को संभाग बनाने का फैसला निरस्त कर दिया गया है।”

पूर्व सीएम गहलोत ने ने जताया विरोध

राजस्थान में भजनलाल सरकार द्वारा 9 नए जिलों को रद्द करने को लेकर कांग्रेस ने भाजपा पर कड़ा विरोध जताया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भजनलाल सरकार के इस फैसले को अदूरदर्शी व राजनीतिक प्रतिशोध बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया के X अकॉउंट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमारी सरकार के दौरान जिलों का पुनर्गठन करने के लिए वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रामलुभाया की अध्यक्षता में 21 मार्च 2022 को समिति बनाई गई थी जिसको दर्जनों जिलों के प्रतिवेदन प्राप्त हुए। इन्हीं प्रतिवेदनों का परीक्षण कर समिति ने अपनी रिपोर्ट दी जिसके आधार पर नए जिले बनाने का निर्णय किया गया।”

राजस्थान से छोटा होने के बाद भी एमपी में 53 जिले | Ashok Gehlot statement

पूर्व सीएम गहलोत ने आगे लिखा, “मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य बन गया परन्तु प्रशासनिक इकाइयों का पुनर्गठन उस अनुपात में नहीं हुआ था। राजस्थान से छोटा होने के बाद भी मध्य प्रदेश में 53 जिले हैं। नए जिलों के गठन से पूर्व राजस्थान में हर जिले की औसत आबाादी 35.42 लाख व क्षेत्रफल 12,147 वर्ग किलोमीटर था (हालांकि त्रिपुरा राज्य का क्षेत्रफल 10,492 वर्ग किलोमीटर, गोवा राज्य का क्षेत्रफल 3,702 वर्ग किलोमीटर, दिल्ली केन्द्र शासित प्रदेश का क्षेत्रफल 1,484 वर्ग किलोमीटर है) जबकि नए जिले बनने के बाद जिलों की औसत आबादी 15.35 लाख व क्षेत्रफल 5268 वर्ग किलोमीटर हो गया था।”

जिलों को रद्द करना अनुचित है – गहलोत | Rajasthan News

कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने लिखा, “जिले की आबादी व क्षेत्र कम होने से शासन-प्रशासन की पहुंच बेहतर होती है एवं सुविधाओं व योजनाओं की बेहतर डिलीवरी सुनिश्चित हो पाती है। छोटी प्रशासनिक इकाई होने पर जनता की प्रतिवेदनाओं का निस्तारण भी शीघ्रता से होता है। भाजपा सरकार द्वारा जिन जिलों को छोटा होने का तर्क देकर रद्द किया है वो भी अनुचित है। जिले का आकार वहां की भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर होता है। हमारे पड़ोसी राज्यों के जिले जैसे गुजरात के डांग (2 लाख 29 हजार), पोरबंदर (5 लाख 85 हजार) एवं नर्बदा (5 लाख 91 हजार), हरियाणा के पंचकुला (5 लाख 59 हजार) एवं चरखी दादरी (लगभग 5 लाख 1 हजार), पंजाब के मलेरकोटला (लगभग 4 लाख 30 हजार), बरनाला(5 लाख 96 हजार) एवं फतेहगढ़ साहिब (6 लाख) जैसे कम आबादी वाले जिले हैं। कम आबादी वाले जिलों में सरकार की प्लानिंग की सफलता भी ज्यादा होती है। छोटे जिलों में कानून व्यवस्था की स्थिति को बहाल रखना भी आसान होता है क्योंकि वहां पुलिस की पहुंच अधिक होती है।”

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