ISRO के मौजूदा चेयरमैन एस सोमनाथ ने 14 जनवरी 2022 को ISRO चेयरमैन का पद संभाला था। वो अब 3 साल के कार्यकाल के बाद रिटायर हो रहे हैं। जिनके बाद भारत सरकार ने वी नारायणन को ISRO के नए अध्यक्ष के रूप में चुना है। जो 14 जनवरी से अपना पदभार संभालेंगे। साथ ही वह अंतरिक्ष विभाग के सचिव का पद भी संभालेंगे। इन्ही ज़िम्मेदारियों के साथ V नारायणन अगले दो सालों तक या आगामी आदेश तक काम करेंगे।
ISRO की सफलता के लिए खास होंगे ‘वी नारायणन’ :
नियुक्ति समिति का ये फैसला ISRO के हिस्ट्री में अहम बदलाव के रूप में है जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के future को नई दिशा देने में सहायक साबित हो सकता है.वी नारायणन की नियुक्ति एक अहम कदम है क्योंकि उनका Experience and Contribution भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में appreciable रहा है. वह एक प्रतिष्ठित Scientist हैं और साथ ही उनके नेतृत्व में ISRO और भी नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है
वी नारायणन एक जाने माने सम्मानित Scientist हैं जिनके पास रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट प्रपल्शन के क्षेत्र में लगभग चार दशकों का experience है. उन्होंने 1984 में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO से जुड़कर कई अहम भूमिकाएं निभाई। अभी तक वो LPSC यानि की लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर के director के तौर पर काम कर रहे थे जो ISRO का एक प्रमुख केंद्र है।
कई अहम प्रोजेक्ट्स पर काम किया :
उनकी वैज्ञानिक यात्रा की शुरुआत विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र से हुई जहां उन्होंने ASLV यानि की Augmented Satellite Launch Vehicle और PSLV यानि की Polar Satellite Launch Vehicle के development में अहम योगदान दिया. इसके अलावा उन्होंने कई प्रमुख प्रणालियों जैसे Ablative नोजल सिस्टम, कॉम्पोजिट मोटर केस और कॉम्पोजिट इग्निटर केस के manufacturing और testing में भी important role.निभाया. साथ ही उन्होंने रॉकेट प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी और स्पेसक्राफ्ट प्रोपल्शन के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की और कई अहम प्रोजेक्ट्स पर काम किया. अभी के टाइम में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर के डिरेक्टर के तौर पर उन्होंने कई एडवांस्ड सिस्टम्स को develop किया .साथ ही वो ISRO के कई सफल मिशनों का भी हिस्सा बने।
Space Docking Technology का सफल प्रक्षेपण :
ISRO ने हाल ही में अपनी प्रमुख उपलब्धियों में से एक को हासिल किया है जिसमें स्पैडेक यानि की Space Docking Technology का सफल प्रक्षेपण शामिल है. …इसमें भी वी नारायणन का अहम् योगदान रहा। डॉकिंग तकनीक का मतलब अंतरिक्ष में दो यानों को जोड़ने की प्रक्रिया ये तकनीक ऐसी है जो भारत को उन देशों के साथ खड़ा करती है जिनके पास अंतरिक्ष में डॉकिंग करने की तकनीकी क्षमता है जैसे कि अमेरिका, रूस और चीन। इस तकनीक के सफल परीक्षण ने भारत को अंतरिक्ष में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद की है।
इन्ही सब उपलब्धियों और उनके योगदान के चलते वी नारायणन की नियुक्ति के बाद Indian space missions की गति और उन्नति की उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं उनके नेतृत्व में ISRO को नई ऊंचाइयों तक पहुंचने का अवसर मिलेगा क्योंकि उनका experience और guidance भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को दुनिया भर में और भी Relevant बना सकता है. और जो वी. नारायणन ने ISRO के अंतरिक्ष मिशनों को सफल बनाने में अपना योगदान दिया है और जो योगदान देंगे वो भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक अग्रणी राष्ट्र बनने में भी मदद करेगा।.