Site icon SHABD SANCHI

International Yoga Day 2025 पर जानें योग की उत्पत्ति और इतिहास

International Yoga Day 2025: प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। योग एक प्राचीन भारतीय शारीरिक अभ्यास है जो मन और आत्मा को जोड़ता है। इसके कई सारे शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक फायदे हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस प्रस्ताव भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में रखा था, जिसे 177 देशों का समर्थन मिला था। जिसके बाद वैश्विक स्तर पर इसे अपनाने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने 2014 में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया। इसलिए तब से प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।

वर्ष 2025 का योग दिवस का थीम

भारत में बड़े पैमाने पर स्कूलों और कॉलेजों में योग कार्यक्रम और सार्वजनिक स्थानों पर सामूहिक योग अभ्यास आयोजित किए जाते हैं। हर साल योग दिवस पर एक थीम निर्धारित की जाती है। वर्ष 2025 की थीम है- “योगा फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ”, अर्थात एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” जो व्यक्तिगत और सामाजिक कल्याण पर केंद्रित है।

क्या होता है योग

योग एक प्राचीन भारतीय अभ्यास है जो शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करता है। योग का सामान्य शब्दों में अर्थ होता है जोड़ना, तन को मन से, शरीर को आत्मा से और आत्मा को परमात्मा से। योग शब्द संस्कृत के “युज” धातु से आया है, जिसका अर्थ है जोड़ना या एक करना, अर्थात् व्यक्ति का अपनी चेतना के साथ एकीकरण ही योग कहलाता है।

योग की उत्पत्ति

ऋग्वेद में ‘तपस’ और ‘ध्यान’ जैसे शब्दों का उल्लेख है, जो योग के प्रारंभिक रूपों की ओर इशारा करते हैं। उपनिषदों में ध्यान और आत्म-ज्ञान पर जोर दिया गया है, जो योग का एक प्रमुख आधार है। लेकिन योग की उत्पत्ति पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व में, विशेष रूप से भारतवर्ष के पूर्वी क्षेत्रों अर्थात गंगा बेसिन में, विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराएं प्रारंभ हुईं, जो परस्पर एक-दूसरे को प्रभावित कर रहीं थीं। इन धार्मिक प्रथाओं में वैदिक परंपराओं के साथ-साथ ही जैन और बौद्ध जैसे कई श्रमण परंपराएं भी थीं। इन्हीं परंपराओं से मिल-जुल कर योग की उत्पत्ति और विकास हुआ।

महर्षि पतंजलि थे योग के प्रवर्तक

लेकिन योग के पहले प्रवर्तक थे महर्षि पतंजलि, जो पुष्यमित्र शुंग के समकालीन माने जाते है। उन्होंने सर्वप्रथम योग को दार्शनिक स्वरूप दिया। उन्होंने “योगसूत्र” नाम के ग्रंथ में में योग को व्यवस्थित किया। उन्होंने अष्टांग योग अर्थात- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि का वर्णन किया, जो आज भी योग का मूल आधार है। पतंजलि ने योग को “चित्तवृत्ति निरोध” अर्थात मन की वृत्तियों का नियंत्रण के रूप में परिभाषित किया। महर्षि पतंजलि के योगसूत्र पर ही आज प्रचलित योग विधियाँ प्रचलित हैं।

मध्यकाल में हठयोग

हठ योग को आधुनिक योग का आधार माना जाता है, क्योंकि इसके शारीरिक अभ्यासों ने विश्व स्तर पर लोकप्रिय योग शैलियोंको प्रभावित किया है। विद्वानों के अनुसार हठयोग का विकास 9वीं से 11वीं शताब्दी के मध्य, तंत्र परंपराओं और नाथ संप्रदाय से प्रभावित होकर हुआ। नाथ पंथ के योगियों मत्स्येंद्रनाथ और उनके शिष्य गोरखनाथ ने हठ योग को लोकप्रिय बनाया। इस काल में शारीरिक और आध्यात्मिक अभ्यासों को जोड़ने पर जोर दिया गया। आसन, प्राणायाम, शुद्धिक्रिया, और मुद्रा हठयोग के मुख्य भाग होते हैं। हठयोग प्रदीपिका को हठ योग का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।

स्वामी विवेकानंद ने विश्व पटल पर पहली बार योग की अवधारणा प्रस्तुत की

आधुनिक काल में योग को विश्व जगत से परिचित करवाने का श्रेय स्वामी विवेकानंद को जाता है। जिन्होंने 1893 में शिकागो के धर्मसम्मेल्लन में प्रथम बार योग को प्रस्तुत किया। और स्वामी विवेकानंद के माध्यम से ही पश्चिम पहली बार योग से परिचित हुआ। उसके बाद कई योग गुरुओं के माध्यम से यह यूरोप और अमेरिका में अत्यंत लोकप्रिय हुआ।

क्या सिंधु घाटी सभ्यता में भी योग था

कुछ विद्वानों का अनुमान है योग की जड़ें संभवतः वैदिक काल से पहले की हो सकती हैं, जैसा कि सिंधु घाटी सभ्यता की पुरातात्विक खोजों से संकेत मिलता है। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से प्राप्त पशुपति मुहर में, ध्यान या योग मुद्रा में बैठी आकृति मिलती है, जो योग की प्राचीनता की ओर इशारा करती है। हालांकि ये कोई प्रमाणिक साक्ष्य नहीं है, इसीलिए यह केवल एक अनुमान मात्र है।

Exit mobile version