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जानें ‘महाभारत’ लिखे जाने की पौराणिक कथा, आखिर कैसे रचा गया, यह अनुपम ग्रंथ

Story Of Writing Mahabharata: महाभारत भारतीय इतिहास का महानतम ग्रंथ है, जिसके रचनाकार थे, महर्षि वेदव्यास। महाभारत, विश्व का सबसे लंबा महाकाव्य और भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो न केवल एक कथा है, बल्कि धर्म, दर्शन, नीति, और मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं का एक विशाल संग्रह है। इसकी रचना के पीछे की प्रक्रिया और इतिहास उतना ही रोचक है, जितना कि स्वयं यह महाकाव्य।

महान भारत वंश की कथा है, इस ग्रंथ को ‘इतिहास’, ‘पंचम वेद’ और ‘काव्य की चरम परिणति’ भी कहा गया है। यह 1,00,000 से अधिक श्लोकों का महाकाव्य है।महाभारत लिखे जाने की कथा, अत्यंत रोचक और रहस्यमय है। इसे वेदव्यास ने लिखा था, लेकिन इसके लेखन की कहानी स्वयं एक पौराणिक कथा है, जो शास्त्रों और पुराणों में बताई गई है।


वेदव्यास की इच्छा और ब्रह्मा जी का आशीर्वाद

कहते हैं कि महर्षि वेदव्यास ने महाभारत युद्ध की घटनाओं को स्वयमेव देखा और अनुभव किया था। यह घटनाएँ अत्यंत गूढ़ और विराट थीं। इसीलिए उन्होंने संकल्प लिया कि इस गूढ़ ज्ञान को लेखबद्ध किया जाए ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ इससे नीति, धर्म और जीवन का मार्गदर्शन ले सकें। इसके लिए महर्षि वेदव्यास ने ब्रह्मा जी से आशीर्वाद प्राप्त किया कि वे इस कार्य में सफल हो सकें। ब्रह्मा जी ने कहा- कि तुम विचार करो, परंतु लेखन के लिए किसी ऐसे को बुलाओ जो निरंतर और बिना रुके लिख सके।

गणेश जी को लेखक बनाने की शर्त

इसीलिए महर्षि वेदव्यास ने भगवान श्री गणेश जी से निवेदन किया कि वे इस ग्रंथ को लिखें। गणेश जी ने यह प्रस्ताव स्वीकार तो कर लिया, लेकिन एक शर्त रखी, “मैं लिखना तभी शुरू करूंगा, जब तुम बिना रुके मुझे सुनाते रहोगे। यदि तुम रुके, तो मैं लेखन छोड़ दूँगा।” महर्षि उनकी शर्त स्वीकार कर ली, लेकिन साथ

वेदव्यास ने भी एक शर्त रखी

महर्षि वेदव्यास ने श्रीगणेश की शर्त स्वीकार कर ली, लेकिन साथ ही में अपनी भी एक शर्त जोड़ दी। उन्होंने कहा, “लेकिन आप तब तक नहीं लिखेंगे, जब तक मेरे द्वारा बोले गए किसी भी श्लोक का अर्थ पूरी तरह न समझ लें।” श्री गणेश ने भी उनकी शर्त स्वीकार कर ली।

महर्षि व्यास की वाणी और श्रीगणेश का लेखन

इस प्रकार, महाभारत लिखना प्रारंभ हुआ। महर्षि व्यास बीच-बीच में बहुत गूढ़ श्लोक बोल देते थे, जब तक श्रीगणेश उनका गूढ़ अर्थ समझने के लिए कुछ क्षण विचारकार करते, तब तक महर्षि वेदव्यास नए श्लोक रच लेते थे। इस तरह, महर्षि व्यास बोलते गए और श्रीगणेश लिखते गए। और इस तरह भारतीय सभ्यता का अनुपम ग्रंथ ‘महाभारत’ रचा गया।

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