अधिकारियों का कहना है कि हालिया बढ़ोतरी के बावजूद भारत में मोबाइल सेवा दरें अभी भी दुनिया में सबसे किफायती हैं
देश की तीन सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनियों ने मोबाइल सेवा दरों (MOBILE TARRIF) में भारी बढ़ोतरी की है। रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने अपनी मोबाइल सेवा दरें 11 से 25 फीसदी तक बढ़ा दी हैं। इससे महंगाई से जूझ रहे आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है। हालांकि, सरकार और टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई का इस मामले में दखल देने का कोई इरादा नहीं है।
यह बढ़ोतरी तीन साल बाद हुई
अधिकारियों का कहना है कि हालिया बढ़ोतरी के बावजूद भारत में मोबाइल सेवा दरें अभी भी दुनिया में सबसे किफायती हैं। संस्था् के अधिकारी चाहते हैं कि कंपनियाँ अपनी सेवाओं की गुणवत्ता पर अधिक ध्यान दें। एक अधिकारी ने ईटी को बताया कि टेलीकॉम सेक्टर में काफी प्रतिस्पर्धा है और स्थिति इतनी गंभीर नहीं है कि सरकार के हस्तक्षेप की जरूरत पड़े। मूल्य वृद्धि से उपभोक्ताओं को थोड़ी परेशानी हो सकती है, लेकिन यह बढ़ोतरी तीन साल बाद हुई है।
दूरसंचार खर्च घरेलू खर्च का 2.8% हुआ
टेलीकॉम कंपनियों ने मोबाइल टैरिफ में 11-25 फीसदी तक बढ़ोतरी कर दी है, जो इसी हफ्ते से लागू हो जाएगी। जानकारों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में शहरी भारत में दूरसंचार खर्च घरेलू खर्च का 2.8% हो जाएगा। साथ ही ये वित्त वर्ष 2024 में 2.7% था। ग्रामीण परिवारों के लिए यह 4.5% से बढ़कर 4.7% हो जाएगी। अधिकारियों और विश्लेषकों का कहना है कि बढ़ोतरी बहुत बड़ी नहीं है।
घरेलू खर्च पर बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं
टेलीकॉम कंपनियों ने प्रति उपयोगकर्ता औसत राजस्व (एआरपीयू) बढ़ाने के लिए टैरिफ में बढ़ोतरी की है। उन्होंने महंगा 5G स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए बहुत अधिक भुगतान किया, लेकिन अब तक बहुत कम मुद्रीकरण हुआ है। एक्सिस कैपिटल ने एक नोट में कहा कि विश्लेषण से पता चलता है कि टैरिफ में 13% (औसत) वृद्धि मध्यम है और इसका घरेलू खर्च पर बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।
इस बीच सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल के कर्मचारी संघ ने टेलीकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से शिकायत की है कि निजी कंपनियां आम आदमी को धोखा दे रही हैं। यूनियन का दावा है कि पहले बीएसएनएल एक सच्चे मूल्य नियामक के रूप में काम करता था। इसकी बदौलत निजी कंपनियां टैरिफ बढ़ाने से बच गईं।