Mahua Moitra expelled from Parliament: 17 वीं लोकसभा में सांसद चुन कर आई महुआ मोइत्रा पक्षिम बंगाल की कृष्णानगर से सांसद थीं. थीं इसलिए क्योंकि 8 दिसंबर को उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है.
कैश फॉर क्वेरी केस (Cash for query) मामले में TMC नेता महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है. मामला क्या है शुरू से शरू करते हैं. 15 अक्टूबर को BJP सांसद निशिकांत दुबे महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर सवाल करने के आरोप लगाए थे. आरोपियों की जांच हुई और दो महीने से भी कम समय में 8 दिसंबर को महुआ मोइत्रा की सांसद सदस्यता रद्द कर दिया गया. इन दो महीनों में क्या-क्या हुआ विस्तार से समझते हैं.
15 अक्टूबर को झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला (Om Birla) को को पत्र लिखा. आरोप लगाया कि महुआ मोइत्रा ससंद में अडानी समूह के खिलाफ सवाल पूछने के लिए बिज़नेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसे लेती हैं. उन्होंने दवा किया कि हीरानंदानी को अडानी ग्रुप की वजह से एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिल पाया था और बदले में उन्होंने मोइत्रा के जरिए संसद में अडानी को घेरा.
एक दूसरी चिट्ठी में निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया कि महुआ मोइत्रा ने दर्शन हीरानंदानी को अपना लोकसभा वेबसाइट का लॉगिन आईडी-पासवर्ड भी दिया. ताकि उनके सवाल संसद में पूछे जाएं. कहा कि ये भारत की नेशनल सिक्योरिटी के साथ खिलवाड़ है. निशिकांत दुबे ने चिट्ठी में बताया कि महुआ के खिलाफ उन्हें ये सबूत सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहादराई ने दिए है.
बताते चलें कि, अनंत देहादराई – जो महुआ मोइत्रा के एक्स बॉयफ्रेंड भी रहे हैं – उन्होंने भी महुआ के खिलाफ CBI में एक हलफनामा दायर कर दिया.
17 अक्टूबर को नहुआ मोइत्रा दिल्ली हाई कोर्ट चाली गई. निशिकांत दुबे, जय अनंत देहादराई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि का केस कर दिया. महुआ ने दोनों को लीगल नोटिस भी भेजा.
19 अक्टूबर को दर्शन हीरानंदानी ने लोकसभा की एथिक्स कमिटी के सामने कथित हलफनामा दर्ज किया. आरोप लगाया कि महुआ मोइत्रा राष्ट्रीय राजनीति में तेजी से नाम बनाना चाहती थीं. इसलिए उनके दोस्तों और सलाहकारों ने उन्हें PM मोदी और अडानी पर निशाना साधने की सलाह दी. दावा किया कि महुआ मोइत्रा उनसे लग्जरी आइटम्स गिफ्ट के तौर पर मांगती थीं, छुट्टियों और यात्राओं पर होने वाला खर्च भी मांगती थीं.
महुआ ने हलफनामे की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए. आरोप लगाया कि ये PM दफ़्तर में कुछ ‘कम अक्ल’ वाले लोगों से तैयार करवाया गया है, जो BJP IT सेल के लिए भी काम करते हैं. इसी बीच महुआ ने ये भी कबूल किया कि उन्होंने अपने लोकसभा पोर्टल का लॉगिन ID और पासवर्ड दर्शन हीरानंदानी को दिया था. सफाई दी कि हीरानंदानी का एक आदमी उस पर केवल सवाल टाइप करता था. हीरानंदानी से दोस्त के तौर पर तीन-चार गिफ्ट्स लेने की बात भी मानी.
मामला 15 सदस्यों की एथिक्स कमिटी के पास पंहुचा। कमिटी के चेयरमैन थे भाजपा सांसद विनोद सोनकर। कमिटी की रिपोर्ट 8 दिसंबर को सदस्यों के सामने टेबल की गई.
एथिक्स कमिटी ने कहा की महुआ मोइत्रा अपने ‘unethical conduct’ से मामले को भटकाने का प्रयास कर रही थीं. कमिटी ने उनसे पुछा कि आप दुबई कितनी बार गई और किस होटल में रुकीं? इस पर जवाब देने पर महुआ मोइत्रा ने मना कर दिया।, बल्कि कमिटी के मेंबर को बेहूदा और बेशर्म जैसे अपशब्द कहे.