Ganga Dussehra 2025 | कब है गंगा दशहरा और यह क्यों मनाया जाता है, जानें गंगावतरण की पौराणिक कथा

All About Ganga Dussehra 2025 In Hindi: माँ गंगा का महत्व हिंदू धर्म, संस्कृति, और आध्यात्मिकता में बहुत ज्यादा है। भारत में गंगा नदी को केवल एक जल स्रोत वाली नदी नहीं, बल्कि एक पवित्र देवी, मां, और जीवनदायिनी माना जाता है। गंगा दशहरा जो पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा के पृथ्वी पर अवतरण के दिन मनाया जाता है। जो भारतीय सभ्यता में उनके महत्व को बताता है।

गंगा अवतरण की पौराणिक कथा

अयोध्या के सूर्यवंशी राजा सगर के 60,000 पुत्रों ने अश्वमेध यज्ञ किया, लेकिन यज्ञ का घोड़ा इंद्र ने चुराकर कपिल मुनि के आश्रम में बाँध दिया। यज्ञ के घोड़े को ढूंढते हुए सगर के पुत्रों को वह घोड़ा ऋषि आश्रम में मिला, जिसके बाद उन्होंने कपिल मुनि पर चोरी का आरोप लगाया, जिससे क्रुद्ध होकर मुनि ने उन्हें भस्म कर दिया। उनकी आत्माओं की मुक्ति के लिए देवनदी गंगा की आवश्यकता थी, जो स्वर्ग में बहा करती थीं।

बाद में सगर के एक वंशज भागीरथ ने अपने इन पूर्वजों का उद्धार करने के लिए कठोर तपस्या की और ब्रह्मा से गंगा को पृथ्वी पर लाने की प्रार्थना की। गंगा स्वर्ग से उतरने को तो तैयार हुईं, लेकिन विडंबना थी उनके वेग को पृथ्वी सहन नहीं कर सकती थी। जिसके बाद भगीरथ ने भगवान शिव की घोर तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया। और गंगा के तीव्र प्रवाह को नियंत्रित करने की प्रार्थना की, जिसके बाद भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में समाहित कर उनके प्रवाह को नियंत्रित किया।

कुछ कथाओं के अनुसार गंगा को अपने वेग और प्रवाह पर बड़ा अहंकार था। जिसके बाद भगवान शिव ने उनके अहंकार को तोड़ने के लिए, उनको अपने जटाओं में समाहित कर लिया था। गंगा वर्षों तक शिव की जटाओं में भटकती रहीं, लेकिन उनको मुक्ति का मार्ग ना मिला, तब उन्हें भूल का पश्चाताप हुआ और उन्होंने भगवान शिव की प्रार्थना की, इधर भगीरथ भी भगवान से गंगा की मुक्ति के लिए प्रार्थना कर रहे थे। जिसके बाद भगवान शिव ने गंगा को 7 धाराओं के रूप में धीरे-धीरे पृथ्वी पर छोड़ा, जिससे सगर के पुत्रों की आत्माओं को मुक्ति मिली।

राजा भागीरथ द्वारा पृथ्वी पर लाए जाने के कारण ही गंगा को “भागीरथी” कहा जाता है, जबकि गंगा को अपने जटाओं में धारण करने के कारण भगवान शिव को गंगाधर कहा जाता है।

क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा

गंगा दशहरा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो माँ गंगा के पृथ्वी पर अवतरण की स्मृति के उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। यह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पड़ता है, यह दिन पापों से मुक्ति और आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक है। गंगा को “पतित पावनी” माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान से दस प्रकार के पाप नष्ट होते हैं, इसलिए इसे “दशहरा” कहते हैं। इस दिन भक्त गंगा में स्नान, पूजा, दान, और मंत्र जप इत्यादि करते हैं। हरिद्वार, ऋषिकेश, प्रयाग और वाराणसी जैसे तीर्थ स्थानों पर विशेष आयोजन होते हैं और जब बहुत सारे लोग इकट्ठा होते हैं।

इस वर्ष कब है गंगा दशहरा

हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष के गंगा दशहरा की दसमी तिथि 4 जून को रात 11 बजकर 54 मिनट पर परारंभ होगी और 6 जून को रात्रि 2 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। इस हिसाब से उदया तिथि के अनुसार गंगा दशहरा 5 जून को मनाया जाएगा।

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