Know About The Museums Of Rewa In Hindi: आज अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस है। यह दिवस पूरी दुनियाभर में 18 मई को बड़े जोर-शोर से मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की शुरुआत वर्ष 1977 से की गई थी। इसको मनाए जाने का प्रमुख उद्देश्य है ऐतिहासिक चीजों को महज संजो कर रखना नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से इतिहास के विविधताओं और उनके सांस्कृतिक महत्व को समझना है।
इस अवसर पर आज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अर्थात ASI ने देश में आज लोगों को देश के सभी संग्रहालयों और स्मारकों में इस दिन एंट्री फ्री रहेगी, अर्थात उनसे कोई बि शुल्क वसूला नहीं जाएगा। मध्यप्रदेश के रीवा शहर में भी दो संग्रहालय हैं। एक है व्यंकट भवन में स्थित जिला पुरातत्व संग्रहालय और दूसरा है रीवा किले में स्थापित बघेला संग्रहालय। आइए जानते हैं इन दोनों संग्रहालयों के बारे में।
रीवा जिला पुरातत्व संग्रहालय | Rewa District Archaeological Museum
शहर के हृदयस्थल में स्थित व्यंकट भवन में यह संग्रहालय स्थापित है। इस संग्रहालय की देख-रेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा किया जाता है। इस भवन में अतिप्राचीन कल्चुरि कालीन प्रतिमाएँ संग्रहीत हैं। जो गुरगी और रेहुँटा से यहाँ लाई गई हैं। गुरगी में अत्यंत प्राचीन नगर और दुर्ग के अवशेष प्राप्त होते हैं। यहाँ से ही प्राप्त प्रस्तर प्रतिमाओं को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा यहाँ संग्रहीत किया गया है। ये प्रतिमाएँ अत्यंत खूबसूरत और नक्काशीदार हैं। इनमें से कई खंडित हो गई हैं और कई अभी अच्छी स्थिति में हैं।
व्यंकट भवन खुद ही बहुत ही भव्य और खूबसूरत है जीसे इंडो-यूरोपी शैली में बनाया गया था। यहाँ पर एक सुरंग भी है, जो यहाँ आने वाले शरणार्थियों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
बघेला संग्रहालय रीवा किला | Baghela Museum Rewa Fort
यह संग्रहालय रीवा किले में स्थित है, इसकी देखरेख और महाराजा मार्तंड सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। इस संग्रहालय में रीवा के बघेला राजाओं के समय के वैभव और राजसी ठाट-बाट को दिखाती चीजें रखीं गईं हैं। जिनमें सबसे प्रमुख है एक 7 क्विंटल वजन का झूमर जो दुधिए रंग का है। बताया जाता है ऐसा झूमर केवल ग्वालियर, रीवा और मैसूर रियासत के पास ही था।
इसके अलावा यहाँ 365 किलो वजन यक चांदी का सिंहासन है। राजाओं के राजसी वस्त्र और जेवर, उनके उपयोग की वस्तुएँ। और कई अस्त्र और शस्त्र भी हैं। इसके अलावा भी यहाँ नायाब पेन पिस्टन, चोरों को पकड़ने वाला ताला और खाने में जहर को बताने वाले बर्तन भी हैं। संग्रहालय में यहाँ के राजाओं की खूबसूरत तस्वीरें और पेंटिंग हैं इस संग्रहालय की कई तलवारें इत्यादि शाहरुख खान अभिनीत फिल्म अशोका की शूटिंग में भी प्रयुक्त हुई हैं।
यह संग्रहालय पहले गोविंदगढ़ के महल में रियासत काल से ही स्थापित था। लेकिन 1971 में राजाओं के प्रिवी पर्स खत्म होने के बाद यह महल रीवा राजाओं से ले लिया गया। तब संग्रहालय की वस्तुओं को रीवा लाया गया और पीली कोठी में स्थापित किया गया। लेकिन कालांतर में सुरक्षा की दृष्टि से इसे रीवा किले में स्थानांतरित कर दिया गया।