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KK Birth Anniversary | KK का सुरीला कारवाँ

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KK Birth Anniversary In Hindi : आज बात करते हैं ऐसे गायक की जिसे ऊपर वाले ने गाने का ऐसा हुनर या तोहफा देके इस दुनिया में भेजा था जिससे उन्होंने कम वक्त में ही पूरी दुनिया को अपनी सुरीली आवाज़ और अंदाज़ से मंत्र मुग्ध कर दिया जी हां ये थे कृष्णकुमार कुन्नत यानी के .के. जिन्होंने ने क़रीब क़रीब हर भारतीय भाषा में गाने गाकर हमारे दिलों में एक ख़ास मुक़ाम हासिल किया था, उनके गीतों में न केवल भाषाएं अलग-अलग थीं बल्कि गायकी का अंदाज़ भी मुख्तलिफ था ,उस पर आवाज़ भी दुनिया से जुदा एक जादुई मिठास लिए हुए थी ।

के. के. “द मेस्मेराइज़र”

उनके दिलनशीं नग़्मों की फेहरिस्त से कुछ गीत हमारे ज़हन में फौरन दस्तक देते हैं ,जैसे –
“कोई कहे कहता रहे”, “ओ हमदम सुनियो रे”,” दस बहाने “, “क्या मुझे प्यार है” , ”तू ही मेरी शब है” , ”आंखों में तेरी” “ज़रा सी दिल में”, “दिल इबादत कर रहा है”, “ज़िंदगी दो पल “,”खुदा जाने”, “इंडिया वाले” ,” पिया आये न” ,और फिल्म बजरंगी भाईजान से “तू जो मिला”, और भी इस जैसे उनके कई गीत , आज भी उनके चाहने वालों की धड़कनों में शामिल हैं ,रोमेंटिक गानों में उनकी आवाज़ का कोई सानी नहीं है शायद यही वजह है कि के. के. को उनके रोमांटिक गानों के लिए “द मेस्मेराइज़र” के नाम से जाना जाता था।

हॉटेल्स में भी गाए गाने –

23 अगस्त 1968 को दिल्ली में मलयाली परिवार में जन्मे कृष्णकुमार कुन्नथ नई दिल्ली में पले-बढ़े। बॉलीवुड में आने से पहले वो क़रीब 3,500 जिंगल्स गा चुके थे और 1999 को क्रिकेट विश्व कप के दौरान वो भारतीय राष्ट्रीय टीम के सपोर्ट में रिलीज़ किए गए गीत “जोश ऑफ़ इंडिया” में दिखाई दिए थे । अब बात करते हैं उनके करियर के शुरुआती दौर की ,तो उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद , छह महीने मार्केटिंग एक्ज़ीक्यूटिव के रूप में भी काम किया,

संगीत में दिलचस्पी बहोत थी मगर फिल्म संगीत में अपनी जगह बनाने से पहले वो खुद को आज़माना चाहते थे इसलिए होटलों में भी गाना गाया और फिर 1994 में वो मुंबई आए ,जहां लुइस बैंक्स , रंजीत बारोट और लेस्ले लुईस को अपने गाने सुनाए जिसके बाद उन्हें अपना पहला जिंगल मिला और इसके लिए लेस्ले लुईस को उन्होंने अपना गुरु मान लिया और महज़ चार साल में, केके ने 11 भाषाओं में 3,500 से अधिक जिंगल गाए, प्ले बैक सिंगिंग की तरफ रुख़ करते हुए उन्होंने एआर रहमान के “कल्लूरी साले” और कदीर की कधल देशम से “हैलो डॉ.” और एवीएम प्रोडक्शंस की 1997 की संगीतमय फिल्म, ‘मिंसारा कनवु’ के गाने से शुरुआत की थी , जिसमें “स्ट्रॉबेरी कन्ने” गीत सबसे ज़्यादा मशहूर हुआ ।

पहले गाने से मचाई बॉलीवुड में धूम

केके ने बॉलीवुड में अपना डेब्यू 1999 की फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम के गाने’ “तड़प-तड़प के इस दिल से” से किया जिसने रिलीज़ होते ही उन्हें बुलंदियों पर पहुंचा दिया हालाँकि, इस गाने से पहले, उन्होंने गुलज़ार की 1996 की फिल्म माचिस में “छोड़ आये हम” गीत की कुछ लाइनें गाई थीं ,उन्हें फ़िल्म बचना ऐ हसीनों के “खुदा जाने” के लिए 2009 का स्क्रीन अवार्ड्स बेस्ट प्लेबैक सिंगर – मेल अवॉर्ड मिला । 2022 में, केके ने फ़िल्म निर्माता श्रीजीत मुखर्जी और गीतकार गुलज़ार के साथ शेरदिल: द पीलीभीत सागा के लिए एक गीत पर काम किया था ,

“धूप पानी बहने दे”जो उनके इस जहां से जाने के बाद रिलीज़ किया गया , उनके गीतों ने 2000 के दशक के दौरान तमिल फिल्म संगीत को परिभाषित किया और तमिल संस्कृति का बेमिसाल हिस्सा बने। 2004 में, केके का तमिल गाना “अप्पाडी पोडु” पूरे भारत में लोकप्रिय हो गया और क्लबों से लेकर शादियों तक में बजाया गया। 2003 में, हैरिस जयराज द्वारा रचित उनकी दो हिट फ़िल्में थीं: “उइरिन उइरे” और “कल्याणम धान कट्टिकिट्टू”। “उयिरिन उयिरे” कई शहरों में लोकप्रिय हुआ और देखते ही देखते “कल्याणम धान कट्टिकिट्टू” ने पूरे तमिलनाडु में धूम मचा दी।

गाना पूरा करके ही कहा दुनिया को अलविदा

1999 में जब सोनी म्यूज़िक भारत में लॉन्च हुआ तो नए कलाकार के रूप में केके को चुना गया, और उन्होंने अपना पहला एकल एल्बम: ‘पल’ रिलीज़ किया, जिसमें डुओ कोलोनियल कजिन्स के लेस्ले लुईस ने संगीत दिया ।

उन्होंने अपना अगला एल्बम,’हमसफ़र’ 22 जनवरी 2008 को रिलीज़ किया। ‘हमसफ़र’ में “आसमान के”, “देखो ना”, “ये कहाँ मिल गए हम”, “रैन भाई कारी (माझी)”, और अंग्रेजी भाषा का गीत “सिनेरिया” ने खूब लोकप्रियता हासिल की इस एल्बम ‘हमसफ़र’ में उनके बेटे, नकुल कृष्ण कुन्नथ ने उनके साथ “मस्ती” गीत गाया था।

इसके बाद उन्होंने टेलीविजन धारावाहिकों के लिए भी कई गाने गाए , 31 मई 2022 को, केके ने दक्षिण कोलकाता के नज़रुल मंच में एक कॉलेज उत्सव में अपना संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे थे शायद उस वक़्त उनकी तबियत ठीक नहीं लग रही थी पर उन्होंने अपना प्रोग्राम बीच में नहीं रोका और इस कार्यक्रम के ख़त्म होने के बाद ,अपने होटल जाते समय अस्वस्थ महसूस करने की शिकायत की थी , फिर वापस जाते वक्त वो बेहोश हो गए, और उन्हें कलकत्ता मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट ले जाया गया, जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया वो 53 साल के थे।

बिना सीखे गायकी में हासिल किया इतना ऊँचा मुक़ाम

उन्होंने संगीत की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली थी फिर भी उनके गानों में वो तासीर थी कि वो दिलों के तार को झंकृत कर देते थे । वो अपना आइडियल महान गायक किशोर कुमार को मानते थे और कहते थे कि “शुरू से ही मैं सिर्फ़ सुनकर ही कोई गाना सीख लेता था, ये कुछ ऐसा हुनर है जो मुझे सौभाग्य से मिला है, बाद में मुझे पता चला कि किशोर दा ने कभी संगीत नहीं सीखा था, इसलिए मुझे भी एक वजह मिल गई संगीत न सीखने की।


अब बात करते हैं कि उन्हें गुरु कौन मानता है तो हम आपको बता दें कि अरिजीत सिंह केके को अपना पसंदीदा गायक और गुरु मानते हैं। 2023 में, अरिजीत सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और अपने एक संगीत कार्यक्रम में उनका गाना “दिल इबादत” गाया।

उन्हें “पथ-प्रदर्शक गायक” कहते हुए, अभिजीत भट्टाचार्य ने कहा, “केके एक ट्रेंडसेटिंग गायक थे, सुनिधि चौहान ने उन्हें अपना पसंदीदा गायक बताते हुए कहा कि”मैं केके के साथ स्टेज पर पागल हो जाती थी और मैं उनके साथ किये कुछ शोज़ को कभी नहीं भूलूँगी मैं व्यक्तिगत रूप से केके की बहुत बड़ी प्रशंसक हूँ, इतनी कि मैं थोड़ी सी केके बनना पसंद करूँगी।” और कई अभिनेताओं के भी वो पसंदीदा गायक थे ,आज हम भी आपसे यही कहेंगे कि वो हर संगीत प्रेमी के दिल में हमेशा जावेदाँ रहेंगे और अपने गीतों के ज़रिए सदा हमारे साथ रहेंगे ।

बेहतर काम करने के अलावा नहीं थी कोई और ख्वाहिश

के. के. को अपने काम के बदले कोई इनाम पाने की चाहत नहीं थी, उन्हें दो स्क्रीन अवॉर्ड और छह फिल्मफेयर अवार्ड के लिए नामांकन मिला था लेकिन फिल्म फेयर में वो कोई अवॉर्ड जीत नहीं पाए थे इस पर उनसे सवाल पूछा गया कि वो दुखी तो नहीं है जिस पर उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि मुझे अवॉर्ड न जीत पाने का कोई दुख नहीं है ,मैं बस अपना काम अच्छे से करना चाहता हूं और मैं इसी में खुश हूं । ऐसी अज़ीम शख़्सियत थे, के. के. जिन्होंने अपना हर सुर बड़ी शिद्दत और लगन से छेड़ा और दिलों पर राज किया।

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