Nipah virus in Kerala News :केरल में निपाह वायरस से संक्रमित होने से मौत हो गई। मरीज की उम्र 24 साल थी। केरल के स्वास्थ मंत्री ने इस मरीज के मौत की पुष्टि की। उन्होंने कहा, मलप्पुरम के एक निजी अस्पताल में निपाह वायरस से संक्रमित युवक की मौत हो गई.
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केरल में फिर पैर पसार रहा निपाह वायरस
आपको बता दे कि केरल में निपाह वायरस लगातार अपने पैर पसार रहा है। इससे पहले केरल में निपाह वायरस का कहर 2018 , 2021 और 2023 में कोझिकोट जिलें में और 2019 में एर्नाकुलम जिले में निपाह का प्रकोप देखने को मिला था। कोझिकोड, वायनाड, इडुक्की, मलप्पुरम और एर्नाकुलम जिलों में चमगादड़ों में निपाह वायरस एंटीबॉडी की उपस्थिति का पता एक रिसर्च से चला था.
कैसे फैलता है यह वायरस ?
कई वायरस की तरह निपाह वायरस का भी सोर्स जानवर को ही माना जाता है। माना जाता है कि चिमगादड़ के जरिये ये वायरस इंसानों तक पहुंचता है। हालाँकि यह भी माना जाता है कि यह गाय , कुत्ता , सूअर और सम्भवता भेड़ से भी फ़ैल सकता है।
अगर निपाह वायरस से कोई व्यक्ति संक्रमित हो गया है तो वो दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है. मतलब, एक की वजह से दूसरे लोग भी संक्रमित हो सकते हैं.
कितना खतरनाक है निपाह वायरस
निपाह वायरस कम संक्रामक है लेकिन ज्यादा घातक माना जाता है। इसलिए हम कह सकते है कि इसमें संक्रमण दर तो कम है लेकिन मृत्यु दर बहुत अधिक है। केरल में एक बार जब निपाह वायरस फैला था तो मृत्यु दर करीब 45 से 70 फीसदी तक थी। इतना ही नहीं अगर निपाह वायरस से किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो , उस परिवार के दूसरे सदस्य भी संक्रमित हो सकते है। ऐसे में निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति के अंतिम संस्कार करते समय बेहद सावधानी की जरूरत पढ़ती है।
निपाह वायरस के लक्षण क्या है ?
अगर कोई भी शख्स निपाह वायरस से संक्रमित होगा तो उसमें तेज बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ,गले में खराश, एटिपिकल निमोनिया जैसे लक्षण दिखाई पड़ेंगे। वहीं अगर स्थिति ज्यादा गंभीर रही तो इंसान इन्सेफेलाइटिस का भी शिकार हो सकता है और 24 से 48 घंटे में कोमा में जा सकता है.
क्या है इसका इलाज ?
निपाह वायरस का पहला मामला 1999 में देखने को मिला था। लेकिन अबतक ना तो उसके इलाज की कोई दवा है ना उसकी रोकथाम के लिए कोई वैक्सीन. अभी के लिए निपाह का इलाज सिर्फ और सिर्फ सावधानी ही है. अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो इस वायरस की चपेट में आने से बचा जा सकता है. चमगादड़ और सूअर के संपर्क में आने से बचें, जमीन या फिर सीधे पेड़ से गिरे फल न खाये , मास्क लगाकर रखें और समय-समय पर हाथ धोते रहें. वहीं अगर कोई भी लक्षण दिखाई पड़े तो सीधे डॉक्टर से संपर्क साधें.
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