कविता कृष्णमूर्ति जिनके गाने श्रीदेवी के शरारती अंदाज़ की पहचान बने –

न्याज़िया बेग़म

ची हो होलुलू लु लु लु होलुलू हींग बिकी, हांक कांग किंग कांग आई सी लूसी, लुसी लुसी, अस्सी तुस्सी, लस्सी पिसी, तुसीं पिस्सी लस्सी पिसी, मोम्बासा, पींग पोंग उई उई उई उई उई, अका चिकी लाका चिकी रप चिकी लका, चिकी लकी चिकी छू …..

कुछ याद आया, बेशक इस गाने के बोलों और आवाज़ ने आपको भी कभी न कभी अपनी तरफ खींचा होगा, जी हां ये गीत है सुपर हिट फिल्म मिस्टर इंडिया से और आगे के बोलों में हवाई कहते हुए गाया है कविता कृष्ण मूर्ति ने जिन्होंने इस गाने से फिल्म इंडस्ट्री में अलग पहचान बना ली।
हवा हवाई का रूप धरा है चुलबुले अंदाज़ को बखूबी परदे पर उतारने में माहिर श्री देवी ने,
पर ये गीत इतना लोकप्रिय यूं ही नहीं हो गया इसके इतने अटपटे शब्दों को करीने से सजाया है लफ्ज़ों के जादूगर जावेद अख्तर ने और इस ताने बाने को मौसिकी की दिलकश धुनों में पिरोया है लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी ने।

इस फिल्म के संगीत निर्देशक लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल पहले ये गीत आशा भोंसले से गवाना चाहते थे, पर ट्रायल रिहर्सल के लिए कविता जी को बुलाया गया। पर इस गीत को गाने में कविता जी के भी होश उड़ गए थे और वो गाने का मुश्किल मुखड़ा बड़ी मुश्किल से गाने के बाद अंतरे में अटक गई थीं और जानी की जगह जीनू कह गई थीं हालांकि वो इस टीम को इतना पसंद आया की फिर इसे वैसा ही फिल्म में रख लिया गया जिसे आप सुन सकते हैं, हालांकि कहा यह भी जाता है कि खुद आशा भोंसले को भी कविता कृष्णमूर्ति की आवाज में यह गाना बेहद पसंद आया था, और उन्होंने ने ही इसी गाने को ही फिल्म में जोड़ने की सलाह दी थी। अल्फाजों की बात करें तो जावेद साहब ने हवाई शब्द लाने के लिए इतनी भूमिका बनाई थी, कि वो कैरेक्टर से मैच कर जाए खैर सबकी मेहनत रंग लाई और गीत हिट हो गया, साथ ही कविता जी का नाम भी इंडस्ट्री की ज़बान पर चढ़ गया, हालांकि कविता जी इसके पहले 1980 की फिल्म मांग भरो सजना में, गीत “काहे को ब्याही मांग भरो सजना” गाकर अपने फिल्मी करियर की शुरुआत कर चुकी थीं ।

हालांकि इस गीत को बाद में फिल्म से हटा दिया गया था फिर साल 1985 में फिल्म प्यार झुकता नहीं, के गानों ने उन्हें पार्श्व गायिका के रूप में पहचान दिलाई, पर मिस्टर इंडिया के हवा हवाई और करते हैं हम प्यार, ने उनके नाम की धूम मचा दी।
कविता जब आठ साल की थीं तो उन्होंने एक गायन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार जीता था और तभी से वो मशहूर गायिका बनने का सपना देखने लगी थीं और जब नौ साल की हुईं तो स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर के साथ बांग्ला भाषा में एक गीत गाने का मौका मिला यहीं वो सौभाग्य था जिसकी वजह से उन्होंने प्ले बैक सिंगिंग में आने का फैसला कर लिया।
संगीत की प्रारंभिक शिक्षा उन्हें घर में ही मिली थी फिर बाद में बलराम पुरी से शास्त्रीय संगीत सीखा।
मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज में ग्रेजुएशन करने के दौरान कविता हर प्रतियोगिता में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं। यही वो वक्त था, जब एक कार्यक्रम में मशहूर गायक मन्ना डे ने उनका गाना सुना और उन्हें विज्ञापनों में गाने का मौका दिया।
90 के दशक में कविता कृष्णमूर्ति हिंदी सिनेमा की अग्रणी पार्श्व गायिका बनकर उभरीं। जिसमें चार चांद लगाया था, प्यार हुआ चुपके से, मेरा पिया घर आया और आज मैं ऊपर, फिल्म 1942: अ लव स्टोरी में उनके गाए गानों ने जो आज भी पसंद किए जाते हैं।
कविता जी वायलिन वादक एल. सुब्रमण्यम की पत्नी हैं। जिनसे उन्हें पहली नजर में प्यार हो गया था जब वो गायक हरिहरन के साथ मिलकर सुब्रमण्यम के लिए गाना गाने के लिए गई थीं ।
2005 को उन्हें पद्मश्री से पुरस्कृत किया गया।
कविता को चार फिल्मफेयर बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर अवार्ड्स से सम्मानित किया गया।
एकोलेड्स में स्टारडस्ट मिलेनियम 2000 अवार्ड्स में “बेस्ट सिंगर ऑफ़ द मिलेनियम” अवार्ड,मिला ,
अंतर्राष्ट्रीय हिट फिल्म देवदास के गीत डोला रे डोला के लिए जी़ सिने अवार्ड दिया गया।
कविता कृष्णमूर्ति बेहतरीन गायकों में शुमार हैं और उनके नाम 15 हजा़र गाने हैं।

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