Archana Tiwari missing Case: 13 दिन तक लापता रहने के बाद अर्चना तिवारी जीवित और सुरक्षित मिली हैं। 7 अगस्त को अर्चना इंदौर से कटनी जाने के लिए इंदौर-बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस में सवार हुई थीं, लेकिन कटनी पहुंचने से पहले रहस्यमयी तरीके से लापता हो गई थीं।
नर्मदा एक्सप्रेस ट्रेन के एसी कोच से 13 दिन पहले लापता हुई अर्चना तिवारी को पुलिस ने नेपाल बॉर्डर से सकुशल बरामद कर लिया है। भोपाल एसपी रेलवे राहुल लोढ़ा ने बुधवार को बताया कि अर्चना 7-8 अगस्त की रात को गायब हुई थी। 11-12 दिन की तलाश के बाद पुलिस ने उसे नेपाल बॉर्डर से बरामद किया। अर्चना, जो कटनी में छात्र नेता रह चुकी है, परिजनों के शादी के दबाव से परेशान थी और शादी नहीं करना चाहती थी।
शुजालपुर के युवक से दोस्ती और गुमशुदगी की साजिश
जांच में पता चला कि अर्चना की शुजालपुर के सारांश नामक युवक से इंदौर में दोस्ती हुई थी। दोनों घटना वाले दिन एक ही ट्रेन में यात्रा कर रहे थे। अर्चना के परिजनों ने उसका रिश्ता एक पटवारी के साथ तय किया था, लेकिन शादी के दबाव के कारण उसने सारांश के साथ मिलकर भागने की योजना बनाई। हालांकि, बाद में योजना बदलकर गुमशुदगी की साजिश रची गई। अर्चना ने सोचा कि जीआरपी मिसिंग केस पर ज्यादा ध्यान नहीं देगी। उसने जानबूझकर ऐसी जगह से भागने की योजना बनाई जहां सीसीटीवी न हो।
शातिराना तरीके से दिया साजिश को अंजाम
अर्चना ने नर्मदापुरम में तेजन्दर नामक व्यक्ति से ट्रेन में कपड़े लिए और बी-3 कोच से ए-2 कोच में जाकर आउटर से निकल गई, जहां कोई सीसीटीवी नहीं था। उसने तेजन्दर को अपना मोबाइल बागतवा के जंगलों में फेंकने को कहा। इसके बाद वह सारांश के साथ कार से रवाना हुई। उसी रात तेजन्दर को दिल्ली पुलिस ने एक फ्रॉड मामले में हिरासत में ले लिया। अर्चना ने जानबूझकर ट्रेन में सामान छोड़ा ताकि पुलिस को लगे कि वह कहीं गिर गई। उसने सारांश से व्हाट्सएप कॉल के जरिए बात की, जिससे कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) में कोई सुराग न मिले। दोनों ने टोल नाकों से भी बचने की कोशिश की। बीच में अर्चना ने नया मोबाइल खरीदा।
हैदराबाद से नेपाल तक की यात्रा
मामले के मीडिया में तूल पकड़ने पर अर्चना ने दूसरे राज्य में जाने की योजना बनाई। वह पहले हैदराबाद गई, फिर बस के जरिए दिल्ली होते हुए काठमांडू पहुंची। सारांश इंदौर लौट आया और उसने जानबूझकर अपना मोबाइल वहीं छोड़ दिया। पुलिस ने जब सारांश को हिरासत में लिया, तो सारी परतें खुलीं। इसके बाद अर्चना को नेपाल बॉर्डर पर बुलाकर पुलिस ने उसे हिरासत में लिया और दिल्ली के रास्ते भोपाल लाया गया।
पुलिस जांच में सामने आए तथ्य
जांच में पता चला कि तेजन्दर और सारांश इंदौर में आमने-सामने रहते थे और उनके बीच पैसे का लेन-देन था। कांस्टेबल राम तोमर की गुमशुदगी में कोई भूमिका नहीं थी, लेकिन वह अर्चना को बार-बार फोन करता था और उसका टिकट बुक करवाता था, जिससे अर्चना परेशान थी। अर्चना ने सारांश के साथ प्रेम संबंध से इनकार किया है। शादी के दबाव के कारण परिजनों से उसका विवाद था। पुलिस के मुताबिक, अर्चना ने पूरे होशो-हवास में यह साजिश रची और वह मुख्य मास्टरमाइंड थी। इस योजना में तीन लोगों ने उसका साथ दिया।
क्या है पूरा मामला?
7 अगस्त को अर्चना इंदौर से कटनी जाने के लिए नर्मदा एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 18233) के बी-3 कोच में सीट नंबर 3 पर सवार हुई थी। कटनी पहुंचने से पहले वह रहस्यमयी ढंग से गायब हो गई। इसके बाद मध्य प्रदेश पुलिस और जीआरपी ने व्यापक सर्च ऑपरेशन शुरू किया। 29 वर्षीय अर्चना इंदौर के हॉस्टल में रहकर सिविल जज की तैयारी कर रही थी। उसने शाम 4:00 बजे और रात 10:16 बजे अपनी मां से बात की थी, इसके बाद उसका फोन स्विच ऑफ हो गया। परिजनों ने उमरिया में उसके मामा को सूचना दी, जिन्होंने स्टेशन पर तलाश की। वहां अर्चना का बैग मिला, जिसमें राखी, रुमाल और बच्चों के लिए गिफ्ट थे। 13 दिन की तलाश के बाद पुलिस ने अर्चना को बरामद कर लिया।