Kathua Terror Attack: आर्टिकल 370 निरस्तीकरण के बाद भी जम्मू कश्मीर में नहीं रुक रहे आतंकी हमले

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Kathua Terror Attack: 5 अगस्त 2019 में जब बीजेपी की सरकार ने आर्टिकल 370 हटाया तब सब के मन में ये सवाल ज़रूर था कि क्या अब कश्मीर में आतंकी हमले रुक जायेंगे? सरकार नें आर्टिकल 370 हटाकर जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया इसके बाद भी वहाँ के आतंकी हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। हाल ही की बात करें तो 8 जुलाई की दोपहर जम्मू के कठुआ जिले में खतरनाक आतंकी हमला हुआ जिसमे 5 जवान शहीद और पाँच घायल हो गए सोमवार माचेड़ी किंडली मल्हार रोड पर हमला हुआ, आतंकी रूटीन पेट्रोलिंग पर सेना की गाड़ी पर घात लगा कर बैठे थे, गाड़ी निकलते ही आतंकियों ने उसपर ग्रेनेड की बौछार कर दी और घने जंगलो की तरफ भाग गए। खास बात ये है की 90 के दशक मे जो आतंकियाों का खास ठिकाना हुआ करता था अब फिर से वही ठिकाना आतंकियों का केंद्र बन गया है।

आप को बात दे की पिछले दिनों में से ये लगतार दूसरा आतंकी हमला है। रविवार 7 जुलाई को राजौरी जिले में हमला हुआ था और इससे पहले जनवरी में जम्मू कश्मीर के पूँछ और पिछले साल सुरनकोट में हमले हुए थे, जिसमे 5 जवान शहीद भी हुए। बात करें तो जम्मू में पिछले साल 40 से भी ज्यादा आतंकी हमले हुए थे।

आर्टिकल 370 हटने के बाद आतंकियों की भर्ती में गिरावट आयी है जो 40 % से 13 % हो गयी है पर होने वाले टेरेरिस्ट अटैक के मामले दिन बा दिन बढ़ते ही जा रहे हैं।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू क्षेत्र में आठ ग्रेनेड और 13 इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस यानी की IED हमले दर्ज किए गए। 27 अक्टूबर, 2015 से 4 अगस्त, 2019 तक चार ग्रेनेड और सात IED हमले दर्ज किए गए। IED विस्फोटों में हताहतों की संख्या 2015-19 में 3 और 2019-2023 में 11 हो गई यानि की 73 प्रतिशत बढ़ गयी और अगर अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण से पहले और बाद की लगभग चार वर्षों की अवधि की तुलना की जाये तो आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी और हिट एंड रन की घटनाओं में 43% की वृद्धि हुई है।

सवाल ये पैदा होता है कि जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटने के बाद भी आखिर घुसपैठियों को इतनी हिम्मत कहा से आ रही है, आशंका जताई जा रही है कि, हमलो के लिए आतंकियों ने कुछ स्थानीय लोगो से सांठ गांठ कर रखी है क्योंकि कठुआ की जियोग्राफी काफी जटिल है जिसको किसी बाहरी आदमी का समझना काफी मुश्किल होगा इसके लिए इसके लिए या तो कोई स्थानीय मदद कर रहा है या फिर घुसपैठी बहरूपिया बन कर बैठे हुए हैं।

जम्मू कश्मीर की पहली विधानसभा चुनाव की तारीखे जल्द ही फाइनल होने वाली हैं। खबर है कि ये भी एक कारण है जिसकी वजह से आतंकी जम्मू के राजनितिक स्ट्रक्चर को भी डिस्टर्ब करने की कोशिश कर रहे हैऔर इसके साथ ही लोगो के मन अपना ख़ौफ़ फैला रहे हैं, सुत्रों के अनुसार टेरेरिस्ट साम्प्रदायिकता की आग को भी भड़काना चाहते हैं, जिससे की आम लोगों के इमोशंस के साथ भी खेला जा सके।

अब इन्तेज़ार इसका है कि कश्मीर में विधानसभा चुनाव जल्दी हो जिससे कि आतंकी हमलों और घुसपैठियों को पूरी तरह से ख़त्म किया जा सके।

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