Kashmir Loksabha : लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबसे ताकतवर दल के रूप में देखा जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस बार भाजपा सरकार ने 400 पर का दावा भी किया है। आज देश के कोने-कोने में भाजपा का परचम लहराता है। इसके बाद भी भाजपा ने कश्मीर से कोई भी लोकसभा उम्मीदवार नहीं खड़ा किया है। जबकि पीएम मोदी अपने कई भाषण में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का जिक्र कर चुके हैं।
कश्मीर से चुनाव नहीं लड़ रही भाजपा
भारतीय जनता पार्टी ने साल 5 साल पहले जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था और राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया था। इस चुनाव में भाजपा ने जम्मू (Jammu) और कश्मीर (Kashmir) में लगभग सभी सीटों पर उमीदवार उतारें हैं लेकिन कश्मीर में चुनाव ही नहीं लड़ रही है। भाजपा ने कश्मीर की तीनों सीटों में से एक सीट पर भी अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा किया है।
Kashmir में क्यों नहीं उतारा उम्मीदवार
राज्य के जम्मू में हिंदू बहुल सीटें हैं। जबकि कश्मीर घाटी में केवल मुश्लिम मतदाता हैं। यह सर्वविदित है कि भाजपा हिंदुत्व कार्ड पर चुनाव लड़ रही है। ऐसे में अगर बीजेपी कश्मीर में उम्मीदवार खड़े करती तो उन्हें एक भी वोट नहीं मिलते। राजनीतिक विश्लेषकों का भी कहना है कि भाजपा का यह फ़ैसला यहां लोगों के बीच फैले ग़ुस्से की तरफ इशारा करता है, जिसे पार्टी भी मान रही है।
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370 हटने के बाद बदल गए हालात
लंबे दशक से कश्मीर और दिल्ली के बीच तनावपूर्ण संबंध रहा है। तनावपूर्ण माहौल के चलते यहां हज़ारों लोगों की जान चली गई थी। साल 2019 में जब नरेन्द्र मोदी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया था। राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भाजपा सरकार बे राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया था। राज्य का प्रमुख हिस्सा जम्मू-कश्मीर और दूसरा हिस्सा लद्दाख बनाया गया है। दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश बना दिए गए।
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कश्मीर की नाराजगी से BJP अनजान नहीं
राज्य के दो टुकड़े होने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से यहां कुछ मुस्लिम क्षेत्रों में हालात और भी ज्यादा बिगड़ चुके हैं। यही वजह है कि भाजपा ने कश्मीर (Kahmir) में चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। यहां के लोगों के मन में सरकार के प्रति नाराजगी से खुद भाजपा भी इंकार नहीं कर रही है।