Karwa Chauth 2025‌ Moonrise Time : कब है करवा चौथ ? चंद्रोदय के समय सहित जानिए व्रत का महत्व

Karwa Chauth 2025‌ Moonrise Time : कब है करवा चौथ ? चंद्रोदय के समय सहित जानिए व्रत का महत्व – भारतीय संस्कृति में वैवाहिक जीवन की पवित्रता और पति-पत्नी के अटूट प्रेम को समर्पित सबसे पावन व्रतों में से एक है करवा चौथ। यह व्रत न केवल भारतीय स्त्रियों की श्रद्धा, समर्पण और आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह दांपत्य जीवन में प्रेम, सौभाग्य और विश्वास को भी मजबूत करता है। हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला यह पर्व विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन सुहागिनें अपने पति की दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य और सुखद जीवन की कामना से निर्जला उपवास रखती हैं। करवा चौथ के दिन सोलह श्रृंगार, पूजा-अर्चना और चंद्र दर्शन की सुंदर परंपरा देखने को मिलती है। सांझ ढले जब महिलाएं छलनी से चंद्रमा और फिर अपने पति के दर्शन करती हैं, तब वातावरण प्रेम, भक्ति और सौंदर्य से भर उठता है। आइए जानते हैं करवा चौथ 2025 की सटीक तिथि, मुहूर्त, चंद्रोदय का समय और इस व्रत का आध्यात्मिक व सांस्कृतिक महत्व।

Karwa Chauth 2025 Date & Time : कब है करवा चौथ ?
करवा चौथ 2025 का व्रत इस बार गुरुवार, 10 – अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
चतुर्थी तिथि प्रारंभ – 9 अक्टूबर 2025, रात 10 बजकर 54 मिनट पर लगेगी।
चतुर्थी तिथि समाप्त – 10 अक्टूबर 2025, शाम 7 बजकर 38 मिनट पर ,जो पंचांग की गणना के अनुसार व्रत 10 अक्टूबर, गुरुवार को ही रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जल उपवास रखती हैं और रात को चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत का पारण करती हैं।

Karwa Chauth 2025 – चंद्रोदय का समय (Moonrise Time)
द्रिक पंचांग के अनुसार चंद्रमा का उदय रात 8 बजकर 12 मिनट पर होगा। यही समय व्रत का सबसे महत्वपूर्ण क्षण होता है। महिलाएं इस समय छलनी से चंद्रमा का दर्शन करती हैं, अर्घ्य देती हैं और फिर अपने पति को देख कर व्रत का समापन करती हैं। चंद्रमा को जल अर्पित करने और पति से आशीर्वाद लेने के बाद ही वे भोजन ग्रहण करती हैं।

करवा चौथ का पूजन विधि -(Karwa Chauth Puja Vidhi)
करवा चौथ की पूजा-विधि अत्यंत पारंपरिक और भावनात्मक होती है। इस दिन महिलाएं प्रातःकाल स्नान कर, सुहाग का श्रृंगार करती हैं और पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। नीचे दी गई है संक्षिप्त और पारंपरिक पूजा-विधि जो निम्नलिखित नियमानुसार करना चाहिए।
स्नान और संकल्प – सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और करवा चौथ व्रत का संकल्प लेने के लिए हाथ की अंजलि में फूल – अक्षत और कुछ दक्षिणा लें और अपने घर के मंदिर के समक्ष बोलेन की “मैं आज अपने पति की दीर्घायु, सुख और समृद्धि के लिए यह व्रत कर रही हूं” इस सरत व्रत धारण करें।
सोलह श्रृंगार – महिलाएं इस दिन सोलह श्रृंगार करती हैं  मांग टीका, सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी, बिछुए, नथ, पायल, मेहंदी आदि।यह श्रृंगार सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। करवा माता की पूजा – शाम के समय सुहागिनें एकत्र होकर मिट्टी या धातु के करवे में जल, गेहूं, मिठाई और सिंदूर रखती हैं। करवा माता, भगवान शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की पूजा की जाती है।
कथा सुनना अत्यंत आवश्यक – करवा चौथ व्रत की कथा सुनना इस दिन का अनिवार्य भाग है। कथा सुनने से व्रत का फल पूर्ण माना जाता है। कथा में बताया गया है कि कैसे एक सती स्त्री ने अपने पति को मृत्यु से पुनर्जीवित किया, जिससे इस व्रत की पवित्रता और बढ़ गई।
चंद्र दर्शन और अर्घ्य – रात्रि में चंद्रमा के उदय के बाद महिलाएं छलनी से चंद्रमा को देखती हैं, अर्घ्य देती हैं और फिर पति के दर्शन कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। इसके बाद व्रत का पारण किया जाता है।

करवा चौथ का महत्व (Significance of Karwa Chauth)
करवा चौथ केवल एक व्रत नहीं, बल्कि भारतीय नारी के प्रेम, विश्वास और त्याग का उत्सव है। इस व्रत का आध्यात्मिक महत्व जितना गहरा है, उतना ही सामाजिक और पारिवारिक भी। यह दिन पति-पत्नी के बीच अटूट बंधन और स्नेह का प्रतीक है। करवा चौथ व्रत करने से दांपत्य जीवन में सौहार्द, प्रेम और स्थिरता बनी रहती है। मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत करने से मां पार्वती और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह पर्व न केवल महिलाओं के लिए, बल्कि परिवार की सामूहिक एकता और परंपरा को भी मजबूत करता है। प्राचीन काल में यह व्रत नवविवाहित महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता था। विवाह के बाद पहली बार रखा गया करवा चौथ “सौभाग्य आरंभ” का प्रतीक समझा जाता है।

करवा चौथ की पौराणिक कथा – (Mythological Story of Karwa Chauth)
पुराणों के अनुसार, एक बार एक ब्राह्मण की सात पुत्रियां और एक पुत्र था। उनमें सबसे छोटी पुत्री ने अपने पति की दीर्घायु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा। दिनभर निर्जल रहने के बाद जब शाम को उसे प्यास लगी, तो भाइयों ने उसे छलपूर्वक दिखाया कि चंद्रमा निकल आया है। उसने व्रत तोड़ दिया। परिणामस्वरूप उसके पति की मृत्यु हो गई। दुखी होकर वह देवी पार्वती की आराधना करने लगी। देवी ने प्रसन्न होकर उसे अगले वर्ष पुनः व्रत रखने का निर्देश दिया। जब उसने पूरे विधि-विधान से व्रत रखा, तो उसका पति जीवित हो गया। तभी से करवा चौथ व्रत की परंपरा प्रारंभ हुई और आज भी यह भारतीय नारी के विश्वास और प्रेम का प्रतीक बनकर जीवित है।

सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से करवा चौथ – Karwa Chauth 2025‌ Moonrise Time
करवा चौथ केवल धार्मिक व्रत नहीं बल्कि भारतीय नारीत्व की असाधारण शक्ति और त्याग का उत्सव है। यह पर्व हर वर्ग की महिलाओं को जोड़ता है — चाहे वे गांव में हों या शहर में। महिलाएं एक साथ सजती-संवरती हैं, पारंपरिक गीत गाती हैं, थाल सजाती हैं और सामूहिक पूजा करती हैं। यह दिन स्त्रियों के आत्मबल, सौंदर्य और समर्पण का उत्सव है। सोशल मीडिया और आधुनिक जीवन-शैली के बावजूद भी करवा चौथ की लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आज यह केवल धार्मिक नहीं, बल्कि रिलेशनशिप और फैमिली बॉन्डिंग का उत्सव बन चुका है।

आधुनिक युग में करवा चौथ का स्वरूप – Karwa Chauth 2025‌ Moonrise Time
समय के साथ-साथ करवा चौथ के स्वरूप में भी परिवर्तन आया है। आज अनेक पुरुष भी अपनी पत्नियों के साथ उपवास रखते हैं ,यह आपसी प्रेम और समानता का प्रतीक बन गया है। अब यह व्रत सिर्फ “पति की लंबी उम्र” के लिए नहीं, बल्कि परस्पर सम्मान और एकजुटता का प्रतीक बन गया है। फिल्मों, टीवी सीरियल्स और सोशल मीडिया पर भी करवा चौथ का रोमांटिक और उत्सवी रूप दिखाई देता है, जो नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़ने का कार्य करता है।

करवा चौथ पर करें ये शुभ कार्य और जानिए क्या है वर्जित – Karwa Chauth 2025‌ Moonrise Time

जरूर करें ये काम – प्रातः स्नान कर संकल्प अवश्य लें,सोलह श्रृंगार करें, सुहाग सामग्री दान दें। व्रत कथा अवश्य सुनें और करवा माता की पूजा करें। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही जल ग्रहण करें।

भूलकर न करें ये काम – व्रत के दौरान झूठ, कटु वचन या क्रोध न करें। बिना चंद्र दर्शन के व्रत न तोड़ें , किसी का अपमान न करें, क्योंकि यह दिन सौभाग्य और सद्भावना का प्रतीक है।

विशेष – (Conclusion) Karwa Chauth 2025‌ Moonrise Time – करवा चौथ 2025 का पर्व इस वर्ष गुरुवार, 10 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10:54 से आरंभ होकर 10 अक्टूबर की शाम 7:38 तक रहेगी, जबकि चंद्रोदय रात 8:12 बजे होगा। इस दिन का हर क्षण प्रेम, भक्ति और समर्पण से भरा होता है। महिलाएं पूरे दिन व्रत रखकर, शाम को पूजा करती हैं और चंद्रमा के दर्शन के बाद पति के साथ अपने व्रत का समापन करती हैं। यह पर्व भारतीय संस्कृति की आत्मा है, जो विश्वास, प्रेम और वैवाहिक सौंदर्य का अद्भुत प्रतीक है। करवा चौथ के माध्यम से यह संदेश मिलता है कि सच्चा प्रेम केवल शब्दों में नहीं, बल्कि त्याग, विश्वास और समर्पण में निहित होता है। श्रद्धा और आस्था से किया गया यह व्रत जीवन में खुशहाली, दीर्घायु और सौभाग्य लेकर आता है।

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