कर्नाटक सरकार को हाईकोर्ट की फटकार! RSS के कार्यकर्मों पर बैन लगा रही थी

कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों को टार्गेट (Targeting RSS Activities) करने के लिए लाया गया था। 28 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, हाई कोर्ट ने सरकार के उस निर्देश को स्टे किया, जिसमें प्राइवेट संगठनों को सरकारी प्रॉपर्टी पर कार्यक्रम आयोजित करने से पहले परमिशन लेने को कहा गया था।

आरएसएस के कार्यक्रमों पर बैन लगा रही थी सरकार

कर्नाटक सरकार ने 20 अक्टूबर 2025 को एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि कोई भी प्राइवेट संगठन सरकारी स्कूलों, कॉलेजों, या अन्य संस्थानों में कार्यक्रम, मीटिंग्स, या सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं कर सकता, Unless they obtain prior permission from the concerned authorities. इस आदेश को कई राजनीतिक विश्लेषकों और संगठनों ने RSS की गतिविधियों को रोकने के इरादे से लाया गया माना, क्योंकि RSS अक्सर सरकारी प्रॉपर्टी पर अपने कार्यक्रम आयोजित करता है।

हाई कोर्ट का फैसला

हाई कोर्ट की धारवाड़ बेंच ने पुनश्चैतन्य सेवा संस्थे (Punashchaitanya Seva Samsthe) की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस आदेश को stayed किया। कोर्ट ने कहा कि यह आदेश प्राइवेट संगठनों के अधिकारों (Rights of Private Organizations) का उल्लंघन करता है और इसे तुरंत प्रभाव से रोक दिया जाता है, Until further hearing. जस्टिस एमजी उमाशंकर (Justice MG Umashankar) ने कहा, “सरकार को ऐसा कोई आदेश जारी करने से पहले विचार करना चाहिए कि यह किस तरह से संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है।

BJP ने हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह “कांग्रेस सरकार की साजिश” को उजागर करता है। BJP के राज्य अध्यक्ष BY विजयेंद्र (BY Vijayendra) ने कहा, “यह आदेश RSS को टार्गेट करने के लिए लाया गया था, लेकिन कोर्ट ने सच्चाई सामने ला दी।” वहीं, कांग्रेस नेता और कर्नाटक के संसदीय मामलों के मंत्री HK पाटिल (HK Patil) ने कहा, “हमारा इरादा किसी विशेष संगठन को टार्गेट करना नहीं था, बल्कि सरकारी प्रॉपर्टी के इस्तेमाल को रेगुलेट (Regulate) करना था।

यह फैसला RSS और अन्य प्राइवेट संगठनों को राहत देगा, लेकिन यह कांग्रेस सरकार की नीतियों (Congress Government Policies) पर सवाल उठाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला आगे भी विवादों (Controversies) को जन्म दे सकता है, क्योंकि राज्य और केंद्र के बीच तनाव (State-Center Tensions) बढ़ सकता है।

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