Site icon SHABD SANCHI

KANYA PUJAN IN NAVRATRI 2025 : जानिए कन्या पूजन व भोजन पूरी प्रक्रिया व महत्व

KANYA PUJAN IN NAVRATRI 2025

KANYA PUJAN IN NAVRATRI 2025

KANYA PUJAN IN NAVRATRI 2025 : जानिए कन्या पूजन की पूरी प्रक्रिया व महत्व – नवरात्रि का पर्व शक्ति की उपासना का सबसे बड़ा अवसर होता है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन (कंजक) करने से देवी मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी विशेष कृपा बरसाती हैं।

कन्या पूजन और भोज को नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है, क्योंकि 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप समझकर उनकी पूजा और भोजन कराया जाता है।

लेकिन इसकी शास्त्री विधि अपनाकर ही कन्या पूजन व भोज कराना चाहिए ,क्योंकि सही विधि व प्रक्रिया से कन्या पूजन व भोज न करने से पूजन सार्थक नहीं माना जाता अतः इस लेख के माध्यम से आप जान सकेंगे कन्या भोज व पूजन की संपूर्ण विधि तो आइए जानते हैं कि नवरात्रि 2025 में कन्या पूजन कब होगा, इसका महत्व क्या है और इसकी सही विधि क्या है।

नवरात्रि 2025 में कन्या पूजन कब ?
महाअष्टमी (30 सितंबर 2025, मंगलवार) – इस दिन मां महागौरी की पूजा के बाद कन्या पूजन किया जाएगा,
महानवमी (1 अक्टूबर 2025, बुधवार) – मां सिद्धिदात्री की पूजा के बाद कन्या पूजन का विशेष महत्व रहेगा।

कन्या पूजन का महत्व – कन्याओं को मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। नौ कन्याओं के साथ एक छोटे बालक (लांगूर) को भी बुलाया जाता है, जो भगवान भैरव का प्रतीक है विधिपूर्वक कन्या पूजन करने से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और सफलता आती है। अधूरी श्रद्धा या केवल औपचारिकता निभाने हेतु इसे करने से पूरा फल नहीं मिलता।

कन्या पूजन की सार्थक विधि
कन्याओं का चयन – नवरात्र में कन्या पूजन बड़ी शृद्धा से करना चाहिए। कन्या भोज में हमेशा 2 से 10 वर्ष की उम्र की कन्याओं को ही आमंत्रित करना चाहिएल मान्यता है की नवरात्री कन्या पूजा व भोग में इस उम्र की कन्याओं को ही बुलाना चाहिए क्योंकि ग्यारह वर्ष से ज्यादा उम्र की बच्चियों को रजस्वला होने की वजह से उन्हें देवी स्वरूपा तो माना जाता है लेकिन उनकी गिनती कन्याओं में नहीं बल्कि महिलाओं में मणि जाती है। अतः नवरात्र में छोटी कन्याओं को ही कन्या भोग हेतु आमंत्रण दें और अष्टमी हो या नवरात्री का कोई भी दिन 9 कन्याएं और 1 बालक (लांगूर) को ज़रूर आमंत्रित करें।

कन्याओं का स्वागत व पूजन की प्रारंभिक विधि – जब कन्याएं घर में प्रवेश करें तो उन्हें शंख,फूले की थाली बजाकर और जल से भरा हुआ ,पंचपल्लव से सुसज्जित व प्रज्वलित कलश दिखाकर घर के अंदर अंदर प्रवेश करें। फिर सबसे पहले एक फुले की परात यानि बड़ी थाली में ,साफ कोमल कपड़े से पोंछें और उन्हें स्वच्छ आसन पर बैठाएं। इस समय परिवार के किसी भी सदस्य को कन्याओं को बिजना या चवर डुलाने यानि हवा करने को कहें भले ही गर्मी न हो और ऐसी – पंखे लगे हों ,क्योंकि ऐसा करने से माँ को शीतलता मिलती है जिससे वो अत्यंत प्रशन्न होती हैं। इसके बाद कन्याओं को सुगन्धित तेल – इत्र लगाकर उनके माथे पर रोली-अक्षत से तिलक करें, मौली बांधें और पुष्प अर्पित करें,चुनरी या सामर्थ से वस्त्र अर्पित करें या रुमाल दें वो बच्चियों के काम भी आएगा। इसके बाद पैरों में आलता लगाकर कंजकों का श्रृंगार करें।

कन्याओं को पारंपरिक भोग परोसें – कन्याओं को वैसे तो सात्विक भोग ही जीमना चाहिए ख़ासकर अष्टमी तक ,क्योंकि माँ महागौरी को हवा – पूरी और काळा चने अति प्रिय हैं ,जबकि अष्टमी के बाद कंजकों को पूरा भोजन जिसमें खीर , पूरी , हलवा ,बिना लहसुन-प्याज़ की सब्जी , कढ़ी ,पापड़ भी ख़िला सकते हैं जबकि दशहरे के दिन दुर्गा पूजा के बाद बच्चियां जो खाना चाहें उन्हें देवी इच्छा मानकर सप्रेम भोजन करवाना चाहिए । इससे माँ दुर्गा देवी अत्यंत प्रशन्न होती हैं।

दक्षिणा और भेंट – भोजन के बाद कन्याओं को फल,बेसन का लड्डू ,मीठा पान ,गुढ़ और गेंहू सहित आपकी श्रद्धा व बच्चियों की इच्छा से उपहार में खिलौने देना चाहिए फिर कन्याओं का चरण वंदन कर दक्षिणा ज़रूर दें।

विदाई – कन्याओ को विदा करते समय भी उनके आगे सिंदूर या आलता का पानी व भीगी हुई चने की दाल छिड़कते हुए लाल पानी की आगे – आगे धार बनाकर कन्याओं को बहार तक छोड़ कर विदाई देना चाहिए।

अगर नौ कन्याएं न मिलें तो क्या करें ?
कई बार हर जगह कन्या पूजन होने के कारण नौ कन्याओं को बुलाना संभव नहीं होता। ऐसे में तीन , पांच या सात कन्याओं से भी पूजन व भोजन किया जा सकता है। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि यदि कन्याएं न मिलें या किसी परिस्थिवश कन्या पूजन व भोजन न करा सकें तो कन्याओं के स्थान पर गौमाता का पूजन व उन्हें भोजन करना ,कन्या पूजन – भोजन के समान पुण्य फल देता है।


विशेष – नवरात्रि में कन्या पूजन केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि मां दुर्गा के प्रति भक्ति, आस्था और समर्पण का प्रतीक है। श्रद्धा और विधिपूर्वक किया गया यह अनुष्ठान घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि लाता है। इसलिए इस बार नवरात्रि 2025 में कन्या पूजन को पूरे मन और सच्चे भाव से जरूर करें और मां की असीम कृपा प्राप्त करें।

Exit mobile version