World Ajab Gajab Railway Station: रेलवे ऐसा नेटवर्क है जिसपर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लोग काफी निर्भर हैं. यह आमजन के लिए बहुत ही सस्ता माध्यम है, जो लोगों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाता है. इस दौरान उन्हें विभिन्न स्थानों के कलर, रीति-रिवाज, भाषा और खानपान से भी रूबरू होने का मौका मिलता है. इंडियन रेलवे के इतिहास के बारे में तो आपने कई बार पढ़ और सुन लिया होगा. लेकिन आज आपको बतायेंगे दुनिया के एक अजीबो गरीब रेलवे स्टेशन के बारे में बताएंगे, जो केवल एक स्कूली लड़की के लिए सालों तक चलता रहा है.
जो भी यह खबर सुनता है वह हैरान हो जाता है. जहां एक ओर कम लागत में ज्यादा काम की सोच रखी जाती है, वहीं इस देश में इंसानियत और समर्पण का उदाहरण देखने को मिला है, जिसे दुनिया हमेशा याद रखेगी.
स्टेशन का नाम क्यूशिराताकी स्टेशन है
दरअसल, यह स्टेशन जापान में है, जहां साल 2016 तक एक हाई स्कूली छात्र की पढ़ाई के लिए क्यूशिराताकी स्टेशन चालू रखा गया, ताकि उसकी पढ़ाई ना छूटे और वह अपनी हायर एजुकेशन पूरी कर सके. यह केवल एक रेलवे स्टेशन की कहानी नहीं है, बल्कि मानवता और इंसानियत की कहानी है, जिसे आज लोग धीरे-धीरे भूलते जा रहे हैं. जापान का यह फैसला साबित करता है कि वहां शिक्षा कितनी अच्छी है और खासकर लड़कियों को पढ़ाने के लिए यह फैसला दुनिया भर में चर्चा का विषय बना.
काना की पढ़ाई पूरी होने के बाद हुआ बंद
दरअसल मार्च 2016 में जो लड़की थी काना उसका ग्रेजुएशन हो गया और यह होते ही इस रेलवे स्टेशन को बंद कर दिया गया. इसके पीछे की वजह रेलवे स्टेशन को आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण बंद किया जाना था, लेकिन इसे तब तक के लिए चालू रखा गया, जब तक काना नामक छात्रा की पढ़ाई पूरी नहीं हुई थी. वह कई बार क्लास खत्म होते ही तेज दौड़ लगाकर स्टेशन तक पहुंचती थी, ताकि उसकी आखिरी ट्रेन ना छूट जाए. यह स्टेशन उसके लिए शिक्षा पाने का सबसे भरोसेमंद साधन था.
लगातार घट रही थी यात्रियों की संख्या
आपको बताएं कि यह रेलवे स्टेशन काना हराडा के लिए लाइफ लाइन था. और यदि यह बंद हो जाता, तो उसे स्कूल के लिए 73 मिनट पैदल चलकर दूसरी एक्सप्रेस ट्रेन पकड़नी पड़ती. यह आसान नहीं था, क्योंकि उसके यहां दिन में केवल 4 ट्रेन चलती थीं, जिनमें से केवल 2 ही उसके स्कूल के समय से मेल खाती थीं. ऐसे में जापान रेलवे ने उसके हित में फैसला लिया. हालांकि इस रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की संख्या लगातार घट रही थी. इससे पहले मालगाड़ी की सेवाएं भी बंद कर दी गई थीं, लेकिन इस छात्रा के कारण इस रेलवे स्टेशन को चालू रखा गया था.