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Kamayani Jaishankar Prasad: छायावाद, जयशंकर प्रसाद और कामायनी

Kamayani Jaishankar Prasad

Kamayani Jaishankar Prasad

kamayni mahakavya ke rachyita kaun hai, Kamayani Jaishankar Prasad, Kamayani mahakavya, hindi kavi Jaishankar Prasad, sahityakaar Jaishankar Prasad: 30 जनवरी 1990 के दिन बनारस के इसी धरती पर एक ऐसे अद्वितीय रचनाकार का जन्म हुआ. जिसने हिंदी साहित्य को छायावाद जैसे अनमोल धरोहर से अवगत कराया। बचपन में छुप-छुप कर कविता लिखने वाले हाथ का जादू कुछ यूँ चला कि हिंदी साहित्य के समृद्ध पाठकों को महाकाव्य की प्राप्ति हुई. कुंठा और वैराग्य से भरे मन को आंसू के रूप में एक ऐसी रचना की प्राप्ति हुई. जो विरक्ति के हर जख्म को भरने में शत-प्रतिशत सफल हुई. समय ने जिसका भले ही साथ छोड़ दिया हो पर अपने मन के भावों को हमेशा अपने साथ लेकर चलने वाले इस साहित्यकार को पूरी दुनिया जयशंकर प्रसाद के नाम से जानती है. 

Kamayani Jaishankar Prasad

आज हम प्रसाद जी के जीवन पर चर्चा नहीं करेंगे बल्कि उनके जीवन का सार रहें उनकी रचनाओं पर या यूँ कहें कि मुख्य रूप से कामायनी पर चर्चा करेंगे. 

क्योकि, अपनी लोकप्रियता‚ आलोचना तथा प्रशंसा को समभाव से स्वीकार कर ‘कामायनी’ आज भी अपने स्थान पर अटल है। इसकी प्रासंगिकता सुधि पाठकों तथा आलोचकों के लिए आज भी उतनी ही है जितनी हमेशा रही है। संक्षेप में‚ कामायनी एक ऐसा महाकाव्य है‚ जो आज के मानव जीवन को उसके समस्त परिवेश व परिस्थिति के साथ प्रस्तुत करता है। पूरी कहानी जाने के लिए नीचे दी गई वीडियो को देखें-

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