5 साल बाद शुरू हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025:

Kailash Mansarovar Yatra: पांच साल के लंबे इंतज़ार के बाद, हिंदू, जैन, बौद्ध और बोन धर्म के श्रद्धालुओं के लिए पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra) फिर से शुरू होने जा रही है। भारत सरकार ने घोषणा की है कि यह यात्रा जून से अगस्त 2025 के बीच होगी, जिसमें 750 भारतीय श्रद्धालु (Kailash Mansarovar Yatra Pilgrims) तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत (Mount Kailash) और मानसरोवर झील (Lake Mansarovar) के दर्शन करेंगे। यह कदम भारत-चीन के बीच बेहतर कूटनीतिक रिश्तों और सीमा पर तनाव में कमी का परिणाम है।

यात्रा की योजना और रास्ता

Travel Plan and Route Kailash Mansarovar Yatra: कैलाश मानसरोवर यात्रा, जो आध्यात्मिक महत्व के लिए जानी जाती है, 2020 से कोविड-19 महामारी और भारत-चीन सीमा विवाद (India-China Border Dispute) के कारण रुकी हुई थी। इस बार यात्रा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में 17,000 फीट की ऊंचाई पर लिपुलेख दर्रे (Lipulekh Pass) के रास्ते होगी। यात्रा 30 जून 2025 से शुरू होगी, जिसमें 15 बैच में प्रत्येक बैच में 50 श्रद्धालु शामिल होंगे। पहला बैच 10 जुलाई को तिब्बत में प्रवेश करेगा, और अंतिम बैच 22 अगस्त को भारत लौटेगा।

श्रद्धालु विदेश मंत्रालय की वेबसाइट (Ministry of External Affairs Website) पर आवेदन कर सकते हैं। चयन प्रक्रिया में लिंग समानता को प्राथमिकता दी जाएगी। यात्रा शारीरिक रूप से कठिन है, क्योंकि ऊंचाई पर कम ऑक्सीजन और ठंडा मौसम चुनौतियाँ पेश करता है। इसलिए, दिल्ली और उत्तराखंड के गुंजी में स्वास्थ्य जाँच अनिवार्य होगी।

नए मार्ग और सुविधाएँ

Kailash Mansarovar Yatra New Route and Facilities: यात्रा को आसान बनाने के लिए भारत सरकार ने लिपुलेख दर्रे तक सड़क निर्माण को तेज किया है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री ने बताया कि पिथौरागढ़ से तिब्बत सीमा तक सड़क (Pithoragarh-Tibet Border Road) का अधिकांश काम पूरा हो चुका है। यह नया मार्ग नेपाल या सिक्किम के पुराने रास्तों (Nepal/Sikkim Routes) की तुलना में समय और मेहनत बचाएगा।

भारत और चीन ने यात्रियों के लिए वीजा प्रक्रिया (Visa Process Kailash Mansarovar Yatra) को सरल करने और सीधी उड़ानें (Direct Flights Kailash Mansarovar Yatra) शुरू करने पर भी सहमति जताई है। ये कदम 2025 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देंगे।

आध्यात्मिक महत्व और आर्थिक लाभ

हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास (Abode of Lord Shiva) माना जाता है, और मानसरोवर झील में स्नान से पापों का नाश और मोक्ष (Moksha) की प्राप्ति होती है। बौद्ध, जैन और बोन धर्म के लिए भी यह स्थल पवित्र है, जहाँ परिक्रमा और पूजा आध्यात्मिक अनुभव का हिस्सा हैं।

यात्रा की बहाली से उत्तराखंड, नेपाल और तिब्बत में स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा। गाइड, ट्रांसपोर्टर और छोटे व्यवसायी पर्यटन से होने वाली आय पर निर्भर हैं। उत्तराखंड के अधिकारियों का कहना है कि यह यात्रा क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगी और सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखेगी।

कूटनीतिक उपलब्धि

यात्रा की बहाली भारत-चीन संबंधों में सुधार का प्रतीक है। 2025 की शुरुआत में दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय वार्ताओं (High-Level Talks) में इस पर सहमति बनी। पूर्वी लद्दाख में सैन्य तनाव (LAC Tensions) के बाद यह कदम आपसी विश्वास (Mutual Trust) को बहाल करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। दोनों देशों ने सीमा प्रबंधन और यात्रा समन्वयके लिए विशेष दिशानिर्देश तैयार किए हैं।

चुनौतियाँ और अपील

यात्रा की सफलता कठिन मौसम, स्वास्थ्य जोखिमों और भारत-चीन के बीच निरंतर सहयोग पर निर्भर करेगी। विदेश मंत्रालय ने श्रद्धालुओं से जल्द आवेदन करने और शारीरिक तैयारी करने की अपील की है।

यह यात्रा न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि भारत-चीन के बीच शांति और सहयोग की उम्मीद भी जगाती है। जैसे-जैसे यात्रा की तैयारियाँ जोर पकड़ रही हैं, हजारों श्रद्धालु इस पवित्र यात्रा में शामिल होने के लिए उत्साहित हैं।

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