28th Chief Justice of Madhya Pradesh: राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने राजभवन में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्हें शपथ दिलाई। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 17 सितंबर को उनको नाम की मध्यप्रदेश के चीफ जस्टिस पद के लिए अनुशंसा की थी. इस पद पर उनका कार्यकाल 6 महीने का होगा। चीफ जस्टिस का पद 24 मई 2024 से खाली है.
28th Chief Justice of Madhya Pradesh: बुधवार, 25 सितंबर को जस्टिस सुरेश कुमार कैत (Chief Justice Suresh Kumar Kait) ने मध्यप्रदेश के 28 वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली है. राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने राजभवन में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्हें शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, प्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा सहित कई नेता और अधिकारी इस मौके पर मौजूद रहे. हरियाणा के कैथल जिले के रहने वाले चीफ जस्टिस कैत दिल्ली हाईकोर्ट में सीनियर वकील के पद पर थे.
Chief Justice of Madhya Pradesh High Court: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 17 सितंबर को उनको नाम की मध्यप्रदेश के चीफ जस्टिस पद के लिए अनुशंसा की थी. इस पद पर उनका कार्यकाल 6 महीने का होगा। चीफ जस्टिस का पद 24 मई 2024 से खाली है. जस्टिस रवि मलिमठ के रिटायर होने के बाद पहले जस्टिस शील नागू , फिर जस्टिस संजीव सचदेवा एक्टिंग चीफ जस्टिस रहे. जुलाई 2024 में कॉलेजियम ने जस्टिस जीएस संधूवालिया को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा एक्टिंग चीफ जस्टिस रहे. जुलाई 2024 में कॉलेजियम ने जस्टिस जीएस संधुवालिया को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने की अनुशंसा की थी. बाद में इसे संशोधित कर जस्टिस कैत के नाम की अनुशंसा की गई.
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के 28 वें चीफ जस्टिस कैत ने कुरुक्षेत्र विश्विद्यालय से राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढाई की. ग्रेजुएशन के दौरान वे एनएसएस में यूनिट लीडर के रूप में चुने गए थे। छात्र संघ के संयुक्त सचिव भी रहे. 1989 में उन्होंने वकील के तौर पर पंजीकृत कराया था. उन्हें वर्ष 2004 में केंद्र सरकार के स्थायी वकील के रूप में पैनल वकील रह चुके हैं. 2008 में दिल्ली हाईकोर्ट में अतिरिक्त जज के तौर पर नियुक्ति के बाद 2013 में प्रमोशन पाकर परमानेंट जज बने. जस्टिस कैत दिल्ली के जामिया हिंसा और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ विरोध जैसे कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई कर चुके हैं. फैसलों में उनके निष्पक्ष और संतुलित दृष्टिकोण की सराहना की जाती है.